देश में एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) से लेन-देन में फरवरी में मामूली गिरावट आई जबकि यह जनवरी में अपने उच्च स्तर पर थी। जनवरी की तुलना में फरवरी में यूपीआई से लेन-देन के मूल्य में 0.7 फीसदी और संख्या में 0.8 फीसदी की गिरावट आई।
फरवरी में यूपीआई लेन-देन का मूल्य 18.28 लाख करोड़ रुपये था जबकि यह जनवरी में 18.41 लाख करोड़ रुपये था।
विशेषज्ञों के मुताबिक फरवरी में गिरावट का प्रमुख कारण महीने में दिन कम होना और कई बैंकों में दिखी तकनीकी समस्या है। फरवरी में यूपीआई से लेन-देन की संख्या 12.01 अरब थी जबकि यह संख्या जनवरी में 12.20 अरब थी। दिसंबर में यूपीआई से लेन-देन का मूल्य 18.23 लाख करोड़ रुपये था जबकि इसकी संख्या 12.02 अरब थी।
प्रमुख फिनटेक फाइब के मुख्य कार्याधिकारी एवं सह-संस्थापक अक्षय महरोत्रा ने कहा, ‘यूपीआई के मूल्य और संख्या में गिरावट आने का एक कारण यह हो सकता है कि कई बैंकों में इस महीने की शुरुआत में तकनीकी समस्याएं आई थीं। इससे बैंकों के सर्वरों में दिक्कतें आई थीं और यूपीआई लेन-देन नहीं हो पाया था। इसका एक अन्य कारण यह भी हो सकता है कि इस महीने में दिन कम थे।’
उन्होंने कहा, ‘यह साफ है कि लोगों के लिए भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका यूपीआई रहा है। यह हर महीने यूपीआई के लेन-देन के मूल्य और संख्या में इजाफा होने से नजर आता है।’ फरवरी, 2023 की तुलना में इस फरवरी के दौरान यूपीआई से लेन-देन की संख्या में 61 फीसदी और मूल्य में 48 फीसदी का इजाफा हुआ।
दूसरी तरफ, फरवरी में तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) लेन-देन की संख्या में 5 फीसदी और मूल्य में 0.4 फीसदी का इजाफा हुआ। इसका मूल्य फरवरी में 5.68 लाख करोड़ रुपये था जबकि यह मूल्य जनवरी में 5.66 लाख करोड़ रुपये था।
हालांकि दिसंबर में लेन-देन का मूल्य 5.7 लाख करोड़ रुपये था। लिहाजा दिसबंर की तुलना में फरवरी में गिरावट आई। दूसरी तरफ आईएमपीएस लेन-देन की संख्या बढ़कर फरवरी 53.5 करोड़ हो गई जबकि यह संख्या जनवरी में 50.9 करोड़ और दिसंबर में 49.9 करोड़ थी। फरवरी, 2023 की तुलना में इस फरवरी में संख्या में 19 फीसदी और मूल्य में 21 फीसदी का इजाफा हुआ।
फरवरी में फॉस्टैग से लेन-देन के मूल्य में थोड़ा इजाफा हुआ। यह फरवरी में 5,582 करोड़ रुपये था, जबकि जनवरी 2024 में यह 5,560 करोड़ रुपये रहा था।