भारतीय जीवन बीमा निगम को राहत देते हुए बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) ने इसे कम से कम 47 कंपनियों में 10 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखने की मंजूरी दी है।
हालांकि यह राहत अस्थायी है और कुछशर्तों की साथ दी गई है जिसके तहत एलआईसी को इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को तुरंत बेचने की जरूरत तो नहीं होगी, लेकिन साथ ही वैसी कंपनियों जिनमें इसकी हिस्सेदारी निर्धारित 10 फीसदी से कम है, वहां पर यह इससे ज्यादा की हिस्सेदारी नहीं रख सकती है।
इसके अलावा जिन कंपनियों में एलआईसी की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा है, वहां भी यह अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी नहीं कर सकती है।
एलआईसी को राहत देने के फैसले के बारे में आईआरडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को फोन पर बताया कि गिरावट के इस दौर में अगर एलआईसी अपनी हिस्सेदारी को बेचती है तो इससे पॉलिसीधारकों को काफी नुकसान पहुंचेगा क्योंकि इक्विटी में कुल रकम का 95 फीसदी हिस्सा पॉलिसीधारकों का ही है।
गौरतलब है कि आईआरडीए ने एलआईसी को राहत अपने उस फैसले के बाद ही है जिसमें नियामक ने जीवन बीमा कंपनी की हिस्सेदारी चुकता पूंजी के 10 फीसदी पर तय की थी। एलआईसी ने इस आधार पर नियामक से राहत मांगी थी कि हिस्सेदारी को बेचने से इसके पोर्टफोलियो में जो शेयर हैं उनकी बाजार में कीमतों में काफी गिरावट आएगी।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा जारी किए गए आंकडाें के अनुसार एलआईसी की 395 कंपनियों में हिस्सदारी की कीमत को शुक्रवार को बंद होने वाली कीमत के आधार पर 1,09,507 करोड रुपये आंका गया। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2008 में करीब 47 ऐसी कंपनियां थी जिसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा थी।
