एनबीएफसी-एमएफआई के स्व नियामक संगठन माइक्रोफाइनैंस इंडस्ट्री नेटवर्क (एमएफआईएन) ने सरकार से ऋण गारंटी के लिए सहायता मांगी है। एमएफआईएन का तर्क है कि इससे बैंकों को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) को ऋण देने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, एमएफआईएन एनबीएफसी-एमएफआई को ऋण बढ़ाने के लिए बैंकों के प्रमुख के साथ बैठक भी कर रहा है।
एमएफआईएन के मुख्य कार्य अधिकारी आलोक मिश्र ने कहा कि उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर इस क्षेत्र के लिए 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की ऋण गारंटी योजना की मांग की है। इसके तहत सरकार बैंकों से एमएफआई द्वारा लिए जाने वाले ऋण पर 75 फीसदी तक गारंटी देती है, जिससे बैंकों को भी इन संस्थाओं को ऋण देने में सहूलियत होगी। उन्होंने बताया कि साल 2021 में ऐसी ही एक योजना थी, जिसमें सरकार द्वारा इस उद्देश्य के लिए दिए गए 7,500 करोड़ रुपये का उपयोग ही नहीं हुआ, क्योंकि सभी एमएफआई ने अपना बकाया चुकता कर दिया था।
मिश्र ने कहा, ‘इससे एक अच्छे चक्र की शुरुआत हुई। गारंटी के कारण राजकोष पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और पूरा पैसा भी वापस आ गया। किसी ने भी गारंटी का मुद्दा नहीं उठाया और अब इससे विश्वास भी बढ़ेगा। हम इस पर काम कर रहे हैं। हम बैंकों के साथ भी बैठक कर रहे हैं। पूल और बूस्ट दोनों फैक्टर काम कर रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि अगले एक से दो महीने में हम नकदी का समाधान देखेंगे।’ मिश्र ने कहा, ‘बैंकों पर भी दबाव बढ़ गया है, क्योंकि रिजर्व बैंक द्वारा रीपो दर में कटौती और सीआरआर में कटौती के कारण नकदी डालने के बाद बैंकों के पास काफी धन आ गया है।