गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) को धन जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जबकि व्यापक रूप से मजबूत बही-खाता व ऋण की मांग को लेकर मजबूत परिदृश्य है। क्रिसिल रेटिंग्स ने सोमवार को वेबिनार में बताया कि बड़ी एनबीएफसी कंपनियां निरंतर बॉन्ड मार्केट से धन जुटा रही हैं। इस क्रम में मध्यम आकार व उभरती हुई कंपनियां स्थायित्व और कम लागत पर धन जुटाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा कि एनबीएफसी की वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष 27 में प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) 18-19 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद रही है और यह मार्च, 2027 तक 50 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगा। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अजित वेलोनी ने बताया, ‘अप्रैल 2025 में जोखिम भार में कमी के बावजूद एनबीएफसी का बैंकों का ऋण उठान बढ़ा और यह बीते एक साल की तुलना में मामूली रूप से बढ़कर सितंबर, 2025 में 13.8 लाख करोड़ रुपये हो गया।’
उन्होंने बताया, ‘बड़ी एनबीएफसी कंपनियों ने धन के स्रोत का इस्तेमाल किया और इन स्रोतों में ऋण पूंजी बाजार व बाहरी वाणिज्यिक हैं। हालांकि अन्य एनबीएफसी के पास सीमित विकल्प हैं। इसलिए बैंकों से धन जुटाने में सुधार की सीमा उनके विकास के दृष्टिकोण के लिए महत्त्वपूर्ण होगी।’
एनबीएफसी का बैंकों से धन जुटाना मार्च, 2018 के 5 लाख करोड़ रुपये से निरंतर बढ़कर अक्टूबर, 2023 में 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि नियामक के जोखिम भारांश में संशोधन के बाद ऋण का प्रवाह सपाट हो गया था। हालांकि 1 अप्रैल, 2025 को उच्च जोखिम भारांश वापस लिए जाने के बावजूद बैंकों ने आक्रामक रूप से ऋण मुहैया करवाना शुरू नहीं किया।
बैंकों ने सितंबर, 2025 में बीते साल की तुलना में थोड़ा अधिक 13.8 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया था। इसकी भरपाई मजबूत एनबीएफसी ने बॉन्ड जारी करके की थी लेकिन छोटे ऋणदाताओं के समक्ष सीमित विकल्प बचे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रतिभूतिकरण, ऋणों का बेचा जाना और धन जुटाने का विविधीकरण अनिवार्य हो गया। क्रिसिल के मुताबिक बाहरी ऋण उधारी मजबूती से बढ़ी है जबकि आवास वित्त कंपनियां मुख्य तौर पर बॉन्ड मार्केट पर आश्रित हैं।