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किफायत बड़े काम की चीज

Last Updated- December 08, 2022 | 6:04 AM IST

‘सेहत या संपत्ति में से किसको क्यों चुनें, जब आप दोनों के लाभ उठा सकते हों?’ यह विज्ञापन हममें से कई लोगों ने सैकड़ों बार देखा होगा।


यह योजना टाटा एआईजी लाइफ इन्वेस्टऐश्योर हेल्थ है, जो एक बीमा पॉलिसी है। बीमा कंपनी का कहना है कि यह पॉलिसी सेहत के साथ-साथ संपत्ति के लिए आपको कवर देती है।


तो आखिर यह योजना है किस बारे में? इन्वेस्टऐश्योर हेल्थ एक यूनिट-लिंक्ड स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसकी अवधि 10 से 40 साल है।

इस योजना को 18 साल की आयु से लेकर 55 साल की आयु तक के लिए लिया जा सकता है और इस योजना में अधिकतम परिपक्वता आयु 65 वर्ष है।

योजना की विशेषता

हेल्थ बेनेफिट : इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती पॉलिसीधारक को हर दिन के लिए 500 रुपये से 3,000 रुपये (500 से गुणक में) तक एकमुश्त लाभ मिलता है। एक साल में अस्पताल में भर्ती होने की अधिकतम अवधि 120 दिन तय की गई है।

इसमें जीवनभर की सीमा है और रोजाना अस्पताल लाभ (डीएचबी) और आईसीयू लाभ के मामले में यह सीमा क्रमश: 730 और 90 दिन है।

सर्जिकल बेनेफिट (एसबी) : यह योजना 900 से अधिक सर्जरी के लिए भुगतान करती है। हालांकि सर्जिकल बेनेफिट डीएचबी के 20 गुना तक सीमित है।

इसका मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा 3,000 रुपये # 20 ही आपको सर्जिकल बेनिफिट का फायदा मिलेगा। यह ऑपरेशन की गंभीरता और उसके प्रकार पर निर्भर है।

फैमिली कवरेज : यह भी आपके पास एक विकल्प है, जिसमें आप पति-पत्नी और दो बच्चों के लिए भी अस्पताल का कवर पा सकते हैं। पति-पत्नी और बच्चों के लिए डीएचबी मूल कवर का 100  और 50 प्रतिशत हो सकता है।

मैच्योरिटी बेनेफिट : आपके जीवित रहने पर आपको टाइम प्लस मैच्योरिटी बोनस के समय पैसे मिल जाएंगे।

अगर 10 साल से अधिक समय तक लगातार प्रीमियम का भुगतान किया हो तो निरंतर प्रीमियम की कीमत के 2 से 4 प्रतिशत तक बतौर मैच्योरिटी बोनस पॉलिसी परिपक्व होने पर दिया जाता है।

इसमें आपके पास निवेश के 6 विकल्प हैं। आपके जोखिम प्रोफाइल के मद्देनजर आप 100 प्रतिशत डेट या इक्विटी विकल्प या फिर दोनों के मिश्रण को चुन सकते हैं।

जिस प्रीमियम का आप भुगतान करते हैं उसमें से आवंटन शुल्क निकाल कर बाकी निवेश किया जाता है।

सेटलमेंट ऑप्शन : पॉलिसी परिपक्व होने पर आपके पास परिपक्व राशि को एकमुश्त रकम के तौर पर या फिर 5 वर्षों में किस्तों के तौर पर लेने का विकल्प होता है। ऐसे अवधि वाले भुगतानों की कीमत चुने गए फंडों के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

इसमें गंभीर बीमारी से लेकर टर्म राइडर तक कोई भी राइडर चुनने का विकल्प है।

जहां तक खर्च की बात है तो इस पॉलिसी में 10 लाख रुपये तक के प्रीमियम पर शुरुआती दो सालों में 14 से 19 प्रतिशत तक प्रीमियम आवंटन शुल्क लिया जाता है। 10 रुपये से 99.99 लाख रुपये के प्रीमियमों के लिए यह आंकड़ा घटकर 9 प्रतिशत और 1 करोड़ रुपये के लिए 1.5 प्रतिशत है।

इसका मतलब है कि 9 लाख रुपये के प्रीमियम पर पहले दो साल में प्रीमियम आवंटन शुल्क 1.35 लाख रुपये होगा जो तीसरे से पांचवें वर्ष में घटकर 3 प्रतिशत हो जाएगा। साथ ही टॉप-अप प्रीमियमों पर अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत लगाया जाता है।

प्रीमियम आवंटन शुल्क के अलावा इसमें मॉर्बिडिटी शुल्क, फंड प्रबंधन शुल्क, सरेंडर चार्ज, सेवा कर आदि शामिल हैं। पुरानी बीमारियों के लिए लाभ को सीमित किया गया है या उन्हें कवर में कम किया गया है।

इसके अलावा कई सीमाएं लगाई गई हैं, जिसमें 1 साल में आईसीयू बेनेफिट को सिर्फ 90,000 रुपये तक सीमित करना और डीएचबी और आईसीयू पर सालाना और जीवनभर सीमा को कम करना शामिल है।

दिलचस्प यह है कि इन प्रीमियमों की गारंटी सिर्फ तीन साल के लिए दी गई है। इसके बाद बीमारी के अनुसार समीक्षा की जाती है।

First Published - November 30, 2008 | 9:51 PM IST

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