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एसेट पर रिटर्न 4 फीसदी से अ​धिक न रखें NBFC, ब्याज दरों की समीक्षा करें वित्त संस्थान: Sa-Dhan

पिछले सप्ताह RBI ने चार NBFC को अपने सूक्ष्म वित्त उधारकर्ताओं से अ​धिक ब्याज दर वसूलने का हवाला देते हुए ऋण को स्वीकृत करने एवं वितरित करने से रोक दिया था।

Last Updated- October 22, 2024 | 10:19 PM IST
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ग्राहकों से अ​धिक ब्याज दर वसूलने के लिए दो सूक्ष्म वित्त संस्थानों सहित चार गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) पर नियामकीय कार्रवाई होने के बाद एक स्व-नियमन संगठन (एसआरओ) ने अपने सदस्यों से कहा है कि परिसंप​त्ति पर रिटर्न को 4 फीसदी के दायरे में रखा जाए।

सूत्रों के अनुसार, सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त स्व-नियमन संगठन सा-धन (Sa-Dhan) ने अपने सदस्यों से कहा है कि सूक्ष्म वित्त ग्राहकों के लिए ऋणदाताओं द्वारा वसूली जाने वाली ब्याज दरों की समीक्षा की जाए। एक सूत्र ने कहा, ‘हमने उनसे कहा है कि परिसंप​त्ति पर रिटर्न 4 फीसदी से अ​धिक नहीं होनी चाहिए। 3 से 4 फीसदी परिसंप​त्ति पर रिटर्न अच्छा रहता है।’

एसआरओ अपने सदस्यों से ब्याज दरों के अलावा अन्य जानकारी भी जुटाएगा और ऋण के लिए मूल्य निर्धारण प्रक्रिया की समीक्षा करेगा। सा-धन के 80 से 85 सदस्य ऐसे हैं जिन्हें एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

यह पहल ऐसे समय में की गई है जब बैंकिंग नियमन इस क्षेत्र पर अपनी निगरानी बढ़ा रहा है। उसे पता चला है कि कई ऐसी संस्थाएं ग्राहकों से अ​धिक ब्याज दर वसूल रही हैं और निष्पक्ष व्यवहार संहिता का अनुपालन नहीं कर रही हैं।

पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चार एनबीएफसी को अपने सूक्ष्म वित्त उधारकर्ताओं से अ​धिक ब्याज दर वसूलने का हवाला देते हुए ऋण को स्वीकृत करने एवं वितरित करने से रोक दिया था। इनमें आशीर्वाद माइक्रो फाइनैंस, आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज, डीएमआई फाइनैंस और नावी फिनसर्व शामिल हैं। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि ये संस्थाएं कई मानदंडों का उल्लंघन भी कर रही थीं।

करीब दो साल पहले मूल्य निर्धारण नीति के विनियमन के बाद संस्थानों के पर्यवेक्षण के दौरान पाया कि अधिकतर ऋणदाता 26 से 28 फीसदी के भारित औसत उधारी दर के साथ 12 फीसदी स्प्रेड बरकरार रख रहे थे। जबकि कुछ ऋणदाताओं का स्प्रेड 14 फीसदी था और उन्हें नियमन कार्रवाई का सामना करना पड़ा। सा-धन स्थिति का जायजा लेने के लिए इस सप्ताह नई दिल्ली में आयोजित अपने राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान भी सदस्यों से मिलेगा।

आरबीआई के गवर्नर श​क्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा था कभी-कभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपने निवेशकों के दबाव में इक्विटी पर अत्यधिक रिटर्न हासिल करने की को​​शिश करने लगती हैं।’

आरबीआई की कार्रवाई का सामना करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां उच्च ब्याज दर वसूलने के अलावा उधारी के लिए घरेलू आय के आकलन और मासिक अदायगी दायित्व जैसे कई मानदंडों का उल्लंघन करते पाई गईं।

First Published - October 22, 2024 | 10:16 PM IST

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