भारत की सबसे बड़े मोबाइल सेवा प्रदात्ता कंपनी भारती एयरटेल भी टेलीमीडिया (ब्रॉडबैंड और टेलीफोन सेवा) और इंटरप्राइजेज में अपनी सेवाएं महैया करा रही है।
यह कंपनी के जबरदस्त कारोबार प्रारूप और वित्तीय सेवा प्रदान करने का आत्मविश्वास है जिसे बाजार पसंद करता है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण है कि भारती एक अकेली ऐसी कंपनी है जिसने बांबे स्टॉक एक्सचेंज में अच्छा प्रदर्शन किया है।
बीएसई सेंसेक्स जहां मध्य जनवरी से 25 फीसदी गिरा है वहीं भारती एयरटेल महज चार फीसदी गिरा है। विशेषकर,भारती से उम्मीद की जा सकती है कि वह अपना सतत विकास बनाए रख सकती है। कहने का मतलब यह कि आने वाले दिनों में वह न केवल अपना तगड़ा राजस्व बरकरार रखने की कवायद जारी रख सकती है बल्कि मोटा मुनाफा भी कूट सकती है। इसीलिए उसके शेयरों में निवेश फायदे का सौदा हो सकता है।
सतत विकास
कारोबार के लिहाज से कंपनी को कुल राजस्व का 73 फीसदी मोबाइल सेगमेंट से मिलता है जबकि, इसके कस्टमर बेस में लगातार और सतत इजाफा हो रहा है। भारती एयरटेल ने न केवल लगातार अपने ग्राहक बढ़ाती जा रही है,बल्कि गलाकाट प्रतिस्पद्र्धा की दौड़ में उसने अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।
फरवरी 2007 के 22 फीसदी के मुकाबले इस साल मई 2008 तक इसकी हिस्सेदारी 24.3 फीसदी हो गई है। इसके अलावा कंपनी के सबसे कम पूंजी खर्च और प्रति व्यक्ति परिचालन लागत कम होने से भारती का ऑपरेटिंग मुनाफा 40 फीसदी के इर्द-गिर्द है। भारती के पक्ष में सबसे बेहतर बात यह है कि इसका नेटवर्क सबसे तगड़ा है और देश की कुल आबादी का 71 फीसदी इसके रेंज में हैं।
भारती ने मार्च 2009 तक इसे बढ़ाकर 80 से 85 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है। कंपनी इस काम को अपने संयुक्त उपक्रम इंडस टावर के जरिए पूरा करेगी जिसके तहत हजारों टावर आते हैं। इस प्रकार कंपनी पैसिव नेटवर्क के जरिए यह आशा करती है कि उसके ऑपरेशन्स की लागत कम आएगी।
हालांकि पैसिव नेटवर्क की सुविधा भारती के अलावा तीन अन्य कंपनियों को भी मय्यसर हैं। इस प्रकार देखा जाए तो यह बहुत मायने रखती है क्योंकि इस वक्त कंपनियों का ग्रामीण इलाकों की ओर रुख है जबकि टैरिफ चार्जेज में गिरावट जारी है। लिहाजा, दूसरी कंपनियों के मुकाबले पैसिव नेटवर्क बेहतर होने से भारती अपने मुनाफे की कवायद को जारी रखने में सफल साबित हो सकेगी। उसके टेलीमीडिया कारोबार पर नजर डालें तो इसने भी मनमाफिक प्रदर्शन किया है।
आलम यह है कि इसकी 94 शहरों की मौजूदगी बिना किसी बदलाव के बरकरार है। इसके कारोबार करने का तरीका भी औरों के मुकाबले अलग है। कंपनी ने भेड़चाल से अलग यानी अच्छे रिहाइशी इलाकों समेत कमर्शियल इलाकों में सिर्फ मौजूदगी से इतर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में अपनी मौजूदगी पर ध्यान केन्द्रित किया है।
इसके इंटरप्राइजेज कारोबार की बात करें तो लंबी-दूरी वाले सेवा में इसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इसके साथ साथ कंपनी के नेटवर्क में जैसे जैसे इजाफा होगा, वैसे वैसे इसके राजस्व और मुनाफे में इजाफा होगा और उसमें निरंतरता बरकरार रहेगी।
तगड़ा मुनाफा कमानेवाला
भारती के कुल राजस्व में 49.35 प्रतिशत की ग्रोथ और वित्त वर्ष 2005-08 के बीच शुध्द मुनाफे में 78 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए संदेह की गुंजाइश कम हो जाती है।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2008 में 27,025 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित करने और 6,700 करोड़ रुपये का शुध्द मुनाफा कमाने के बावजूद चौथी तिमाही में अधिक लागत और करों में कटौती किए जाने केकारण मोबाइल सर्विस मार्जिन निराशाजनक रहा। इन सारी चीजों के बाद भी इस बात की संभावना है कि कंपनी पहले की तरह ही ईबीआईडीटीए के 40 प्रतिशत मार्जिन को पूरा कर पाएगी।
कंपनी ने अपने पैसिव इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनी सबसिडियरी भारती इंफ्राटेल को स्थानांतरित कर दिया है जिसकी 42 प्रतिशत हिस्सेदारी इंडस टावर में है। गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च में समाप्त पिछले दो महीनों के लिए कंपनी ने 602 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया और साथ ही ईबीआईडीटीए का 37.1 प्रतिशत मार्जिन भी प्राप्त किया।
