दलाल स्ट्रीट में इस समय खुशियों के पल कम ही दिखाई देते है। वैश्विक मंदी, राजनीतिक अनिश्चितता और बढती महंगाई से निवेशकों के चेहरे बुझे हुए हैं।
भले ही कुछ कंपनियों मे आईपीओ लाने का विचार टाल दिया हो लेकिन इन हालात के बावजूद कई कंपनियां आईपीओ लाने का साहस कर रही हैं। इस कतार में शामिल हुई यश बिड़ला की बिड़ला कॉटसिन इंडिया लिमिटेड ने अपने प्रसार अभियान के लिए पूंजी जुटाने के लिए 15 से 18 रुपये के प्राइस बैंड पर 144.18 करोड़ रुपये जुटाने का मन बनाया है।
इससे कंपनी को 320 करोड़ रुपये का विस्तार अभियान पूरा करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने अगस्त 2006 में खामगांव सिनटेक्स के अधिग्रहण के बाद अपने विस्तार अभियान को तेज कर दिया है और सिंथेटिक यार्न बनाने के कारोबार में भी प्रवेश किया है। खाममगांव संयंत्र का आधुनिकीकरण करने के बाद कंपनी ने इसकी क्षमता को भी 19,040 स्पिंडल तक बढ़ा दिया है। कंपनी कॉटन का उत्पादन करने के लिए 1,728 रोटर्स और लगाने जा रही है। मल्कापुर यूनिट में भी कंपनी 36,000 स्पिंडल केविनिर्माण की क्षमता लगाने जा रही है।
मल्कापुर यूनिट से ग्रे कॉटन के जुलाई 2009 तक शुरु होने की उम्मीद है। हालांकि इनसे कंपनी को लाभ मिलना वित्त्तीय वर्ष 2010 के बाद ही शुरु होगा। कंपनी की योजना फिलहाल देश के बड़े शहरों में 20 रिटेल आउटलेट स्थापित करने की है। कंपनी ने रिटेल उपक्रम के लिए 5.8 करोड रुपये की राशि तय की है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से मिलने वाली राहत की वजह से कंपनी को अपनी ईएसआई और ईपीएफ को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
निर्यात केंद्रित
टेक्सटाइल उद्योग में कोटा व्यवस्था समाप्त होने, एंटी डम्पिंग मानकों के मजबूत होने,घरेलू और विदेशी दोनों जगह उच्च मांग बरकरार रहने के कारण टेक्सटाइल उद्योग के लिए सकारात्मक रुख बने रहने के आसार हैं। भारतीय टेक्सटाइल बाजार के 12 फीसदी की गति से बढ़ने के आसार हैं। जहां तक बिड़ला कॉटसिन की बात है तो भार्द्वाज गु्रप के साथ संयुक्त समझौता किया है। इस कंपनी से समझौते के बाद कंपनी को विदेशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बिड़ला कॉटसिन वर्तमान में अपने उत्पादन के 20 फीसदी हिस्से का निर्यात तुर्की, मध्य-पूर्व, यूरोप को करती है और कंपनी की इसे 50 फीसदी के स्तर तक बढ़ाने की योजना है। कंपनी अगले साल से दक्षिण अमेरिका, ब्रिटेन, नाइजीरिया के लिए यार्न का निर्यात करना शुरु करेगी। क्रिसिल रिसर्च यह मानती है कि कॉटन की कीमतों में मजबूती बरकरार रहेगी। नतीजतन कंपनी इसकी अबाध उपलब्धतता को बरकरार रखना चाहती है क्योंकि खामगांव इसके उत्पादन का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है। हालांकि बिड़ला ग्रुप के पास टेक्सटाइल सेक्टर का छह दशकों से ज्यादा का अनुभव है।
मूल्यांकन
यद्यपि कंपनी के राजस्व में 55 फीसदी का इजाफा हुआ है,लेकिन इसमें सबसे अहम भूमिका कारोबारी आय का रहा जिसने राजस्व को 26 फीसदी से 55 फीसदी पर पहुंचा दिया। लेकिन इस आंकड़े पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं क्योंकि नई निर्माण इकाई शुरू होने वाली है। कंपनी के लिए वित्तीय वर्ष 2008 में मार्जिन में थोड़ा बदलाव देखा जा सकता है।
कंपनी अब तक सिंथेटिक यार्न के निमार्ण में संलिप्त रही है। जबकि सिंथेटिक पॉलिस्टर में पिछले एक साल के भीतर कुल 25 से 27 फीसदी का इजाफा हुआ है जो कच्चे तेल की कीमतों के कारण देखने को मिल रहा है। इसके अलावा ब्याज दरों में हो रही तीव्र बढ़ोत्तरी के कारण कंपनी के लिए दुश्वारियां बढ़ सकती हैं क्योंकि कंपनी के लिए आधी से ज्यादा पूंजी का निवेश डेट फंडों के द्वारा हुआ है।
ओपन इश्यू:-30 जून
क्लोज इश्यू:-4 जुलाई