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क्यों चर्चा में है HDFC बैंक? Credit Suisse बॉन्ड का पूरा मामला जानें

ग्राहकों की शिकायतों के बाद बैंक ने जांच शुरू की, कहा - अब तक गलत बिक्री का कोई मामला सामने नहीं आया।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- October 28, 2025 | 3:28 PM IST

भारत के सबसे बड़े निजी बैंक HDFC बैंक ने अपने दो सीनियर अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया है। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि कुछ ग्राहकों ने कहा कि बैंक ने उन्हें Credit Suisse के AT1 बॉन्ड्स गलत तरीके से बेचे। ग्राहकों का कहना है कि इन बॉन्ड्स में बहुत ज्यादा रिस्क था, लेकिन उनको यह बात ठीक से नहीं बताई गई। अब बैंक इस पूरे मामले की जांच कर रहा है। यह जानकारी मामले से जुड़े सूत्रों ने ब्लूमबर्ग को दी है।

ग्राहकों की शिकायत क्या है और कैसे जुड़ा है Credit Suisse का मामला?

ग्राहकों का कहना है कि बैंक ने उन्हें इन बॉन्ड्स के रिस्क के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी। साल 2023 में Credit Suisse का UBS बैंक के साथ जब आपातकालीन विलय हुआ, तो ये बॉन्ड्स पूरी तरह बेकार (राइट-ऑफ) हो गए। इससे दुनिया भर के हजारों निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

HDFC बैंक का क्या कहना है?

HDFC बैंक का कहना है कि उसे अब तक गलत बिक्री (mis-selling) का कोई मामला नहीं मिला है। बैंक ने कहा, “HDFC बैंक अपनी छवि और भरोसे से जुड़ी हर बात को बहुत गंभीरता से लेता है और ग्राहकों की सभी चिंताओं को दूर करने के लिए पूरी तरह तैयार है।”

जांच में अब तक क्या सामने आया?

सूत्रों के मुताबिक, बैंक ने अपनी अंदरूनी जांच शुरू कर दी है, और उसकी रिपोर्ट जल्द ही आ सकती है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि इन बॉन्ड्स को बेचने की मंजूरी किसने दी थी। अगर किसी की गलती पाई गई, तो बैंक उसके खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है।

दुबई में क्या गड़बड़ी मिली और उसका इस विवाद से क्या संबंध है?

पिछले महीने HDFC बैंक ने बताया था कि दुबई के रेगुलेटर ने उसकी काम करने की प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां (कमियां) पाई हैं। इसी वजह से बैंक की दुबई शाखा को नए ग्राहक जोड़ने से कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। हालांकि बैंक ने यह नहीं कहा कि यह मामला AT1 बॉन्ड्स से जुड़ा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसी जांच के कारण दो अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया।

आखिर क्या होते हैं AT1 बॉन्ड्स और क्यों माने जाते हैं इतने जोखिम भरे?

AT1 बॉन्ड्स यानी Additional Tier 1 बॉन्ड्स ऐसे खास तरह के निवेश (हाइब्रिड बॉन्ड्स) होते हैं जो बैंक के लिए पैसा जुटाने का तरीका हैं। अगर बैंक पर वित्तीय संकट आता है, तो इन बॉन्ड्स का पैसा निवेशकों को नहीं लौटाया जाता, यानी नुकसान निवेशकों को होता है। इन बॉन्ड्स में लाभ (रिटर्न) तो ज्यादा होता है, लेकिन जोखिम भी बहुत बड़ा होता है, क्योंकि ये बैंक के कर्ज की सबसे नीचे वाली श्रेणी में आते हैं। भारत में इन बॉन्ड्स को आम लोगों (रिटेल निवेशकों) को नहीं बेचा जा सकता। इन्हें सिर्फ बड़े या प्रोफेशनल निवेशकों को बेचने की इजाजत होती है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)

First Published : October 28, 2025 | 3:19 PM IST