अभी हाल में ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैंनेजमेंट कंपनी (एएमसी) को करीब चार करोड़ कर्मचारियों के30,000 करोड रुपये के सालाना प्रोवीडेंट फंड के प्रबंधन की अनुमति दे दी है।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक निमेश शाह से प्रिया नाडकर्णी ने कंपनी के कारोबार के विकास योजनाओं को लेकर बातचीत की।
आप इपीएफओ राशि को लेकर लगाई गई बोली में सबसे कम बोली लगानेवालों में रहें है। आप किस तरह से इसका प्रबंधन करेंगे और कैसे इसे टिकाउ बनाएंगे?
आम आदमियों के पैसों का प्रबंधन करना अपने आप में गर्व की बात है और यह मुनाफा कमाने से कहीं बढ़कर है। जिस तरीके से हमने फीस की बात कहीं है, हम आराम से लागत की पूर्ति कर लेंगे। जैसे ही हम इन्क्रीमेंटल बिजनेस शुरू करेंगे वैसे ही अगले कुछ समयावधि में हम इससे अच्छा मुनाफा कमा पाने की स्थिति में होंगे।
प्रत्येक कारोबार के शुरू के दिन से मुनाफा होना जरूरी नहीं। हमने एक तरह से अच्छी बोली लगाई है क्योंकि हम एक बड़े वॉल्युम की बात कर रहें हैं। हरेक साल कॉर्पस में खासी बढ़ोतरी होती है और इस साल भी जिस तरीके से हमने बोली लगाई है उस हिसाब से हमें फायदा ही होगा। हम प्रोवीडेंड फंड की राशि का प्रबंधन मिले आदेशों के अनुसार ही प्रबंध करेंगे।
क्या यह संभव है कि ईपीएफ फंड मैंनेजमेंट बिजनेस का कारोबार आपके मौजूदा कारोबार से अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा और एसेट अंडर मैंनेजमेंट सार्वजनिक कारोबार के दायरे में आएगा?
दोनों कारोबार साथ साथ बढ़ेंगे अभी इस बारे में अंतिम रूप से कुछ भी फै सला किया गया है। इसमें कुछ समय लग सकता है लेकिन इसकी विस्तार से जानकारी देने में हम पूरी पारदर्शिता बरतेंगे।
मंदी की स्थिति को देखते हए इक्विटी स्कीम में कोई रिडेम्पशन का दबाव है?
पिछले छ: महीनों में खुदरा निवेशकों में काफी परिपक्वता और स्थिरता आई है और कुल मिलाकर रिडेम्पशन के दबाव की कोई बात ही नहीं है।
ऐसा देखा गया है कि जिस दिन बाजार में बड़ी गिरावट होती है उस दिन पूंजी का प्रवाह बढ़ जाता है। हालांकि कुल कारोबार में गिरावट जरूर आई है इसमें कोई शक नहीं है। उद्योग जगत जिस तेजी के साथ पहले मुनाफा कमा रहा था अब वो स्थिति नहीं रह गई है लेकिन एक बात और कि निवेशक अब पहले से ज्यादा होशियार बन गए हैं। वे जानते है कि इक्विटी में निवेश और फिर मुनाफा क माना दीर्घ अवधि के लिए होता है।
लेकिन आपकी विस्तार योजनाएं तो निश्चित रूप से प्रभावित हो रही होंगी?
बिल्कुल नहीं, जबकि मौजूदा मंदी से हमें अपनी योजनाओं के विस्तार में और मदद मिली है। मार्च 2008 में जहां हमारी 80 शाखाएं थी वहीं अब इसकी संख्या बढ़कर 200 तक पहुंच गई है जोकि पिछले चार महीनों में 200 प्रतिशत का ग्रोथ हुआ है। हम इस समय अपने संगठन को और अधिक मजबूत बनाना चाहते हैं क्योंकि हम यहां महज एक या दो सालों के लिए नहीं हैं।