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बढ़ती परिसंपत्ति बना मसला

Last Updated- December 05, 2022 | 4:37 PM IST


रिलायंस ग्रोथ सबसे बड़ा मिड कैप फंड है जिसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति 3,500 करोड़ रुपये से अधिक है। यह फंड पिछले कई वर्षों से अपने बराबरी के फंडों से बड़े मार्जिन के साथ आगे बना हुआ है।


 


वर्ष 2001 में सूचना प्रौद्योगिकी के शेयरों के लुढक़ने के बाद वर्ष 2002 में इसकी जबरदस्त वापसी हुई थी और इसने 55.75 प्रतिशत का प्रतिफल दिया था। 59 फंडों के वर्ग में यह दूसरा सबसे अच्छा फंड था। चार कैलेंडर वर्षों से इस फंड ने अपनी शीर्ष तिमाही स्थान को बरकरार रखा है। हालांकि, वर्ष 2006 में 145 फंडों में इसका स्थान 53वां था और इसने 41 प्रतिशत का प्रतिफल दिया था।


 


लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में फंड का आवंटन बदलता रहता है लेकिन पिछले एक वर्ष में स्मॉल कैप में इसका निवेश 15 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है। पिछले दिनों फंड ने एक नीति अपनाई थी। यह कुछ स्टॉक खरीद कर उसमें निवेश बनाए रखता था और कुछेक स्टॉक के मामले में यह शीघ्रता से लाभ अर्जित करता था। इस फंड की चतुरता सब जानते हैं।


 


 वर्ष 2001 में इस फंड ने निजी क्षेत्र की कंपनियों और तकनीकी शेयरों में अधिक निवेश किया था।वर्ष 2002 में एफएमसीजी स्टॉक में निवेश बनाए रखने से फंड ने अपने वर्ग में दूसरा सबसे अच्छा प्रतिफल दिया। वर्ष 2003 में बैंक और ऑटो के क्षेत्र में आई तेजी को देखते हुए रिलायंस ग्रोथ ने दोनों क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ा दिया।


 


पिछले छह महीनों में इस फंड ने धातु में निवेश बढ़ाया है जबकि अभियांत्रिकी, तकनीक और वित्तीय सेवाओं में निवेश बरकरार रखा है। हालांकि, मिडकैप फंड होने के कारण रिलायंस ग्रोथ का बड़ा परिसंपत्ति आकार चिंता का विषय है। मिड कैप फंड के लिए आकार बढ़ने के साथ मिडकैप शेयरों के लिए आक्रामक रुख अपनाना थोड़ा कम हो जाता है।

वर्तमान समय में इस फंड के प्रदर्शन का रिकॉर्ड बहुत बढ़िया है। लेकिन यह देखा जाना है कि अपनी बड़ी परिसंपत्ति आकार के साथ क्या यह फंड इसे बरकरार रख पाता है। पिछले वर्ष अप्रैल महीने में इस फंड ने नया निवेश मना कर दिया था। लेकिन वर्ष 2006 के अगस्त महीने में इसने नए निवेश के लिए अपने द्वार खोल दिए।

First Published - March 17, 2008 | 5:05 PM IST

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