वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करते समय वित्त मंत्री ने आयकर नियमों में कई बदलावों का प्रस्ताव किया था, जो 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे। देखते हैं कि इनसे करदाताओं पर कितना और कैसा प्रभाव पड़ेगा।
भविष्य निधि पर कर
अभी कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से मिलने वाली रकम और उसमें होने वाले अंशदान पर किसी तरह का ब्याज नहीं वसूला जाता। मगर 1 अप्रैल से 2.5 लाख रुपये से अधिक का अंशदान हुआ तो व्यक्ति को मिलने वाले ब्याज पर उसके आयकर स्लैब के हिसाब से कर लिया जाएगा। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता ने कहा, ‘सरकार ने भले ही 2.5 लाख रुपये से अधिक के अंशदान पर मिलने वाला ब्याज कर योग्य बेशक बना दिया है मगर ईपीएफ अभी निवेश का आकर्षक साधन है।’ कर्मचारी के अंशदान पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर वसूला जाएगा। 2.5 लाख रुपये तक का अंशदान होने पर 8.5 प्रतिशत की दर (या अगले वित्त वर्ष के लिए जो भी दर घोषित होगी) से कर मुक्त ब्याज मिलेगा। 2.5 लाख रुपये से अधिक के अंशदान पर कर लगूने के बाद भी अधिकतर कर स्लैब वाले व्यक्ति को कटौती के बाद 5.85 प्रतिशत का शुद्ध प्रतिफल मिलेगा। सरकारी संस्थाओं की स्थिर आय योजनाओं में से केवल लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) ही 7.1 फीसदी के कर मुक्त प्रतिफल के साथ इस पर भारी पड़ती है।
बुजुर्गों को रिटर्न से छूट
बजट में 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स रिटर्न दाखिल करने से छूट दे दी गई है। लेकिन यह छूट उन्हीं वरिष्ठ नागरिकों पर लागू होगी, जिनके पास पेंशन और पेंशन खाते पर आने वाले बैंक ब्याज के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। रिटर्न के दाखिले से छूट कर निर्धारण वर्ष 2022-23 से उपलब्ध होगी।
टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा बताते हैं, ‘यदि कोई वरिष्ठ नागरिक को किसी अन्य बैंक से बतौर ब्याज मामूली आय भी हासिल होती है तो उसे यह छूट नहीं मिल पाएगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि पीपीएफ से ब्याज, कृषि आय आदि से कर मुक्त आय हासिाल करने वाले वरिष्ठ नागरिक को भी यह छूट मिलेगी या नहीं।’ वाधवा का विचार है कि चूंकि इस प्रावधान का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाना है, इसलिए इसे उदारतापूर्वक देखा जाना चाहिए और ऐसे मामले में भी लाभ मिलना चाहिए।
पहले से भरे रिटर्न फॉर्म
अगले वित्त वर्ष से पहले से भरे आयकर रिटर्न फॉर्म उपलब्ध होंगे, जिनमें टीडीएस, सूचीबद्ध प्रतिभूति और लाभांश से पूंजीगत लाभ, बैंक और डाकघर से ब्याज, वेतन आय, कर भुगतान आदि का ब्योरा पहले ही दिया गया होगा। इससे रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाएगा। कई प्रकार के परामर्श देने वाली फर्म टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी के विवेक जालान कहते हैं, ‘रिटर्न फॉर्म में ब्योरा बेशक भरा हो मगर उसे आंख मूंदकर दाखिल नहीं कर देना चाहिए। सबसे पहले करदाता अपने बैंक स्टेटमेंट और अन्य आय स्रोतों को जांच लें और उनके ब्योरे का रिटर्न से मिलान कर लें, उसके बाद ही रिटर्न भरें।’
रिटर्न नहीं तो जुर्माना
अधिक से अधिक लोग कर रिटर्न दाखिल करें, इसके लिए वित्त मंत्री ने बजट में उन लोगों को दंडित करने का प्रस्ताव किया था, जो भारी टीडीएस या टीसीएस अदा करते हैं मगर रिटर्न दाखिल नहीं करते। नए प्रस्ताव के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति ने पिछले दो वर्षों में 50,000 रुपये या उससे अधिक राशि का टीडीएस/टीसीएस भरा है मगर रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो उसे टीडीएस या टीसीएस की लागू दर एवं 5 प्रतिशत में से जो भी अधिक हो, वह बतौर जुर्माना अदा करना होगा। लेकिन यह प्रावधान ऐसे लेनदेन पर लागू नहीं होगा, जहां कर की पूरी राशि काटनी होगी जैसे वेतन आय, प्रवासी द्वारा भुगतान, लॉटरी आदि।
होस्टबुक लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष कपिल राणा कहते हैं, ‘इससे उन व्यक्तियों की कर रिटर्न दाखल नहीं करने की आदत खत्म होगी, जिनसे कर की पर्øाप्त रकम काट ली गई है।’
एलटीए और एलटीसी
यात्रा भत्ते यानी एलटीए या एलटीसी पर छूट की कैश वाउचर योजना पिछले साल अक्टूबर में शुरू की गई थी। इसके तहत निर्धारित रकम को 31 मार्च से पहले ही खर्च करना होगा क्योंकि 1 अप्रैल से यह योजना खत्म हो जाएगी।