यूनिटधारकों की मृत्यु होने के कारण संपत्तियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया सभी फंड कंपनियों में एकसमान बनाने के लिए एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एम्फी) ने अब उन मामलों में म्युचुअल फंड निवेश के हस्तांतरण के नियमों को अद्यतन बनाया है, जिनमें मृतक यूनिटधारक ने किसी को मनोनीत नहीं किया है। फिनोलॉजी के सीईओ प्रांजल कामरा ने कहा, ‘एम्फी के एकसमान नियम बनाने से सभी म्युचुअल फंड कंपनियों में हस्तांतरण की एक मानक प्रक्रिया सुनिश्चित होगी और कानूनी वारिसों या दावेदारों को अपना निवेश आसानी से हासिल करने में मदद मिलेगी।’
हम संपत्ति बनाने को बहुत अहमियत देते हैं, लेकिन संपत्ति की सुरक्षा और उत्तराधिकार सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। इस दिशा में किसी व्यक्ति को मनोनीत करना पहला अहम कदम है। इक्विरियस वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख (अनुसंधान एवं सलाह) देवांग कक्कड़ ने कहा, ‘मनोनयन से यूनिटधारक की मृत्यु की स्थिति में मनोनीत व्यक्ति को यूनिटों का आसानी से हस्तांतरण सुनिश्चित हो जाता है। मनोनीत व्यक्ति न होने पर यूनिटधारक के संबंधियों और वारिसों को अपने दावे के लिए बहुत से दस्तावेज पेश करने पड़ते हैं, जिसके बाद ही उनके नाम संपत्तियां हस्तांतरित होती हैं।’
मनोनयन का दूसरा फायदा
संपत्ति का वास्तविक मालिक नाबालिग होने या अन्य परिस्थितियों में मनोनीत व्यक्ति संपत्ति का प्राप्तकर्ता बन सकता है और वास्तविक मालिक के लाभ के लिए इसे अपने पास बनाए रख सकता है। डीएसके लीगल में साझेदार अजय शॉ कहते हैं, ‘जिन मामलों में संपत्ति के मूल मालिक ने औपचारिक मनोनयन नहीं किया है, उनमें बीमा पॉलिसी, बैंक जमा खाते, डीमैट खाते या म्युचुअल फंड यूनिट की रकम मृतक की वसीयत के मुताबिक दी जाएगी, बशर्ते कि उनसे ऐसा दस्तावेज तैयार कराया हो। अगर वसीयत नहीं है तो परिसंपत्तियां भारतीय उत्तराधिकार कानून के हिसाब से तय कानूनी वारिसों को दी जाएंगी।’ हालांकि यह कहना आसान और करना कठिन है। आम तौर पर बीमा कंपनियां, फंड हाउस, डिपॉजिटरी भागीदार और बैंक धनराशि या लाभ देने के लिए सक्षम अदालत से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र मांगते हैं। यह अपने आप में महंगी और अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसमें बहुत सी कानूनी अड़चनें भी मौजूद हैं।
म्युचुअल फंड
अच्छी बात यह है कि इस क्षेत्र में कुछ मुद्दों के समाधान के लिए निर्धारित दिशानिर्देश हैं। एएमसी को यूनिट के हस्तांतरण के लिए एम्फी द्वारा निर्धारित एक मानक हस्तांतरण आवेदन फॉर्म और एकसमान सहायक दस्तावेजों को अपनाना होता है। इससे सभी फंडों में यूनिट के हस्तांतरण के लिए आवेदन फॉर्म और आवश्यक दस्तावेज एकसमान होंगे। इससे दावेदारों को बड़ी राहत मिलेगी, जिन्हें पहले कई फंड हाउस में निवेश होने की स्थिति में प्रत्येक एएमसी द्वारा निर्धारित हस्तांतरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।
क्वांटम एएमसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी जिम्मी पटेल ने कहा, ‘जिन मामलों में किसी को मनोनीत नहीं किया गया है, उनमें मृत्यु प्रमाण-पत्र की मूल या नोटरी या सत्यापित फोटो प्रति की जरूरत होगी। मनोनीत या दावेदार या उत्तराधिकारी यूनिटधारकों का केईवासी सत्यापन भी आवश्यक होगा।’ एएमसी के निर्धारित प्रारूप में बैंकों की स्वीकृति जरूरी होगी। इसके तहत बैंक शाखा प्रबंधक से सत्यापन या चेक पर खाता संख्या एवं खाताधारक के नाम समेत कैंसल चेक या बैंक खाता स्टेटमेंट आवश्यक होगी। एफएटीसीए स्व-सत्यापन और दो अतिरिक्त कानूनी दस्तावेज भी पेश करने होंगे।
पटेल ने कहा, ‘अगर दावे की रकम एक निश्चित सीमा से अधिक है तो नोटेरी प्रति या प्रमाणित वसीयत या सक्षम अदालत द्वारा उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या प्रशासन पत्र आवश्यक होगा।’
