अधिकतर बैंकों ने संकेत दिया कि गैर-पंजीकृत URL, OTT लिंक और एपीके वाले संदेशों को ब्लॉक करने के भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आदेश से उन पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वे आम तौर पर मार्केटिंग सामग्री भेजते ही नहीं हैं। किंतु प्रचार संबंधी संदेश भेजने वाले वित्तीय संस्थानों को कामकाज में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन चुनौतियों में प्रत्येक संचार लिंक को व्हाइटलिस्ट में डालने, दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ तालमेल बिठाने और पंजीकरण के बाद ग्राहकों के साथ सुगम संचार सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम को अपडेट करना शामिल है।
ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों को 1 सितंबर से गैर-पंजीकृत यूआरएल, ओटीटी लिंक, एपीके या कॉल-बैक नंबरों से आने वाले संदेशों को हर हाल में ब्लॉक करने के लिए कहा है। जिन वित्तीय संस्थान तथा अन्य इकाइयों ने अपनी सामग्री को ऑपरेटरों के पास अभी तक पंजीकृत नहीं कराया है, उन्हें इस तरह के संदेश भेजने में परेशानी होगी और उनकी सामग्री ब्लॉक कर दी जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में दूरसंचार ऑपरेटरों के पास केवल हेडर और टेम्प्लेट को पंजीकृत कराना होता था संदेश की सामग्री को नहीं। लेकिन 1 सितंबर से दूरसंचार ऑपरेटरों को संदेश की सामग्री की समीक्षा करनी होगी और यह जांचने के बाद कि वे पंजीकृत हैं या नहीं, उसे भेजने की अनुमति देंगे या ब्लॉक करेंगे।
सूत्रों के अनुसार देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक ने नियामक की आवश्यकता के मुताबिक पहले ही अपनी सामग्री को व्हाइटलिस्ट कर लिया है। ऐसे में ट्राई के इस निर्देश से बैंक या उनके ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
निजी क्षेत्र के एक बैंक के बैंकर ने कहा कि ट्राई का यह आदेश एसएमएस के जरिये भेजे जाने वाली मार्केटिंग सामग्री, साथ ही ऐसे एसएमएस जिनमें वेबसाइट्स के लिंक होंगे या ग्राहकों से एपीके डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है, पर लागू होता है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे एसएमएस ज्यदातर ग्राहकों के लिए अलर्ट होते हैं जिसमें कोई लिंक नहीं होता है। एसएमएस सेवा प्रदाता इस नियमन से अवगत हैं और इसका अनुपालन सुनिश्चित कर रहे हैं।’हालांकि विशेषज्ञों ने संकेत दिया कि प्रचार सामग्री भेजने वाले वित्तीय संस्थान अगर 31 अगस्त की समयसीमा तक दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के वरिष्ठ अध्यक्ष एवं प्रमुख (परिचालन एवं ग्राहक सेवा) केवी दीपू ने कहा, ‘बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस द्वारा उपयोग किए जाने वाले हर संचार लिंक और नंबर को व्हाइटलिस्ट में शामिल करना परिचालन संबंधी बुनियादी चुनौती है। इसके लिए दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ सावधानीपूर्वक तालमेल बिठाने और निर्बाध संचार सुनिश्चित करने के लिए हमारे सिस्टम को तत्काल अपडेट की जरूरत होगी।’
दीपू ने कहा, ‘यह एक पेंचीदा काम है, खास कर विभिन्न संचार चैनलों में इस सूची को एकीकृत करने और प्रबंधन के लिहाज से। मगर हम इसे अपने संचार ढांचे को मजबूत एवं प्रक्रियाओं को दुरुस्त करने के एक अवसर के रूप में देखते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ग्राहक अनुभव में किसी भी तरह के व्यवधान के बिना इन बदलावों को लागू किया जाए। यह हमारी पहली प्राथमिकता होगी। सभी हितधारकों के साथ सक्रियता से काम करते हुए हमें विश्वास है कि हम कुशलतापूर्वक इन चुनौतियों से निपट लेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि अगर पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरी नहीं हुई तो बैंकों, वित्तीय संस्थानों और ग्राहकों के बीच संचार में तात्कालिक व्यवधान अथवा देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण की प्रक्रिया और मैसेज सामग्री को व्हाइटलिस्ट में शामिल करने के लिए दूरसंचार कंपनियों और कारोबारियों दोनों को कुछ अतिरिक्त लागत का बोझ उठाना पड़ सकता है। दूरसंचार कंपनियों को इसके लिए प्रौद्योगिकी एवं कर्मचारियों में निवेश करना पड़ेगा जबकि कारोबारियों को पंजीकरण शुल्क एवं अनुपालन के लिए खर्च करने पड़ेंगे।
बीमा क्षेत्र के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि वे अपने कुछ संचार को व्हाट्सऐप पर हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में हैं क्योंकि वे पूर्ण अनुपालन के लिए काम कर रहे हैं।
इंडिया फर्स्टलाइफ के एमडी एवं सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा, ‘इंडिया फर्स्टलाइफ में इसका ग्राहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमारी ओर से ग्राहकों को भेजे जाने वाली सभी सामग्रियों को भेजने से पहले डीएलटी पर पंजीकृत किया जाता है। यह हमारी डिफॉल्ट प्रक्रिया है।’