बड़े पैमाने पर पुनः केवाईसी प्रक्रिया लंबित रहने से चिंतित वित्त मंत्रालय ने सभी बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक निश्चित वक्त में लंबित पुनः-केवाईसी /केवाईसी पूरी करने को लेकर इस माह के अंत तक कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने प्रमुख बैंकों को यह भी निर्देश दिए हैं कि वे लोगों को पुनः केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए आकर्षित करने में ग्राम पंचायतों के साथ तालमेल करें। वित्त मंत्रालय ने बैंकों के वरिष्ठ प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि वे लंबित पुनः केवाईसी के मामलों के लिए नियमित डैशबोर्ड बनाएं और फील्ड के कर्मचारियों के साथ नियमित समीक्षा करें।’
प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले 53.9 करोड़ खातों में से 11.2 करोड़ खातों में लेन-देन नहीं हो रहा है और 10.5 करोड़ खातों का पुनः केवाईसी लंबित है। बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा देखे गए आंतरिक दस्तावेज के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कुल 236 करोड़ सामान्य बैंक खातों में से 61.9 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं और 22.9 करोड़ खातों का पुनः केवाईसी लंबित है।
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने कहा है कि पुनः केवाईसी के लंबित मामलों की संख्या पर विचार करते हुए बैंक इस काम में अस्थायी रूप से कर्मचारियों को लगाने की संभावना भी तलाश सकते हैं। बहरहाल पुनः केवाईसी की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता अभियान चलाना और इस काम के लिए समर्पित हेल्प डेस्क बनाना महत्त्वपूर्ण है।’
उत्तर प्रदेश में 9.6 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते हैं, जिनमें से 2.2 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं और 1.7 करोड़ खातों का पुनःकेवाईसी लंबित है। उसके बाद मध्य प्रदेश व राजस्थान आते हैं, जहां क्रमशः 81.15 लाख और 77.2 लाख पीएमजेडीवाई कातों का पुनःकेवाईसी लंबित है।
वित्त मंत्रालय ने आगे कहा है कि रिपोर्टिंग इकाइयां (आरई) केवाईसी को समय समय पर अद्यतन करने के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाएंगी, तथा यह सुनिश्चित करेंगी कि ग्राहक जांच के तहत एकत्रित जानकारी या डेटा अद्यतन और प्रासंगिक बनाए रखा जाए।
समय-समय पर अद्यतन किए जाने का काम खाता खुलने के बाद या अंतिम केवाईसी के बाद ज्यादा जोखिम वाले ग्राहकों के मामले में दो साल में कम से कम एक बार, मध्यम जोखिम वाले मामलों में 8 साल में एक बार और कम जोखिम वाले ग्राहकों के केवाईसी अद्यतन करने का काम 10 साल में एक बार किया जाना चाहिए।
इसके पहले उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि बैंकों को किसी भी शाखा में केवाईसी की सुविधा देनी चाहिए, न कि यह उस शाखा तक सीमित किया जाना चाहिए, जहां ग्राहक का खाता खुला है।
अधिकारी ने कहा, ‘अगर आधार में उल्लिखित ब्योरे के रिकॉर्ड का मिलान अंग्रेजी भाषा में नहीं हो पाता तो बैंक इसके लिए क्षेत्रीय भाषा में मिलान करने की संभावना तलाश सकते हैं। बैंकिंग करेस्पॉन्डेंट (बीसी) को पुनः केवाईसी सत्यापन के काम में शामिल किया जा सकता है क्योंकि उनकी स्थानीय मौजूदगी होती है। ग्राहकों द्वारा बीसी को दिए हस्ताक्षरित घोषणापत्र को भी स्वीकार किया जा सकता है, अगर केवाईसी की सूचनाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है।’