भारतीय बैंकों की सेहत में लगातार सुधार दिख रहा है। भारत में बैंकिंग पर अपनी वार्षिक रुझान एवं प्रगति रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि साल 2021-22 में सात साल के अंतराल के बाद भारतीय बैंकों के बहीखाते में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसंपत्ति गुणवत्ता और पूंजी की स्थिति में सुधार होने से ऐसा संभव हो सका।
मगर आरबीआई ने पुनर्गठित खातों से स्लिपेज के प्रति आगाह भी किया है। बैंकिंग नियामक ने कहा कि इस पर करीबी नजर रखने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अच्छा यही होगा कि आगे चलकर बैंक ऋण जोखिम कम करने के लिए उचित जांच-परख और मूल्यांकन सुनिश्चित करें।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यदि गिरावट का जोखिम बरकरार रहेगा तो परिसंपत्ति की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसलिए पुनर्गठित परिसंपत्तियों में स्लिपेज पर करीबी नजर रखने की आवश्यकता है।’ रिपोर्ट कहती है कि दबावग्रस्त परिसंपत्तियों का समय पर समाधान होने से परिसंपत्ति मूल्य में गिरावट को रोका जा सकता है।
दमदार बहीखाते की बदौलत सरकारी बैंक जमा और ऋण आवंटन दोनों में ही मजबूत स्थिति में हैं। रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में कुल जमा रकम (डिपॉजिट) में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 62 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। ऋण आवंटन के मामलों में इन बैंकों की हिस्सेदारी 58 प्रतिशत है। बैंकों के ऋण आवंटन की रफ्तार दस वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
वाणिज्यिक बैंकों के मुनाफे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014-15 की तुलना में इक्विटी पर रिटर्न और परिसंपत्ति पर रिटर्न में सुधार हुआ है। भारत में बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार लगातार जारी है। गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सितंबर 2022 में घटकर कुल आवंटित ऋण की 5 प्रतिशत रह गईं। मार्च में ये 2022 में कुल आवंटित ऋण की 5.8 प्रतिशत थीं।
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रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नए फंसे कर्ज और बकाया सकल एनपीए में कमी से यह गिरावट दर्ज की गई।’ वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में बट्टे खाते में डाले गए ऋणों की वजह से कमी आई थी। दूसरी तरफ निजी बैंकों के मामले में एनपीए बन चुके ऋणों के मानक खातों में तब्दील होने से परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ। पूंजी की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 5 वर्षों से बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में लगातार सुधार हो रहा है। सितंबर, 2022 के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मामलों में बहीखातों से इतर परिचालनों में आकस्मिक देनदारियां 23 प्रतिशत से अधिक हो गईं, जो पिछले 11 वर्षों का सर्वाधिक आंकड़ा है। बहीखाते के प्रतिशत के रूप में आकस्मिक देनदारियां 2021-22 में बढ़कर 133 प्रतिशत हो गईं, जो 2020-21 में 119 प्रतिशत थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लगातार दो वर्षों तक कम होने के बाद वाणिज्यिक बैंकों द्वारा खोले जाने वाली कुल शाखाओं की संख्या 2021-22 के दौरान 4.6 प्रतिशत बढ़ गई।