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आरबीआई ने शेयरों के बदले में कर्ज देने और एनबीएफसी के सबसे बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा मांगा

Published by
रघु मोहन
Last Updated- February 28, 2023 | 9:02 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शेयरों के बदले में ऋण देने और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के सबसे बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा मांगा है।

एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय बैंक के पर्यवेक्षण विभाग ने पिछले सप्ताह यह जानकारी मांगी थी और बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा जमा करने की समय सीमा सोमवार थी। आरबीआई का यह संदेश बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है।

शेयरों के बदले उधार देने के संबंध में आरबीआई ने कहा कि इसमें गिरवी के रूप में स्वीकृत या पूंजी बाजार परिचालन के रूप में, कर्जदारों के डिमैट खातों पर मुख्तारनामा प्राप्त करके शेयरों का हस्तांतरण या किसी अन्य माध्यम से किया गया लेन-देन शामिल होगा।

ऋण जोखिम के संबंध में मांगे गए ब्योरे में शामिल हैं – एनबीएफसी के 10 सबसे बड़े ऋण जोखिम, चाहे वे एकल हों या जुड़े हुए; 10 प्रतिशत के बराबर या उससे अधिक का मूल्य अथवा टियर1 पूंजी वाला ऋण जोखिम; टीयर1 पूंजी के 10 प्रतिशत मूल्य वाला अन्य ऋण जोखिम तथा टीयर1 के 10 प्रतिशत के बराबर या इससे अधिक वाले छूट प्राप्त जोखिम।

एक अन्य बैंकर ने कहा कि मांगी गई जानकारी का उद्देश्य बड़े एनबीएफसी कर्जदारों द्वारा क्षेत्रीय (पूंजी बाजार) और सामान्य दोनों ही लाभ का पता लगाना है।

अदाणी प्रकरण से जून 2019 की अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर: 2019) में बैंकिंग नियामक द्वारा जताई गई चिंता के संबंध में भी काफी समर्थन मिला है।

इसमें कहा गया था कि प्रवर्तकों द्वारा गिरवी के अधिक स्तर को चेतावनी संकेत के रूप में देखा जाता है, जो कंपनी की खराब हालत की ओर इशारा करता है और शायद ऐसी स्थिति को जहां कंपनी अन्य विकल्पों के माध्यम से रकम जुटाने में असमर्थ रहती है।

इसके अलावा अधिक गिरवी की गतिविधि किसी भी कंपनी के लिए जोखिम भरी होती है क्योंकि कर्ज चुकाने से कंपनी की वृद्धि के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।

इसमें कहा गया है कि एक सामान्य चलन के रूप में प्रवर्तक शेयर तब गिरवी रखते हैं, जब मौजूदा ऋण प्रबंधन उनके लिए मुश्किल हो जाता है। यह आखिरकार उन्हें एक विस्तृत ऋण जाल ले जाता है, जो निवेशक के हित के लिए हानिकारक होता है।

First Published : February 28, 2023 | 9:02 PM IST