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लंबी अवधि के फंडों से दूरी बनाना ही बेहतर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:41 AM IST

दस साल अवधि के सरकारी बॉन्डों का प्रतिफल बढ़कर 6.20 फीसदी पर पहुंच गया है। इस साल ब्याज दरों में भी इजाफे की उम्मीद है, इसलिए निवेशकों को स्थिर आय में निवेश की अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना होगा।
क्यों बढ़ रहा बॉन्ड प्रतिफल?
बजट में सरकार ने ऐलान किया कि चालू वित्त वर्ष में वह बाजार से 80,000 करोड़ रुपये की उधारी अलग से लेगी। यह सुनकर बाजार सकते में आ गया। अगले वित्त वर्ष में सरकार की 12.06 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना है। वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 फीसदी रहा तो अनुमान से अधिक होगा। बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 फीसदी पर रोकने का लक्ष्य तय किया है यानी घाटा ऊंचा ही रहेगा। बाजार इतने अधिक बॉन्ड खुद नहीं संभाल सकता और उसे भारतीय रिजर्व बैंक की मदद चाहिए।
पिछले सोमवार को बाजार में बिकवाली की आंधी इसीलिए चली क्योंकि विशेषज्ञों को रिजर्व बैंक से ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (ओएमओ) कैलेंडर पता चलने की उम्मीद है। क्वांटम म्युचुअल फंड में फंड प्रबंधक (स्थिर आय) पंकज पाठक कहते हैं, ‘बॉन्ड की आपूर्ति बढऩे वाली है और उसी से दबाव पैदा हो रहा है। बाजारर को लगता है कि रिजर्व बैंक पहले से बताएगा कि वह कितनी मदद करेगा मगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।’
इस साल ब्याज दरें भी बढऩे का अनुमान है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह काम चरणबद्घ तरीके से होगा। सुंदरम म्युचुअल फंड में प्रमुख (स्थिर आय, संस्थागत कारोबार) सिद्घार्थ चौधरी को लगता है, ‘रिजर्व बैंक ने कोविड-19 के बाद जरूरत से ज्यादा नरमी दिखाई है, जो हाल में दिखी बेहतर मांग के और मजबूत होने पर वापस लेनी ही होगी। लेकिन ऐसा टुकड़ों में किया जाएगा क्योंकि अर्थव्यवस्था को कुछ समय तक सहारे की जरूरत है।’
मुनाफावसूली का वक्त
अगर कम ब्याज दर का फायदा उठाकर अभी तक आपने दीर्घावधि बॉन्ड और गिल्ट फंड में रकम लगाई है तो अब मुनाफा कमा लें। गिल्ट फंड में पिछले रिकॉर्ड के आधार पर रकम नहीं लगाएं क्योंकि दरें बढऩे पर घाटा हो सकता है। मॉर्निंगस्टार के आंकड़े बताते हैं कि 22 जनवरी से 22 फरवरी, 2021 के बीच दीर्घावधि बॉन्ड फंड को 2.71 फीसदी और गिल्ट फंड को 1.46 फीसदी गिरावट झेलनी पड़ी है।
छोटी अवधि के दांव खेलें
विशेषज्ञों के मुताबिक यह रक्षात्मक रवैये का वक्त है। कॉरपोरेट प्रशिक्षक डेट बाजार और लेखक जयदीप सेन के मुताबिक रक्षात्मक रवैये का मतलब कम परिपक्वता अवधि की योजनाओं में निवेश है। आपको कम अवधि के फंडों और मनी मार्केट फंडों में रकम लगानी चाहिए, जो 6 से 12 महीने में परिपक्व होने वाले बॉन्डों में एक साल तक निवेश करते हैं। प्रतिफल आकर्षक होता है और साल भर से भी कम समय में नए सिरे से निवेश हो जाता है। आपको करीब दो साल की औसत अवधि वाले अल्पावधि फंडों में भी कुछ रकम लगा सकते हैं। प्रतिफल ज्यादा चाहिए और जोखिम उठाने में दिक्कत नहीं है तो क्रेडिट रिस्क फंड चुनिए। व्यक्तिग गैर परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के बजाय ऐसे फंडों में रकम लगाएं, जो तीन साल में बेहतर करोपरांत प्रतिफल दे सकें।
लंबी अवधि के लिए न फंसें
एफडी में पैसा लगाना है तो 12-15 महीने के लिए ही निवेश करें। इससे फायदा यह होगा कि दरें बढ़ती हैं तो एफडी पूरी होने पर मिली रकम आप ऊंची दर पर दोबारा निवेश कर पाएंगे। किसी कंपनी की एफडी में निवेश करना है तो अच्छे नामों पर जाएं। ऐसे दीर्घावधि बॉन्ड और एफडी से तौबा करें, जो कुछ ज्यादा ही ऊंचा ब्याज दे रहे हों। ब्याज दरें बढ़ेंगी तो आप ऊंची दर पर दोबारा निवेश नहीं कर पाएंगे।
इसमें भी चरणबद्घ तरीका अपनाएं यानी स्थिर आय योजनाओं में इस तरह निवेश करें कि आपका निवेश नियमित अंतराल पर परिपक्व होता रहे। इससे दोबारा निवेश का जोखिम कम हो जाएगा। साथ ही आपको नियमित अंतराल पर नकदी भी मिलती रहेगी, जिसे आप प्रतिफल के अलग-अलग स्तर पर दोबारा निवेश कर सकते हैं। ऐसा करने पर लंबी अवधि में आपको अच्छा औसत प्रतिफल हासिल हो जाएगा।

First Published - March 1, 2021 | 1:16 AM IST

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