धातुओं के बीच आपसी संबंधों से न सिर्फ अर्थव्यवस्था के चक्र को भली भांति समझा जा सकता है बल्कि हमें उनके कुछ रुझान भी पता चलते हैं।
साथ ही शेयर बाजार का ऊंट किस दिशा में जा रहा है, यह भी पता चलता है।दिसंबर 2007 में सोने का भाव 32,000 रुपये प्रति औंस था। 2008 के प्रारंभ में सोने के भावों में आश्चर्यजनक तेजी देखी गयी और एक समय उसकी कीमत 40,000 रु. प्रति औंस के आसपास पहुंच गयी और अभी इसकी कीमत 37,200 रु. प्रति औंस के आसपास है।
धातुओं के दामों में मूल्य प्रदर्शन के स्तर पर काफी अनियमितता रही, इसके बावजूद सोने और चांदी जैसी धातुओं में तेजी बरकरार रही।मसलन, जिंक के दामों में जनवरी 2007 से आधे से भी अधिक की गिरावट आ गयी है।
यह स्थिति तब थी जब धातुओं के दाम पलट गए थे थे और बीएसई सूचकांक में तेजी के बावजूद हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में गिरावट की आशंका थी। लेकिन यह प्यार जल्द ही घृणा में बदल गया और यहां तक कि जिनिफेक्स और यूमीकोर के बीच विलय की संभावनाएं भी जिनिफेक्स को 61 फीसदी की गिरावट से नहीं बचा सकीं।
यूरेनियम में भी इसकी अधिकतम ऊंचाई से 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गयी। धातुओं की कीमतों और बाजारों में गिरावट के अनेक कारण हैं। लेकिन ज्यादातर की वजह सूचनाओं का देरी से पहुंचना और बाजार का स्थिर न रहना है।आइये धातुओं के आपसी संबंधों के माध्यम से बाजार को समझने का प्रयास करें।
चांदी ने 1985 से अब तक ऐसा प्रदर्शन नहीं किया है कि किसी भी प्रकार कहा जा सके कि उसका प्रदर्शन सोने से अच्छा रहा है। सोने और चांदी के भाव अभी भी बाजार में गिरावट और चढ़ाव के सूचक बने हुए हैं। दो पिछली अवधि जब सोने ने चांदी की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया यह समय था 1987 से 1991 और 1999 से 2003 तक। ये दो समय ही रहे जब हमने वैश्विक बाजार में मंदी देखी।
अब सोने ने फिर से चांदी से बेहतर प्रदर्शन शुरु कर दिया है। इसलिये घबराने जैसी कोई बात नहीं है। इसका तो यही मतलब निकलता है कि न्यूजवीक में बेन बर्नांकेका अमेरिकी मंदी की बात कहना और अमेरिकी नेतृत्व की नाकामी जैसी बातें अपरिपक्व लग सकती हैं। धातुओं के बाजार में तो ऐसी बड़ी चोट नहीं पहुंची। हमें अभी कुछ समय और सोने-चांदी के मूल्यों के अनुपात और मंदी के समाचारों पर गौर करने की आवश्यकता है।
अब तांबे और जस्ते के अनुपात पर गौर करते हैं। जनवरी 2002 से तांबा लगातार चांदी की तुलना में ज्यादा बढ़ रहा है। अब प्रश्न उठता है कि तांबे को चांदी की अपेक्षा ज्यादा क्यों बढ़ना चाहिये। तांबे की कीमतें उसके विवेकाधीन उपभोग से निर्धारित होती हैं, जबकि चांदी महंगी है और उसका सीमित औद्योगिक उपयोग है। यही कारण है कि व्यापार चक्र के प्रारंभ से तांबे का उपभोग स्तर चांदी की अपेक्षा अधिक हो जाता है।
यह अनुपात 2002 की मंदी से कुछ महीने पहले काफी कम था। यह हालत दो साल तक बनी रही और अभी भी यह थोड़ी ही ठीक है। तांबे के मूल्यों में तेजी का रुख जारी है। पिछले नौ महीनों में इसके दामों में लगातार सुधार हुआ है। लेकिन इससे भी यह पया नहीं चलता कि शेयर बाजारों में मंदी रहेगी।
अब यूरेनियम पर गौर करिए। आप देखेंगे कि यही एकमात्र ऐसी धातु रही जिसने सोने से बेहतर प्रदर्शन किया। विश्व में जारी भू-राजनैतिक संकट और डॉलर में जारी गिरावट की वजह से जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर प्रारंभ हुआ वहीं तेल की कीमतों में लगातार बढ़त से यूरेनियम की ओर लोगों का ध्यान गया।
इसकी एक वजह यह भी है कि ऊर्जा संकट के कारण अचानक यूरेनियम चढ़ा है। फरवरी 2005 वह समय था जब तेल 40 टॉलर से बढ़ने लगा। एक अनोखा तथ्य यह भी है कि धातुओं में उतार-चढ़ाव हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में किसी अर्थशास्त्री से ज्यादा बता सकता है।
यह तुलनात्मक प्रदर्शन हम तांबे और यूरेनियम के बीच भी देख सकते है। तांबे का संबंध मध्य आर्थिक प्रसार चक्र से है जबकि यूरेनियम का संबंध लंबे आर्थिक प्रसार चक्र से है। यूरेनियम ने तांबे से बेहतर प्रदर्शन 2005 के बाद करना शुरु किया और इसके प्रदर्शन से लगता है कि हम आर्थिक चक्र में मोड़ की तरफ बढ़ रहे हैं। अभी ऐसे संकेत नहीं हैं जो बता दें कि बदलाव हो चुका है।
सोने की अपेक्षा जिंक में संपूर्ण चक्र आया है। इसने सोने को सितंबर 2005 से पीछे धकेलना शुरु किया है और इस साल यह सोने से कमजोर है। क्यों? जिंक का संबंध ऑटो से है और ऑटो एक रट है। जिंक में गिरावट इसके ऑटो से संबंधित होने से भी हो सकती है। इसके गिरावट के कुछ आश्चर्यजनक परिणाम भी देखे जा सकते हैं।
अगर अलग-अलग नजरिये से देखें तो सोने और चांदी दोनों अपनी दिशा में अपने हिसाब से चल रहे हैं। इनका मध्यावधि रुझान नकारात्मक रहा है। सोने के लिये 12,00 रुपए का स्तर निर्णायक है। यहां गिरावट हुई तो नकारात्मक संकेत मिलने शुरु हो जायेंगे।
एमसीएक्स में चांदी का स्तर 24,000 रुपए पर है और यहां से यह बढ़ेगी या नहीं, पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। भीषण तूफान में कोई आदमी अपने कंधे पर सोने से भरा बैग लटकाकर कूद जाए तो क्या होगा? वह नीचे जाएगा और साथ ही उसका सोना भी।