facebookmetapixel
सोने और चांदी में निवेश करने से पहले जान लें कि ETF पर कैसे लगता है टैक्सMarket This Week: विदेशी निवेशकों की वापसी, 3 महीने की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त; निवेशकों ने वेल्थ ₹3.5 लाख करोड़ बढ़ीस्टॉक या MF में नहीं लगाना पैसा! AIF है नया विकल्प, कैसे शुरू कर सकते हैं निवेशइ​क्विटी MF में लगातार दूसरे महीने गिरावट, सितंबर में ₹30,421 करोड़ आया निवेश; Gold ETF में करीब 4 गुना बढ़ा इनफ्लोमुकेश अंबानी की RIL के Q2 नतीजे जल्द! जानिए तारीख और समय2025 में रियल एस्टेट को बड़ा बूस्ट, विदेशी और घरेलू निवेशकों ने लगाए ₹75,000 करोड़Canara HSBC Life IPO: ₹2516 करोड़ का आईपीओ, प्राइस बैंड ₹100-₹106; अप्लाई करने से पहले चेक करें डिटेल्सNobel Peace Prize 2025: ट्रंप की उम्मीदें खत्म, वेनेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो को मिला शांति का नोबेलTata Capital IPO का अलॉटमेंट हुआ फाइनल; जानिए ग्रे मार्केट से क्या संकेत मिल रहे हैंTCS अगले 3 साल में यूके में देगी 5,000 नए जॉब, लंदन में लॉन्च किया AI एक्सपीरियंस जोन

बैंकों का बहीखाता दमदार, सात साल बाद दिखी दो अंकों में वृद्धि-RBI

सकल एनपीए घटकर 5 फीसदी, पुनर्गठित खातों से हो सकती है मुश्किल

Last Updated- December 28, 2022 | 12:22 AM IST
repo rate
BS

भारतीय बैंकों की सेहत में लगातार सुधार दिख रहा है। भारत में बैंकिंग पर अपनी वा​र्षिक रुझान एवं प्रगति रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि साल 2021-22 में सात साल के अंतराल के बाद भारतीय बैंकों के बहीखाते में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसंप​त्ति गुणवत्ता और पूंजी की ​स्थिति में सुधार होने से ऐसा संभव हो सका।

मगर आरबीआई ने पुनर्गठित खातों से ​स्लिपेज के प्रति आगाह भी किया है। बैंकिंग नियामक ने कहा कि इस पर करीबी नजर रखने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अच्छा यही होगा कि आगे चलकर बैंक ऋण जोखिम कम करने के लिए उचित जांच-परख और मूल्यांकन सुनिश्चित करें।’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यदि गिरावट का जो​खिम बरकरार रहेगा तो परिसंप​त्ति की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसलिए पुनर्गठित परिसंप​त्तियों में स्लिपेज पर करीबी नजर रखने की आवश्यकता है।’ रिपोर्ट कहती है कि दबावग्रस्त परिसंप​त्तियों का समय पर समाधान होने से परिसंप​त्ति मूल्य में गिरावट को रोका जा सकता है।

दमदार बहीखाते की बदौलत सरकारी बैंक जमा और ऋण आवंटन दोनों में ही मजबूत स्थिति में हैं। रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में कुल जमा रकम (डिपॉजिट) में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 62 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। ऋण आवंटन के मामलों में इन बैंकों की हिस्सेदारी 58 प्रतिशत है। बैंकों के ऋण आवंटन की रफ्तार दस वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।

वाणिज्यिक बैंकों के मुनाफे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014-15 की तुलना में इक्विटी पर रिटर्न और परिसंपत्ति पर रिटर्न में सुधार हुआ है। भारत में बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार लगातार जारी है। गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सितंबर 2022 में घटकर कुल आवंटित ऋण की 5 प्रतिशत रह गईं। मार्च में ये 2022 में कुल आवंटित ऋण की 5.8 प्रतिशत थीं।

यह भी पढ़ें: टिकाऊ नकदी डालने की जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नए फंसे कर्ज और बकाया सकल एनपीए में कमी से यह गिरावट दर्ज की गई।’ वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में बट्टे खाते में डाले गए ऋणों की वजह से कमी आई थी। दूसरी तरफ निजी बैंकों के मामले में एनपीए बन चुके ऋणों के मानक खातों में तब्दील होने से परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ। पूंजी की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 5 वर्षों से बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में लगातार सुधार हो रहा है। सितंबर, 2022 के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16 प्रतिशत था।

रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मामलों में बहीखातों से इतर परिचालनों में आकस्मिक देनदारियां 23 प्रतिशत से अधिक हो गईं, जो पिछले 11 वर्षों का सर्वाधिक आंकड़ा है। बहीखाते के प्रतिशत के रूप में आकस्मिक देनदारियां 2021-22 में बढ़कर 133 प्रतिशत हो गईं, जो 2020-21 में 119 प्रतिशत थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लगातार दो वर्षों तक कम होने के बाद वाणिज्यिक बैंकों द्वारा खोले जाने वाली कुल शाखाओं की संख्या 2021-22 के दौरान 4.6 प्रतिशत बढ़ गई।

First Published - December 27, 2022 | 10:43 PM IST

संबंधित पोस्ट