facebookmetapixel
Children’s Mutual Funds: बच्चों के भविष्य के लिए SIP, गुल्लक से अब स्मार्ट निवेश की ओरDPDP एक्ट से बदलेगी भारत की डिजिटल प्राइवेसी की दुनिया: DSCI CEOसीनियर सिटिजन्स के लिए FD पर 8% तक का ब्याज, ये 7 छोटे बैंक दे रहे सबसे ज्यादा रिटर्नMarket Outlook: विदेशी निवेशकों का रुख, डॉलर की चाल, व्यापक आंकड़े इस सप्ताह तय करेंगे शेयर बाजार की दिशाSMC Bill 2025: क्या घटेगी सेबी की ताकत, निवेशकों को मिलेगा ज्यादा भरोसा? जानिए इस विधेयक की खास बातेंघर बनाने का सपना होगा आसान, SBI का होम लोन पोर्टफोलियो 10 ट्रिलियन पार करेगाMCap: 6 बड़ी कंपनियों का मार्केट वैल्यू बढ़ा ₹75,257 करोड़; TCS-Infosys की छलांगVedanta डिमर्जर के बाद भी नहीं थमेगा डिविडेंड, अनिल अग्रवाल ने दिया भरोसाRailway Fare Hike: नए साल से पहले रेल यात्रियों को झटका, 26 दिसंबर से महंगा होगा सफर; जानें कितना पड़ेगा असरमिनटों में घर बैठे करें Aadhaar-PAN लिंक, नहीं करने पर हो सकती हैं परेशानियां; चेक करें स्टेप्स

धन की तंगी से NBFC की वृद्धि हो सकती है सुस्त

बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज में सुस्ती, जोखिम अधिभार और नकदी की कमी के कारण वित्त वर्ष 2025 में एयूएम वृद्धि पर असर

Last Updated- August 09, 2024 | 10:27 PM IST
Lending from banks to NBFCs slowed down, service and vehicle loans also affected बैंकों से एनबीएफसी को ऋण हुआ सुस्त, सेवा और वाहन ऋण पर भी असर

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की वृद्धि सुस्त पड़ सकती है क्योंकि ज्यादा जोखिम अधिभार और नकदी की कमी के कारण बैंक उन्हें ऋण देने में सुस्ती दिखा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज की वृद्धि दर में सालाना आधार पर कमी आई है। जून में कर्ज वृद्धि घटकर 8.5 फीसदी रह गई, जो मई में 16 फीसदी थी।

इसके साथ ही आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में बैंकों द्वारा एनबीएफसी को अतिरिक्त उधारी गिरकर महज 7,420 करोड़ रुपये रह गई है। सरकारी वित्त कंपनियों में बैंकों द्वारा अपना पोर्टफोलियो कम किए जाने के कारण ऐसा हो रहा है।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में एनबीएफसी को अतिरिक्त बैंक उधारी 93,223 करोड़ रुपये और पूरे वित्त वर्ष 2024 में 2.06 लाख करोड़ रुपये थी। पिछले साल नवंबर में रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी को बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज पर जोखिम अधिभार बढ़ा दिया गया था, जिससे कारण इस सेक्टर को दिया जाने वाला कर्ज कम हुआ है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 30 सितंबर, 2023 तक एनबीएफसी की कुल उधारी में बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज का हिस्सा 37.8 फीसदी था।

एनबीएफसी सेक्टर की प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) की वृद्धि स्थिर हो सकती है और कर्ज दिए जाने की वृद्धि सुस्त रह सकती है। इक्रा में फाइनेंशियल रेटिंग्स के वाइस प्रेसीडेंट अनिल गुप्ता ने कहा, ‘एनबीएफसी की कुल उधारी में बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज का हिस्सा उल्लेखनीय होता है, इसे देखते हुए इस उद्योग के एयूएम वृद्धि में निकट अवधि के हिसाब से स्थिरता आ सकती है।’

गुप्ता ने कहा कि बैंक, सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के कम रिटर्न वाले पोर्टफोलियो को घटाने पर विचार कर सकते हैं, इससे गैर बैंकों का ऋण प्रवाह घट सकता है। गुप्ता ने कहा कि आने वाले लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो मानक की वजह से बैंक अपनी आस्तियों में वृद्धि को संयत रख सकते हैं।

फेडफिना के मुख्य वित्तीय अधिकारी सीवी गणेश ने कहा, ‘एनबीएफसी को बैंकों से मिलने वाला कर्ज घट रहा है, ऐसे में एनबीएफसी द्वारा अपने ग्राहकों को दिया जाने वाला कर्ज भी कम हो सकता है।’

First Published - August 9, 2024 | 10:16 PM IST

संबंधित पोस्ट