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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उत्पादों के विविधीकरण पर जोर

उनकी प्राथमिकता अपने मौजूदा ग्राहकों को बांधे रखने और ग्रामीण क्षेत्रों में नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल बैंक प्लेटफॉर्म को बेहतर करने की होगी।

Last Updated- July 07, 2024 | 9:38 PM IST
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क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) पूंजी पर्याप्तता के समेकन, लाभप्रदता और संपत्ति गुणवत्ता सुधारने के बाद कृषि श्रृंखला और संबंधित क्षेत्रों में एसएमई को उधारी के विविधीकरण पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। उनकी प्राथमिकता अपने मौजूदा ग्राहकों को बांधे रखने और ग्रामीण क्षेत्रों में नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल बैंक प्लेटफॉर्म को बेहतर करने की होगी।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के उप प्रबंध निदेशक गोवर्धन एस. रावत ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कोष बढ़ने और लाभप्रदता के कारण पूंजी पर्याप्तता में सुधार हुआ है और संपत्ति गुणवत्ता मजबूत रही है। अब वे दक्षता और उत्पादकता में निरंतरता कायम रखने के लिए समग्र रूप से प्रयास करेंगे और इसके लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के बोर्ड अपने पांव पर खड़ा होने के लिए पांच वर्षीय रोड मैप तैयार करेंगे।’

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का वित्त वर्ष 22 में पुन: पूंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले 31 मार्च, 2021 को समेकित पूंजी पर्याप्तता 10.16 फीसदी थी। नाबार्ड के आंकड़ों के अनुसार यह वित्त वर्ष 22 में निरंतर रूप से बढ़कर 12.7 फीसदी, वित्त वर्ष 23 में 13.4 फीसदी और वित्त वर्ष 24 में अंतिम रूप से 14.2 फीसदी थी।

सरकार सहित सभी साझेदारों ने वित्त वर्ष 24 की समाप्ति पर करीब तीन वर्ष की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे। इसके पहले आरआरबी में 1975 से वित्त वर्ष 2021 तक सभी साझेदारों ने महज 8,393 करोड़ रुपये मुहैया कराए थे।

ग्रामीण बैंकों का वित्त वर्ष 24 में लोन पोर्टफोलियो सालाना आधार पर 14.5 फीसदी बढ़कर 4.7 लाख करोड़ रुपये हो गया था और जमा राशि 8.4 फीसदी बढ़कर 6.59 लाख करोड़ रुपये हो गई। ऋण जमा अनुपात बढ़कर 71.2 फीसदी हो गया।ग्रामीण ऋण की कम पैठ को देखते हुए बहीखाते के बढ़ने की गुंजाइश है और उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2015 में भी उधारी14-15 फीसदी की सालाना वृद्धि बनाए रखेगी।

रावत ने कहा कि ऋण विविधीकरण में मुख्य रूप से फसल ऋण, जो कि अल्पावधि प्रकृति के होते हैं, से हटकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और कटाई के बाद की गतिविधियों के लिए ऋण देना शामिल होगा, जिससे निवेश और पूंजी निर्माण में मदद मिलेगी।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की लाभप्रदता की बात करें तो वित्त वर्ष 24 में सालाना आधार पर उनका शुद्ध लाभ 52.2 फीसदी बढ़कर 7,571 करोड़ रुपये हो गया। नाबार्ड के आंकड़ों के अनुसार शुद्ध ब्याज मार्जिन वित्त वर्ष 24 में 3.6 फीसदी पर सुस्त रहा जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 3.8 फीसदी था। इनकी संपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ और सकल गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) वित्त वर्ष 23 में 7.3 फीसदी से गिरकर 6.1 फीसदी हो गईं।

First Published - July 7, 2024 | 9:38 PM IST

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