बैंकिंग
ऐक्सिस बैंक के ईवीपी (खुदरा देनदारी और प्रत्यक्ष बैंकिंग) प्रवीण भट्ट ने कहा, ‘जिन मामलों में खातों में मनोनयन अद्यतन नहीं है तो मृतक ग्राहकों के खातों में मौजूद धनराशि उसके वारिसों को उनकी पहचान सत्यापित करने के बाद जारी कर दी जाती है।’ बैंक खातों में केवल एक व्यक्ति को ही मनोनीत किया जा सकता है। मनोनयन किसी एक व्यक्ति का ही किया जा सकता है। एक से अधिक व्यक्तियों (दो व्यक्तियों तक) के नामांकन की मंजूरी संयुक्त रूप से परिचालित लॉकर खातों में होती है, जिनमें दोनों खाताधारकों की सहमति आवश्यक होती है।
बैंक विभिन्न प्रकार के संयुक्त खाता संबंधों की पेशकश कर सकते हैं। परिवार के जीवित व्यक्ति जैसे संबंध वाले खातों में अगर खाते में कोई मनोनीत भी नहीं है तो जीवित करीबी व्यक्ति को पैसा मिल जाएगा। मनोनीत व्यक्ति तभी पैसा हासिल कर सकता है, जब दोनों खाताधारकों की मृत्यु हो जाती है। अगर कोई मनोनयन नहीं है और दोनों खाताधारकों की मृत्यु हो जाती है तो दोनों जमाकर्ताओं के कानूनी वारिसों को पैसा मिलेगा। दोनों जमाकर्ताओं की मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति या उत्तराधिकारी के लिए मनोनीत व्यक्ति की संपत्ति तक पहुंच होती है। अगर कोई मनोनीत व्यक्ति नहीं है और सभी जमाकर्ताओं की मृत्यु हो जाती है तो सभी जमाकर्ताओं के कानूनी वारिसों को धनराशि मिलेगी।
लोग किसी को मनोनीत करने के बाद भी कुछ आम गलतियां कर जाते हैं। संयुक्त खाते में सभी खाताधारकों की सहमति जरूरी होती है, लेकिन वे मनोनयन में अपनी सहमति देना भूल जाते हैं। इसकी वजह से दावे रद्द हो जाते हैं। मनोनयन फॉर्म में मनोनीत का पता न होने से भी दावे को निपटाने में दिक्कतें आ सकती हैं। लोग एक गलती यह करते हैं कि संपत्ति के मालिक से पहले मौजूदा मनोनीत व्यक्ति की मृत्यु होने पर नया व्यक्ति मनोनीत नहीं करते हैं। दावे के निपटान के समय मनोनीत व्यक्ति के नाम या संबंधी के ब्योरे आदि में अंतर होने से बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। कई बार मनोनयन में लाड-प्यार का नाम दे दिया जाता है।
बीमा
जीवन बीमा इसलिए खरीदा जाता है ताकि पॉलिसीधारक और परिवार की रोजी-रोटी चलाने वाला मुख्य व्यक्ति खुद को कुछ होने की स्थिति में अपने लंबी अवधि के लक्ष्यों को पूरा कर सके और अपने चहेते लोगों के भविष्य को सुरक्षित कर सके। बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (परिचालन एवं ग्राहक अनुभव) कयजाद हीरामाणक ने कहा, ‘बीमा कंपनियां जीवन बीमा खरीदे जाते समय मनोनयन पर जोर देती हैं या इन ब्योरों को अद्यतन करने के लिए व्यापक अभियान चलाती हैं। इससे मनोनीत व्यक्ति के लिए दावे की प्रक्रिया आसान हो जाती है। हालांकि मनोनीत व्यक्ति न होने पर बीमाधारक के कानूनी वारिस उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या अन्य सबूत के अलावा दावे के कागजात जमा कराकर कंपनी में दावा कर सकते हैं।’ यह बात ध्यान रखें कि वास्तविक लाभार्थियों का निर्धारण विभिन्न कारकों से होता है। आम तौर पर बीमा कंपनियां दावे की राशि श्रेणी-1 के कानूनी वारिसों जैसे बेटा, बेटी, विधवा, मां आदि को देती हैं। लेकिन अगर वसीयत है तो धनराशि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के हिसाब से दस्तावेज में उल्लिखत वसीयतकर्ता की इच्छा के मुताबिक वितरित होगी। लेकिन यह याद रखें कि मनोनयन न होने पर आपके परिवार का अनुभव जटिल हो सकता है क्योंकि अदालत से उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र हासिल करना आसान नहीं है। आपके आश्रितों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा और इसे हासिल करने के लिए कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।