राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 7.40 प्रतिशत कूपन (ब्याज) की दर से 5 साल और 4.5 महीने के बॉन्ड के जरिये 4,864 करोड़ रुपये जुटाए। इसी तरह, सरकारी कंपनी इंडियन रेलवे फाइनैंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) ने 7.09 प्रतिशत की कूपन दर से 10 साल की अवधि के बॉन्ड से 2,345 करोड़ रुपये जुटाए।
विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले अग्रणी बैंक नाबार्ड को बाजार से 7,000 करोड़ रुपये जुटाने थे जिसमें 3,000 करोड़ रुपये का बेस इश्यू और 4,000 करोड़ रुपये ग्रीन शू ऑप्शन था। हालांकि बाजार ने मात्र 4,864 करोड़ रुपये मूल्य की निविदाएं स्वीकार कीं। बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार कंपनी अत्यधिक सख्त दर पर कोष जुटाना चाह रही थी लेकिन वह आखिरकार 7.40 प्रतिशत की कीमत पर धन हासिल कर सकी।
इसी तरह भारतीय रेलवे की प्रतिबद्ध वित्तीय इकाई आईआरएफसी का लक्ष्य बेस इश्यू से 3,000 करोड़ रुपये और ग्रीन शू विकल्प से 2,500 करोड़ रुपये जुटाना था, लेकिन पूर्ववर्ती जारी दर को सफलतापूर्वक घटाकर कंपनी ने 2,345 करोड़ रुपये हासिल किए। कंपनी पहले 7.14 प्रतिशत की दर से धन जुटाना चाह रही थी।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंधकीय साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘संस्थागत निवेशकों में उच्च प्रतिफल और उच्च रेटिंग वाले वाले दीर्घावधि बॉन्ड की जबरदस्त मांग है। इसका कारण फरवरी में रीपो दर में कटौती का अनुमान है। इसके अलावा विनियामक आदेश और वर्ष के अंत में निवेश की समयसीमा बाजार में आक्रामक बोली को बढ़ावा दे रही है।’
उन्होंने कहा कि आईआरएफसी और पीएफसी कुछ अंतराल के बाद आई हैं। इन्हें नए निवेशक सीमा और मजबूत मांग से फायदा हुआ है। दिसंबर-जनवरी में आम तौर पर गतिविधि बढ़ जाती है क्योंकि जारीकर्ता अपने उधार कार्यक्रमों को पूरा करने और इस अवधि के दौरान भविष्य निधि प्रवाह के साथ तालमेल बिठाने का लक्ष्य रखते हैं।