वैल्यूएशन पर जाने माने विशेषज्ञ और इस पर कुछ पुस्तकें लिखने वाले अश्वथ दामोदरन फाइनेंस के प्रोफेसर और स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस न्यूयार्कमें डेविड मार्गोलिस टीचिंग फेलो हैं।
दामोदरन ने इक्विटी पर काफी काम किया है। इसमें इनवेस्टमेंट वैल्यूवेशन, द डार्क साइड ऑफ वैल्यूएशन, दामोदरन ऑन वैल्यूएशन शामिल हैं। फाइनेंस पर इनकी पुस्तकों में कारपोरेट फाइनेंस (थ्योरी एंड प्रैक्टिस) और एप्लाइड कारपोरेट फाइनेंस और ए यूजर्स मैन्यूएल प्रमुख हैं।
जीतेंद्र कुमार गुप्ता को ई-मेल से दिए गए साक्षात्कार में दामोदरन ने भारतीय अर्थव्यवस्था, स्टॉक पिकिंग और निवेशकों के शेयर बाजार के प्रति आर्कषण पर काफी विस्तार से चर्चा की।
क्या आपको लगता है कि भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी का अब भी अस्तित्व है?
हां! लेकिन कुछ शर्तों के साथ। भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी कभी इतनी आकर्षक नहीं रही जितना कि इसे दिखाया गया। दूसरे शब्दों में जिनका मानना था कि भारत की अर्थव्यवस्था दोहरे अंकों की विकास दर हासिल कर सकता है तो वे कल्पना में जी रहे थे। ग्रोथ कभी एक रेखीय नहीं होता है। यह इससे दो कदम आगे और एक कदम पीछे है। गौरतलब है कि इसके बाद आप भी एक कदम आगे हैं।
मौजूदा वैश्विक एवं घरेलू मुश्किलों के देखते हुए भारत के इक्विटी बाजार का क्या रुख नजर आता है? बाजार में मंदी का रुख कब तक बरकरार रहेगा?
जितनी लंबी पार्टी होगी, उतना ही लंबा उसका नशा भी होगा। बाजार में बढ़त का रुख काफी समय तक चला। इसलिए मंदी का समय भी लंबा खिंचेगा।
मौजूदा माहौल में भारतीय इक्विटी बाजार में सुरक्षात्मक या वैल्यू स्टॉक को लेना मंदी से बचने की एक रणनीति होगी?
यह इस पर निर्भर करेगा कि आप क्या पाना चाहते हैं। यदि आप मूल पूंजी बचाना चाहते हैं और कैश फ्लो भी हासिल करना चाहते हैं तो फिर एक भी सुरक्षित स्टॉक नहीं है। यहां तक कि सबसे सुरक्षित सेक्टर के स्टॉक कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया। यदि आपके पास लंबे समय तक निवेश करने का समय है और छोटे समय में आप पेपर लॉस को एब्जार्ब कर सकते हैं तो मेच्योर कंपनियों के स्टॉक खरीदना एक रणनीति होगी। लेकिन इन कंपनियों का मजबूत कैश फ्लो, अच्छा प्रबंधन, बेहतर प्रतियोगी उत्पाद और उचित बाजार मूल्य होना चाहिए।
इक्विटी बाजार में मौजूदा मंदी के दौर की क्या सीख है? विशेषकर भारत के संदर्भ में?
बाजार से बड़ा और स्मार्ट कोई नहीं है। बढ़त और गिरावट दोनों में जोखिम है। जो भी ऊपर गया वह कभी भी नीचे आ सकता है। वहीं मॉडल बेहतर है जिनका इनपुट बेहतर है।
किसी विशेष स्टॉक का वैल्यूएशन करते समय ब्यापक बाजार की क्या अहमियत है?