भारती इंफ्रटेल अपने कुल 53,000 टावरों में से 30,000 टावर इंडस को स्थांनांतरित कर रही है जिसके बाद इंडस अलग कंपनी के रूप में काम करना शुरू कर देगी और अपने मौजूदा और जो नए टावर इसके अधीन हैं, उनके लिए लीज पर जमीन लेगी। भारती इसके बाद अपने मोबाइल बिजनेस पर पूरा ध्यान केंदित करेगी। वित्त वर्ष 2009 में यह 2.5 अरब डॉलर का पूंजी निवेश करने की योजना पर काम कर रही है।
स्पेक्ट्रम की उपलब्धता का प्रमुख मुद्दा भारती के 13 में से 7 सर्किल में स्पेक्ट्रम मिलने के साथ ही सुलझ चुका है और जो बचे हैं, उनके अगले कुछ महीनों तक सुलझ जाने के आसार हैं जो कि भारती के विकास की संभावनाओं को सुनिश्चित करता है। दूसरी प्रमुख बात यह कि भारती की वित्तीय स्थिति काफी मजबूत हुई है जिससे इसके पास अपनी विस्तार योजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त फंड है।
स्थानांतरण के बाद भारती इंफ्राटेल को भी इक्विटी के रूप में 1.35 अरब डॉलर निजी निवेशकों की तरफ से मिल हैं जिससे कि इसे नए टावर लगाने में मदद मिलेगी और इसके अलावा इंडस में हिस्सेदारी भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों ने भारती इंफ्राटेल का मूल्य 10 से 12 अरब डॉलर आंका है। आवश्यकता पड़ने पर और अधिक पैसा जुटाने की संभावाना है।
होगी इन पर नजर
जिस मुख्य बात पर नजर टिकी होगी वह है प्रतियोगिता। नए खिलाड़ियों के मैदान में आ जाने से होड़ और बढ़ने के आसार हैं। गौरतलब है कि सरकार ने हाल में ही छह नए कंपनियों को लाइसेंस दिया है जिससे होड़ के और अधिक तेज मुखर होने के आसार हैं। जो दूसरे मुद्दे हैं,वे थ्री-जी सेवा के लिए स्पेक्ट्रम के आबंटन से जुड़े हैं।
दूरसंचार उद्योग को बेसब्री से इसका इंतजार है। ऐसी आशा है कि इसे अगले दो से तीन महीनों में निपटा लिया जाएगा। एक बात जो और सामने आती है कि नई कंपनियों के मैदान में आ जाने से बोली की प्रक्रिया आक्रामक हो सकती है जो कि कि पूंजी के ज्यादा निवेश की संभावना को आमंत्रण दे सकता है, जो किसी भी नजरिए से ठीक नहीं लगता है।
निवेश की बुद्धिमत्ता
इस सेगमेंट में निवेश करना फायदेमंद है। इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेलीफोन का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़कर 50 करोड़ हो जाने वाली है जबकि इस वक्त मौजूदा दर 30 करोड़ है। सालाना विकास दर 30 फीसदी से ऊपर है।
इतना ही नहीं, बल्कि कंपनी के ग्राहक आधार के भी 15 से 20 फीसदी के स्तर पर बरकरार रहने के आसार हैं। महज एक महीने के भीतर कंपनी के ग्राहकों की संख्या में 20 लाख का इजाफा हुआ है। इसके अलावा भारती द्वारा लिए जाने वाले शुल्क की बात करें तो यह उस मामले में भी उदार साबित हुआ है।
यहां दिलचस्प बात यह है कि भारती के मिनटों में इजाफे के चलते इसके कारोबार में इजाफा हुआ है। इसी का तकाजा है कि कंपनी अपने एआरपीयू को बरकरार रखने में सफल साबित हो सकी है। मोबाइल उपभोक्ताओं द्वारा मोबाइल पर और नए काम मसलन मोबाइल इंटरनेट,मोबाइल बैंकिंग इत्यादि कामों से भी कंपनी को अपना राजस्व बढ़ाने में खासी सफलता मिली है।
कंपनी के टेलीमीडिया कारोबार में सतत राजस्व बढ़ने से उसे आगे भी अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। मसलन, इंटरप्राइजेज कारोबार की बात करें तो यहां गलाकाट प्रतिस्पर्धा होने के बाद भी राजस्व बढ़त खासी अच्छी रही है। इसके अलावा पिछले पांच तिमाहियों में मार्जिन भी 36.7 फीसदी पर बरकरार रहा है।
भारती इतने पर ही खुद को नहीं रोक रही बल्कि वह डीटीएच और आईपीटीवी लांच करते हुए विस्तार को नए आयाम देने की जद में है। वह न केवल भारत बल्कि श्रीलंका सहित अन्य पड़ोसी देशों में भी इन सब सेवाओं को देने की कोशिश कर रही है।
विशेषज्ञों की माने तो वित्तीय वर्ष 2009 और 2010 के दरम्यान टॉपलाइन और बॉटमलाइन ग्रोथ के 25 से 30 फीसदी रहने की उम्मीद है। भारती के पीई रेशियो की बात करें तो इसके शेयर 814 रु पये की दर पर वित्तीय वर्ष 2009 के आकलित मूल्य के लिए कुल 18.2 गुना पर कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा अगले एक साल के भीतर इसके शेयर 25 फीसदी तक का रिटर्न दे सकेंगे।