भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक के वर्ग में बने रहेंगे। स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक को अप्रैल 2025 की शुरुआत से अतिरिक्त पूंजी बफर बनाए रखने की जरूरत होगी।
स्टेट बैंक की 1 अप्रैल, 2025 से अतिरिक्त पूंजी जरूरत 20 आधार अंक बढ़कर उसके जोखिम भारित परिसंपत्तियों का 0.80 फीसदी हो जाएगी, जो इस समय 0.60 फीसदी है। इसी तरह से एचडीएफसी बैंक की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत इतनी ही मात्रा में बढ़कर उसके जोखिम भारित परिसंपत्तियों का 0.40 फीसदी हो जाएगी, जो इस समय 0.20 फीसदी है।
प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक वे होते हैं, जो अपने आकार, अंतर-अधिकार क्षेत्र की गतिविधियों, जटिलता, अपने विकल्प की कमी और एक दूसरे से जुड़े होने के कारण इतने बड़े हो जाते हैं कि उनका विफल होना विनाशकारी हो सकता है। इन बैंकों की अव्यवस्थित विफलता से बैंकिंग प्रणाली को प्रदान की जाने वाली आवश्यक सेवाओं और इसकी वजह से, समग्र आर्थिक गतिविधि में महत्त्वपूर्ण व्यवधान पैदा होने की संभावना है।
रिजर्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को क्रमशः 2015 और 2016 में प्रणाली के हिसाब से घरेलू महत्त्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) घोषित किया था। उसके बाद 2017 में एचडीएफसी बैंक को भी स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के साथ डी-एसआईबी के रूप में वर्गीकृत किया गया।