अभ्युदय सहकारी बैंक संभवतः पहला ऐसा ऋणदाता है जिसके बोर्ड को भारतीय रिजर्व बैंक ने व्यावसायिक प्रतिबंध लगाए बिना निलंबित कर दिया था। सूत्रों का कहना है नियामक की यह कार्रवाई दर्शाती है कि उसे भरोसा है कि बहु राज्य सहकारी बैंक के संचालन से छेड़छाड़ किए बिना ऋणदाता की कुछ समस्याओं को खत्म ठीक किया जा सकता है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि 1965 में स्थापित यह बैंक पिछले करीब दो वर्षों से नियामकीय निगरानी में था। सकल गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में इजाफा होने के साथ-साथ पूंजी की स्थिति में गिरावट के कारण बैंक की संपत्ति गुणवत्ता खराब हो गई है।
मई 2022 में रिजर्व बैंक ने कई नियमों की अवहेलना करने पर बैंक पर 58 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। अभ्युदय ने मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद गैर अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) से नई जमा राशि ली और 31 मार्च 2019 तक यूसीबी की मौजूदा जमा राशि पूरी तरह खत्म नहीं किया था।
रिजर्व बैंक ने जुर्माना लगाने के दौरान कहा था कि बैंक ने 942 दिनों के बाद धोखाधड़ी के बारे में बताया और आय पहचान तथा परिसंपत्ति वर्गीकरण के मानदंडों के अुसार कुछ ऋण खातों को एनपीए के रूप में बांटने में भी विफल रहा था।
एक सूत्र ने बताया, ‘नियामक करीब दो वर्षों से बैंक प्रबंधन से लागत और अन्य उपायों को नियंत्रित कर इसकी स्थिति ठीक करने के लिए कह रहा था मगर इसकी अनदेखी की गई।’
मार्च 2020 में बैंक पास करीब 10,838 करोड़ रुपये जमा थे और 6,654 करोड़ का ऋण था। बैंक के 17 लाख से अधिक जमाकर्ता और 109 शाखाएं हैं। खास तौर पर महाराष्ट्र में।
शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने बोर्ड को 12 महीने के लिए भंग कर दिया और भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक सत्यप्रकाश पाठक को बैंक के मामलों का प्रबंधन करने के लिए प्रशासन नियुक्त किया।
प्रशासक की सहायता के लिए सलाहकारों की तीन सदस्यीय समिति भी बनाई गई है। अभ्युदय के मामलों से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि वे मंगलवार को शाखाएं खुलने के बाद तरलता आवश्यकताओं को पूरा करने को लेकर आश्वस्त हैं। बैंक के पास अपने पास और अन्य बैंकों में पर्याप्त नकदी और निकासी की मांग को पूरा करने के लिए प्रतिभूतियां हैं।