प्रतीकात्मक तस्वीर
भारत में वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में प्रतिभूतीकरण लगभग 73,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 70,000 करोड़ रुपये था। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट ने शुक्रवार को दी।
स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट व ग्रुप हेड मनुश्री सग्गर ने बताया ‘वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के लिए प्रतिभूतीकरण लगभग 73,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज किए गए 70,000 करोड़ रुपये से अधिक है। वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में बाजार की मात्रा में वृद्धि मुख्य रूप से एक बड़े बैंक की महत्त्वपूर्ण गतिविधि के कारण हुई थी। इसके विपरीत वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के अनुसार वृद्धि को कुछ कॉर्पोरेट लेनदेन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।’
नियमित मात्रा 50,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रही जो इक्रा के अनुमानों के अनुरूप है। सग्गर ने कहा कि कुछ बड़े वाहन और मॉर्गेज लेंडर्स ने अपनी बिक्री की गतिविधि को कम कर दिया लेकिन माइक्रोफाइनैंस ऋणदाता की बढ़ी हुई भागीदारी से गिरावट को संतुलित किया गया। यह बदलाव ऋण देने वाले के व्यवहार में रुझान को उजागर करता है।
कुछ ओरिजिनेटर्स के प्रति ऋणदाता का अधिक जोखिम-प्रतिकूल दृष्टिकोण है, जिसमें ऋणदाता पारंपरिक ऑन-बैलेंस शीट फंडिंग पर प्रतिभूतीकरण के जरिये निवेश करना चुन रहे हैं।