वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार के हितधारकों के साथ बजट-पूर्व परामर्श के दौरान भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के एक प्रमुख निकाय वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने एनबीएफसी के परिचालन बोझ को कम करने और नकदी की स्थिति बेहतर करने के लिए महत्त्वपूर्ण सुधारों की मांग की है।
एफआईडीसी के प्राथमिक अनुरोधों में सरफेसी ऐक्ट के तहत सुरक्षा हित लागू करने के लिए ऋण राशि की सीमा को 20 लाख रुपये से घटाकर मात्र 1 लाख रुपये करना शामिल है। परिषद ने कहा कि मौजूदा सीमा से दबाव वाले खातों के समाधान में बहुत देरी होती है और कभी कभी इसमें 5 साल लग जाते हैं और इससे गैर निष्पादित संपत्ति बढ़ने के साथ एनबीएफसी की बैलेंस शीट पर असर पड़ता है और कानूनी खर्च बढ़ता है।
एफआईडीसी के डायरेक्टर रमन अग्रवाल ने कहा कि 20 लाख रुपये से कम के ऋण पर सरफेसी ऐक्ट के प्रावधानों के न होने पर दबाव वाले खातों के तेज समाधान पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस देरी से न सिर्फ दबाव वाले खाते बढ़ते हैं, बल्कि इससे एनबीएफसी की याचिकाओं पर आने वाली लागत भी बढ़ती है।
इसके साथ ही एफआईडीसी ने बैंकों से आसानी से फंड लेने की सुविधा के लिए नियामकीय मानकों में ढील देने की मांग की है, जिससे एनबीएफसी पर वित्तीय दबाव दूर होगा। अग्रवाल ने एमएसएमई, इलेक्ट्रिक वाहन, बुनियादी ढांचा और हरितऊर्जा जैसे क्षेत्रों को समर्थन के लिए समर्पित कोष बनाने का भी सुझाव दिया है।