पूरे बाजार में हुए वैल्यूएशन से हमें पता चलता है कि निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता कितनी है। रिस्क प्रीमियम क्या हैं, ब्याज दरों का स्तर क्या है? किसी कंपनी का वैल्यूएशन करने में ये चीजे बड़ा स्थान रखती हैं।
वैल्यूएशन के प्रमुख उपकरण क्या हैं? किसी स्टॉक को पिक करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मेरा मानना है कि सामान्य निवेशक स्टॉक पिक करते समय प्रोफेशनल निवेशकों की तरह वैल्यूएशन के उपकरणों को नहीं देखता है। वैल्यूएशन करने के दो उपकरण हैं। किसी कंपनी की आप अनुमानित कैस फ्लो और रिस्क के आधार पर वैल्यू कर सकते हैं या दूसरी समान कंपनियों से तुलना करके वैल्यूएशन किया जा सकता है। प्रत्येक निवेशक को वैल्यूएशन के आधारों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे कंपनी की कैस फ्लो हालत कैसी है और कंपनी के स्टॉक के कारोबार की क्या हालत है? आपके पास कुछ समय है तो आप आसानी से वैल्यूएशन के टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पोर्टफोलियो रिस्क से बचने का सबसे आसान तरीका क्या है?
देखिए कि आपका पोर्टफोलियो कितना डाइवर्सीफाइड है और बाजार के साथ उसका क्या संबंध है। यदि आपका पोर्टफोलियो तेजी से बढ़ रहा है या बाजार के अनुरुप भी नहीं चल पा रहा है तो आपका पोर्टफोलियो डाइवर्सीफाइड नहीं है।
आप उस कंपनी का वैल्यूएशन कैसे करेंगे जो अपने प्रसार अभियान पर तेजी से खर्च कर रही हो? क्या निवेशकों को भविष्य के लिए प्रीमियम देना चाहिए?
यह इस पर निर्भर करता है कि कंपनी का निवेश गंभीर निवेश है या नहीं। भविष्य के लिए ऐसा निवेश करना कहीं भी उचित नहीं है कि आप को सब-स्टैंडर्ड रिटर्न प्राप्त हो।
ऐसी कंपनियां जिन्होंने नुकसान हासिल किया हो लेकिन उनके भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना हो? ऐसी कंपनियों का वैल्यूएशन करने के क्या आधार हैं?
आपको पूंजी खोने वाली कंपनियों का वैल्यूएशन करने के लिए दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता क्यों है? शायद सभी कंपनियों के वैल्यूएशन के उपकरण एक ही होनें चाहिए। आप अलग-अलग स्टॉक के लिए अलग-अलग मानक और नियम नहीं बना सकते हैं।
कमोडिटी स्टॉक कमोडिटी साइकिल की ऊंचाईयों पर काफी वैल्यूएशन हासिल करते हैं और उनमें साइकिल के गिरावट की ओर आने पर सुधार होता है। साइकिल की मार से बचने के क्या उपाय हैं?
कमोडिटी स्टॉक की कीमतें साइकिल से ज्यादा संचालित न होकर कमोडिटी प्राइस से संचालित होती हैं। मौजूदा साइकिल मे दो चींजे साथ आगे बढ़ी हैं। लेकिन बीते समय में देखा जाए तो यह सही नहीं दिखता है। 1990 के दशक के दौरान अर्थव्यवस्थाओं का तो विस्तार हुआ लेकिन तेल केदाम स्थिर रहे। अगर कोई सायकल होता तो इस पर भी अर्थव्यवस्था की साइकिल का प्रभाव पड़ता। निवेश पर बेहतर रिटर्न ही साइकिल की मार से बचने का बेहतर उपाय है।
इक्विटी बेचते समय निवेशक को वैल्यूएशन के किन उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए?
उन्हीं उपकरणों का जिन्हें स्टॉक खरीदते समय इस्तेमाल करते हैं जैसे कैस फ्लो, तुलना। बेचते समय भी वैल्यूएशन टूल का इस्तेमाल करना चाहिए।