facebookmetapixel
अमेरिका-चीन में ट्रेड फ्रेमवर्क को लेकर बनी सहमति, ट्रंप-शी मुलाकात का रास्ता साफइन्वेस्ट यूपी के बाद योगी सरकार का नया फैसला, जिला उद्योग केंद्रों को कॉरपोरेट रूप देने की योजनाQ2 Results: इस हफ्ते 300 से ज्यादा कंपनियों के नतीजे, लिस्ट में अदाणी ग्रुप की 3 कंपनियां; देखें पूरी लिस्टPSU Stock: रेलवे पीएसयू कंपनी को मिला ₹168 करोड़ का ऑर्डर, सोमवार को शेयर में दिख सकता है तगड़ा एक्शनLenskart 31 अक्टूबर को लॉन्च करेगा IPO, 2,150 करोड़ रुपये जुटाने का है लक्ष्यDividend Stocks: अगले हफ्ते Infosys, CESC और Tanla Platforms शेयरधारकों को देंगे डिविडेंड, देखें पूरी लिस्टStock Market Outlook: Q2 नतीजों से लेकर फेड के फैसले और यूएस ट्रेड डील तक, ये फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चालअनिल अग्रवाल की Vedanta ने $500 मिलियन बांड जारी कर कर्ज का बोझ घटायाMaruti Suzuki के दम पर भारत का वाहन निर्यात 18% बढ़ा: SIAMअदाणी की फंडिंग में US इंश्योरर्स की एंट्री, LIC रही पीछे

सुस्त रह सकती है ऋण की रफ्तार

2026 के दौरान ऋण में वृद्धि दर 11 से 13 प्रतिशत और जमा में वृद्धि की दर 9 से 10 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है।

Last Updated- June 29, 2025 | 10:48 PM IST
RBI
प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी से जून के बीच नीतिगत रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती किए जाने के बावजूद बैंकों ने चालू वित्त  वर्ष  2026 के दौरान ऋण में वृद्धि दर 11 से 13 प्रतिशत और जमा में वृद्धि की दर 9 से 10 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष के समान ही है।

बैंक अभी नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) घटने का इंतजार कर रहे हैं, जो 6 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से होना है। साथ ही त्योहारी सीजन में कर्ज की मांग का भी इंतजार किया जा रहा है। इसे देखने के बाद ही ऋण में वृद्धि की दर का अनुमान बढ़ाने पर विचार होगा।  बैंक के अधिकारियों ने कहा कि खासकर पहली तिमाही के दौरान ऋण की मांग कम रहने और खुदरा जमा आकर्षित करने में आ  रही चुनौतियों को देखते हुए वृद्धि अनुमान यथावत रखा जा रहा है।  अधिकारियों का कहना है कि सितंबर में त्योहारों का मौसम और सीआरआर में कटौती शुरू होने के बाद ऋण की मांग में 1 से 2 आधार अंक की मामूली वृद्धि हो सकती है।

एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बाजार की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है, जिसकी वजह से ऋण और जमा वृद्धि के मार्गदर्शन में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम आकलन करेंगे कि सीआरआर में कटौती का नकदी पर कितना असर पड़ रहा है। पहली तिमाही में ऋण की मांग सुस्त रहने का अनुमान है। सितंबर में त्योहारों का मौसम शुरू होने और सीआरआर में कटौती शुरू होने के बाद ऋण की मांग में 1 से 2 आधार अंक की मामूली वृद्धि हो सकती है।’

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ बातचीत में केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती किए जाने के बाद ऋण देने की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया था। असुरक्षित ऋण और मॉर्गेज के साथ एनबीएफसी द्वारा ऋण देने में सावधानी बरतने के कारण ऋण की मांग सुस्त बने रहने का अनुमान है, भले ही रिजर्व बैंक ने कुछ मानक शिथिल किए हैं। बैंकरों का मानना  है कि माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में सितंबर से दबाव कम होना शुरू हो सकता है, जिससे ऋण में तेजी को समर्थन मिल सकता है।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 13 जून, 2025 को बैंक ऋण में वृद्धि 9.7 प्रतिशत था, जो एक साल पहले की 19.78 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।  वित्त वर्ष 2025 में ऋण वृद्धि 11 प्रतिशत और जमा वृद्धि 10.3 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 2024 की क्रमशः 20.2 प्रतिशत और 13.5 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में कम है।  रिजर्व बैंक फरवरी से दरों में कटौती कर रहा है और नकदी अधिशेष की स्थिति बनाए हुए है। बैंकों पर इसका असर असमान है। सार्वजनिक बैंकों के ऋण का 30 से 40 प्रतिशत बाहरी मानकों से जुड़ा होता है, जिसकी उधारी दर में तेज कमी आई है।  वहीं बैंकों में खुदरा जमा को लेकर प्रतिस्पर्धा के कारण जमा दर में समायोजन की रफ्तार सुस्त है।

त्योहारों का मौसम शुरू होने और सीआरआर में चरणबद्ध तरीके से कटौती शुरू होने के कारण सितंबर और उसके बाद से ऋण की मांग तेज होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सीआरआर में सितंबर और नवंबर के बीच 4 चरणों में 25 आधार अंक की कमी की जानी है। भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीआरआर में कटौती से उधार देने के लिए संसाधन आएगा और इससे ऋण में 1.4 से 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है और इससे कुल मिलाकर नकदी बढ़ेगी।

एक अन्य सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘सीआरआर में कमी चरणबद्ध तरीके से होनी है, जो इस साल सितंबर में शुरू होगी। इससे कर्जदाताओं को नकदी और वृद्धि के बीच बेहतर संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।’

वैश्विक भूराजनीतिक विवाद और अमेरिकी शुल्क को लेकर अनिश्चितता जैसे व्यापक वृहद आर्थिक व्यवधानों से निजी पूंजीगत व्यय पर विपरीत असर जारी रहने और थोक ऋण की मांग पर असर पड़ने की संभावना बनी हुई है।    

एक निजी क्षेत्र के बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ऋण वृद्धि में सुधार होगा, लेकिन यह देरी से होगा। केवल दरों में कटौती और सीआरआर में कटौती से इसकी वापसी नहीं होगी। ऋण में वृद्धि चल रही आर्थिक गतिविधियों पर अधिक निर्भर करती है, जो विनियामक की सख्ती के कारण पिछले 2-3 वर्षों से धीमी हो गई है।’

First Published - June 29, 2025 | 10:48 PM IST

संबंधित पोस्ट