प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि ‘वित्तीय समावेशन की राष्ट्रीय रणनीति 2025-30’ के तहत सभी सामाजिक-आर्थिक व भौगोलिक क्षेत्रों में बचत, भुगतान, प्रेषण, क्रेडिट, निवेश, बीमा और पेंशन सहित औपचारिक वित्तीय सेवाओं के विस्तृत समूह तक समान, जिम्मेदार, उपयुक्त व किफायती पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा। यह रणनीति अंतिम छोर तक सेवा वितरण की गुणवत्ता, निरंतरता और प्रभावशीलता में सुधार पर बहुत अधिक जोर देती है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि नई रणनीति को बेहतर वित्तीय साक्षरता पहल, उपभोक्ताओं के बीच अधिक जागरूकता और मजबूत ग्राहक सुरक्षा ढांचे का समर्थन मिलेगा। बीती वित्तीय समावेशन की राष्ट्रीय रणनीति (2019-24) ने व्यापक विस्तार, वित्तीय साक्षरता को बेहतर करके और ग्राहकों सुरक्षा को मजबूत किया। इससे दायरा बढ़ा, जड़े मजबूत हुईं और वित्तीय समावेशन बढ़ा। इससे आर्थिक स्वास्थ्य और सतत विकास को योगदान मिला।
वित्तीय समावेशन की राष्ट्रीय रणनीति सोमवार को जारी हुई। इसमें रणनीति के पांच उद्देश्य ‘पंच ज्योति’ का उल्लेख किया। इसमें घरों और सूक्ष्म उद्यमों के लिए समान और किफायती वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता और उपयोग में सुधार शामिल है। अन्य उद्देश्यों में महिलाओं के नेतृत्व वाले वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और वंचित व कमजोर घरों को मजबूत करने के लिए लिंग-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना शामिल है। इसके तहत आजीविका और कौशल विकास पहलों और व्यापक समर्थन इकोसिस्टम के बीच तालमेल बनाना शामिल है।