मुंबई में हुए बिजनेस स्टैंडर्ड BFSI समिट 2025 में IRDAI के चेयरमैन अजय सेठ ने कहा कि सरकार का नया फैसला बहुत बड़ा कदम है। अब हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी (टैक्स) को शून्य यानी जीरो कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “पहले खाने की चीजों पर जीरो टैक्स था, अब बीमा पर भी जीरो टैक्स है। इसका मतलब है कि सरकार अब बीमा को भी खाना जितना जरूरी मान रही है।” अजय सेठ ने कहा कि इससे लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस सस्ता होगा और ज्यादा लोग इसे खरीद सकेंगे।
अजय सेठ ने कहा कि यह बीमा उद्योग के लिए बड़ा मौका है। अब बीमा को ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है और इसे सस्ता बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अभी बीमा महंगा है। हमें सिर्फ अमीर लोगों तक नहीं, बल्कि हर वर्ग के लोगों तक पहुंचना होगा। जब तक ग्राहक को सही फायदा नहीं मिलेगा, तब तक बीमा का विस्तार नहीं होगा।” अजय सेठ ने कंपनियों से कहा कि वे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों तक बीमा पहुंचाने पर ध्यान दें, क्योंकि वहीं सबसे ज्यादा बढ़त की संभावना है। उन्होंने कहा कि कंपनियों को महंगे बिजनेस मॉडल छोड़कर सस्ता और आसान तरीका अपनाना चाहिए, ताकि ज्यादा लोग बीमा ले सकें।
उद्योग में नीति की स्थिरता (policy stability) को लेकर उठ रही चिंताओं पर अजय सेठ ने कहा कि सिर्फ पुराने तरीके से काम करते रहना सही हल नहीं है। उन्होंने कहा, “अभी हेल्थ इंश्योरेंस की हालत ठीक नहीं है और लाइफ इंश्योरेंस में लोग बहुत कम बचत कर रहे हैं। अगर हम इसी स्थिति से खुश हैं, तो रह सकते हैं, लेकिन इससे समस्या हल नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि अब ध्यान बीमा की पहुंच और वितरण पर होना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज बीमा की सबसे ज्यादा बढ़त छोटे और मझोले शहरों से आ रही है, लेकिन सस्ती बीमा योजनाओं पर अभी भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है,”
अजय सेठ ने कहा कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) का स्वागत है, लेकिन सिर्फ उसी पर भरोसा करना ठीक नहीं है। उन्होंने बताया, “कुल 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश में से विदेशी निवेश सिर्फ 80 से 90 हजार करोड़ रुपये का है। सिर्फ विदेशी पैसे से यह सेक्टर पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता। देश के घरेलू निवेशकों को भी इसमें आगे आना होगा।”
सेठ ने बताया कि अभी बीमा कंपनियां इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत कम निवेश कर रही हैं। कुल 75 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों में से सिर्फ 10 प्रतिशत पैसा ही इस क्षेत्र में लगाया गया है। उन्होंने कहा कि RBI और SEBI के साथ मिलकर भारत के बॉन्ड बाजार को मजबूत बनाना जरूरी है, ताकि बीमा कंपनियां लंबी अवधि के प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकें और देश के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकें।
डिजिटल बदलाव पर बात करते हुए अजय सेठ ने कहा कि अब बीमा क्षेत्र को भी अपने लिए एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बीमा सुगम (Bima Sugam) और इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (IIB) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म आने वाले समय में बीमा उद्योग में पारदर्शिता (Transparency) और कुशलता (Efficiency) बढ़ाएंगे। उनके मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स से ग्राहकों को बीमा खरीदने और क्लेम करने की प्रक्रिया तेज और आसान हो जाएगी।
अजय सेठ ने बताया कि IRDAI अब जोखिम आधारित पूंजी और जोखिम आधारित निगरानी पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमें और कंपनियों की जरूरत है, खास तौर पर ऐसी जो किसी एक क्षेत्र या इलाके पर फोकस करें। पूंजी की जरूरतें चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन बतौर नियामक हम इसके लिए तैयार हैं।”
सरकार के इस फैसले से साफ है कि अब बीमा को सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय समावेशन का अहम हिस्सा माना जा रहा है। अजय सेठ ने कहा, “अब जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की है कि वे इस मौके का फायदा उठाएं और बीमा को हर भारतीय तक पहुंचाएं।”