लगातार चल रही गिरावट के बाद वित्त वर्ष 23 में पहली बाद अक्टूबर 2022 में एनआरआई जमा में बढ़ोतरी हुई है और यह 134.54 अरब डॉलर हो गया है। सितंबर में यह 133.67 अरब डॉलर था। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि एनआरआई जमा वित्त वर्ष 23 के पहले 6 महीने में कम हो रहा था और यह सितंबर में गिरकर 133.67 अरब डॉलर रह गया, जो मार्च 2022 में 139 अरब डॉलर था। इसमें एक साल पहले के 141.3 अरब डॉलर की तुलना में भी कमी आई है।
साथ ही प्रवासी भारतीय (एनआरआई) जमा में धन का प्रवाह इस साल अप्रैल-अक्टूबर के दौरान बढ़कर 4.93 अरब डॉलर हो गया है, जो अप्रैल-अक्टूबर 2021 में 3.28 अरब डॉलर था। इससे पता चलता है कि ब्याज दर की सीमा में छूट जैसे कदमों का असर पड़ा है। बैंकरों ने कहा कि जमा का प्रवाह बढ़ा है, वहीं कुछ फंड (जमा से) का इस्तेमाल त्योहारों के मौसम में खरीदारी के लिए हुआ है। यही वजह है कि कुल मिलाकर जमा में कमी आई है।
जुलाई महीने में रिजर्व बैंक ने एनआरआई जमा खातों में धन की आवक बढ़ाने के लिए कदम उठाए थे। इसमें 4 नवंबर 2022 तक के लिए विदेशी मुद्रा प्रवासी (बैंक) या एफसीएनआर(बी) और प्रवासी वाह्य (एनआरई) जमाओं पर ब्याज दर की सीमा में ढील दिया जाना और बढ़े जमा पर नकद आरक्षित अनुपात व वैधानिक तरलता अनुपात को बनाए रखने में छूट दिया जाना शामिल है।
रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट (नवंबर) में कहा था कि दूसरी तिमाही के दौरान समग्र स्तर पर देखें तो नीतिगत कदमों के बाद प्रवासी जमा खातों में शुद्ध प्रवाह बढ़ा है। एनआरआई जमा के प्रवाह की स्थिति विकसित अर्थव्यवस्थाओं में संभावित मंदी के स्तर पर निर्भर होगी। ब्याज दर पर आगे की कार्रवाई का भी प्रवाह पर असर पड़ेगा।
एफसीएनआर जमाओं का प्रवाह अप्रैल-अक्टूबर 2022 के दौरान 0.8 अरब डॉलर रहा, जो अप्रैल-अक्टूबर 2021 के दौरान 1.66 अरब डॉलर आवक की तुलना में कम है।
आगे के एक विश्लेषण से संकेत मिलते हैं कि बकाया एफसीएनआर (बी) जमा अक्टूबर 2022 में 16.08 अरब डॉलर रहा, जो सितंबर 2022 के 16 अरब डॉलर के बराबर ही है. एक साल पहले के 18.8 अरब डॉलर की तुलना में यह घटा है। मार्च 2022 में एफसीएनआर (बी) जमा 16.91 अरब डॉलर था। बैंकरों ने कहा कि एफसीएनआर (बी) जमाओं में अमेरिकी डॉलर प्रमुख मुद्रा बनी रहेगी।