कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 6 करोड़ उपभोक्ताओं को आज बड़ी राहत मिली है क्योंकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने शेयरों मेंं निवेश पर मिलने वाले प्रतिफल के कारण 2020-21 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दर बरकरार रखने का फैसला किया है। हालांकि 8.5 प्रतिशत ब्याज दर 2012-13 के बाद सबसे कम ब्याज दर है लेकिन यह फैसला सुखद आश्चर्य के रूप में आया जिसको लेकर लंबे समय से यह बात चल रही थी कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। यह फैसला गुरुवार को श्रीनगर में हुई बैठक में लिया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि ईपीएफ की ऊंची ब्याज दर के साथ चक्रवृद्घि दर से ग्राहकों के मुनाफे में काफी अंतर आता है।
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘ईपीएफओ ने लगातार निवेश के प्रति रूढि़वादी रवैया अपनाते हुए सबसे पहले मूल धन की सुरक्षा पर जोर दिया है। ईपीएफओ की जोखिम सहने की क्षमता काफी कम है क्योंकि इसमें गरीब लोगों की सेवानिवृत्ति की बचत के पैसे का निवेश करना भी शामिल है।’
साल 2015-16 की अवधि के दौरान ईपीएफओ ने बड़ी चतुराई से एनएसई 50 और बीएसई 30 सूचकांकों वाले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड मेंं निवेश करना शुरू कर दिया। शेयरोंं में निवेश वित्त वर्ष 2015 के 5 फीसदी से लेकर बाद में 15 फीसदी तक हो गया। वित्त वर्ष 2021 के लिए ईपीएफओ ने निवेश को भुनाने का फैसला किया है और जिस ब्याज दर की सिफारिश की गई है वह दरअसल ऋण निवेश से मिले ब्याज और इक्विटी निवेश से मिली आय वाली संयुक्त आमदनी है। इसकी वजह से ही ईपीएफओ अपने ग्राहकों को ज्यादा प्रतिफल देने में सक्षम हुआ है और ईपीएफओ भविष्य में भी अधिशेष की वजह से बेहतर प्रतिफल देने की स्थिति मेंं है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में ईपीएफ को 8.5 फीसदी की दर पर बनाए रखना बेहद सकारात्मक कदम है।
इक्विरस वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंकुर माहेश्वरी कहते हैं, ‘बजट के बाद कुछ हफ्ते को छोड़कर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान ब्याज दरें कम हो रही थीं।10 साल के सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल कम होकर करीब 5.7 फीसदी के स्तर पर आ गया था। ऐसे माहौल में ईपीएफ की ब्याज दर में कोई बदलाव न होने देना लंबी अवधि के बचतकर्ताओं के हित में है।’
डेलॉयट इंडिया में अधिकारी आरती रावटे ने कहा कि ईपीएफओ की घोषणा स्वागत योग्य खबर है क्योंकि अन्य सभी ब्याज दरों में गिरावट है। अन्य निश्चित आय वाली योजनाओं के साथ तुलना से पता चलता है कि ईपीएफ का आकर्षण अब भी बरकरार है। निश्चित आमदनी के पक्ष के लिहाज से देखा जाए तो सबसे लोकप्रिय बैंक की सावधि जमा है। लेकिन स्टेट बैंक 1 से 10 साल की सावधि जमा पर गैर-वरिष्ठ नागरिकों को केवल 5-5.4 प्रतिशत ब्याज दर दे रहा है।