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बाजार में गिरावट आते ही दहशत में आ जाते हैं निवेशक

Last Updated- December 07, 2022 | 9:49 PM IST

हमारे ऑरफेस ऑफिस में फोन कॉल का एक इंडेक्स है। यह एक आंतरिक इंडेक्स है, जिसका इस्तेमाल हम करते हैं। एक ही सप्ताह में जितनी बड़ी संख्या में कॉल आते हैं, बाजार की धारणा उतनी ही मजबूत होती है। पिछला हफ्ता बाजार में उतार-चढ़ाव से जुड़ी हुई ढेरों कॉलों का रहा। 

‘बाजार में 10 प्रतिशत की गिरावट के  बाद मैं लंबे समय का निवेशक हूं। लेकिन अभी लगता है कि बाजार गिरना बंद नहीं हुआ है और अब डाउ भी गिर रहा है, मुझे क्या करना चाहिए?’ एक और पूछताछ थी, ‘यह गिरावट कब थमेगी।

यह कितना नीचे जा सकता है?’ फेनी मे, फे्रडी मैक और मेरिल से जुड़े व्यक्ति ने पूछा, ‘इनका भविष्य क्या है?’ एक ने शॉर्ट सेलिंग पर प्रतिबंध के बारे में पूछा और कहा कि इससे बाजार के व्यवहार में कैसे बदलाव आएगा? ‘नियामक इसके अलावा और क्या कर सकता है? बाजार में ओपन इंटरेस्ट बढ़ रहा है, इसका क्या मतलब है?

मैं बाजार में गिरावट के अंतिम स्तर को लेकर संदेह में हूं। क्या गिरावट के अंतिम स्तर को लेकर खरीद के लिहाज से मेरी शंका सही है या बाजार अभी और गिरेगा?’

पहली नजर में हमारे दफ्तर में आने वाली कॉलों के इंडेक्स का लगभग दहशत तक गिरना या गिरावट के अंतिम स्तर में कम जोखिम के साथ निकल जाना अजीब लग सकता है। लेकिन अगर आप गहराई से सोचें तो आपको समय का एक चक्र नजर आएगा।

ऑरफेस में हम बाजार धारणा पर नजर रखते हैं। बाजार धारणा को समझने की जरूरत इतनी अधिक है कि जब कभी हम सौ-पचास लोगों का सम्मेलन करते हैं, तो हम सर्वेक्षण भी कराते हैं। ऐसा ही एक सम्मेलन हमने दिसंबर 2006 में रोमानिया के यूरोपीय संघ में शामिल होने से एक सप्ताह पहले किया था।

मैंने अपना हाथ उठाया और एक बड़े समूह से पूछा कि कितने लोग मानते हैं कि बाजार आज जिस स्तर पर है उससे आधा रह जाएगा। तब एक भी हाथ नहीं उठा था।

उसके बाद जनवरी 2007 में बाजार औंधे मुंह यानी 30 प्रतिशत तब गिरा जब रोमानिया के लोग यूरोपीय संघ में शामिल होने का जश्न मना रहे थे और किसी पासपोर्ट या वीजा की पूछताछ के बिना हंगरी की सीमाओं को लांघ कर कॉफी पीने निकल रहे थे।

2007 में एक और मौके पर जब मैंने अपना हाथ उठाते हुए वही सवाल पूछा तो मेरे अलावा एक और हाथ उठा। इस बार यह हाथ एक संस्थागत ब्रोके्रज कंपनी के शोध प्रमुख का था।

लेकिन अब भी हम कम संख्या में थे, दो लोग अकेले मानते थे कि बाजार अपनी मौजूदा कीमत का आधा रह जाएगा। बाजार की अवधारणा ही इस तरह की है, अकेले लोग ऊपर होते हैं, और स्वागत करने वाले लोग नीचे।

ऊपर वाले लोग राजा बन जाते हैं और नीचे बैठे लोग खाइयों में खुद को छुपाकर जिंदा रखने वाले युध्द के डरे हुए बंदियों जैसे होते हैं। बाजार ऊपर चढ़ता है तो जश्न मनाते हैं अपने ब्रोकरों के साथ बैठ कर खाना खाते हैं और बाजार गिरता है तो हम उन्हें गालियां देते हैं और अदालत में घसीटने की धमकी भी देते हैं।

यही कारण है कि जब बाजार ऊपर चढ़ता है तो बदहवास कॉलों का इंडेक्स कभी ऊपर नहीं चढ़ता। फोन की घंटियां तभी बजना शुरू होती हैं, जब बाजार गिरना शुरू होता है।

यह मनुष्य का स्वभाव है। जब बाजार तेजी से बढ़ रहा होता है, तब कॉल ऑप्शन पर ध्यान देने के बजाए, जब बाजार गिरता है तो हम पुट ऑप्शन पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

लालच से ज्यादा ताकतवर डर होता है जो हमें आगे बढ़ने पर मजबूर करता है। यही कारण है कि जबरदस्त उछाल के वक्त जैसा उत्साह होता है, उसके मुकाबले दहशत में बाजार में निकलने की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है।

इसके अलावा कीमतों की छलांग बाजार को ऊंचा बढ़ा सकती है, लेकिन बाजार के गिरने की भी सीमा है- 50 प्रतिशत, 60 प्रतिशत, 90 प्रतिशत। गिरावट की  सीमा साफ है। लेकिन बाजार कितना उठेगा, इसकी कोई तकनीकी  सीमा नहीं है।

बाजार से निकलने के साथ जुड़ी और भी समस्याएं हैं। अगर हम जान जाते हैं कि गिरते बाजार से कब निकलना चाहिए, तब भी कीमतों को गिरने के मुकाबले उठने में ज्यादा वक्त लगता है।

हमें तोड़ने के मुकाबले बनाने में अधिक वक्त लगता है। हम बाजार में जबरदस्त उछाल के समय में मार्जिन लेंडिंग योजनाओं से गिरते बाजार में शॉर्ट सेल्स की रोक की तरफ बढ़ते हैं।

शॉर्ट सेल में रोक लगाने और उसे हटाने का पूरा इतिहास है। वैश्वीकरण के समर्थकों का भी इस दहशत भरी गिरावट में कम योगदान नहीं है। वे इसे वैश्विक बना देते हैं।

उदारीकरण और संरक्षणवाद के चक्र होते हैं।  इन सभी के साथ अटकलें और वैश्विक स्तर पर कम जोखिम में बाजार से निकलना भी मिला होता है, जहां दुनिया पर इसका असर एक साथ होता है।

वैश्विक संक्रमण और कम जोखिम में बाजार से निकलने की स्थिति में समूह की ताकत हैं। जब कई देशों में एक साथ गिरावट आती है तो जबरदस्त धारणा बनती है लेकिन जब एक बाजार में गिरावट आती है तो ऐसा नहीं होता। 

अगर बाजार में हमारे पास 10 क्षेत्र हैं और सभी अच्छी हालत में हैं, किसी एक क्षेत्र के गिरने की जरूरत है, सभी एक साथ गिरते हैं और उसी समय में सभी में नुकसान होता है। और अब जो हो रहा है वह वैश्विक संक्रमण है।

जनवरी से अभी तक रूस 50 प्रतिशत गिर चुका है, शांघहाई 60 प्रतिशत, ब्राजील बीवीएसपी और भारत का सेंसेक्स 30 प्रतिशत गिरावट देख रहा है। और अगर इसके साथ आप किसी के  दिवालिया होने या किसी को उबारने की बातें सुनते हैं, तो जाहिर है डर पूरी दुनिया में फैलेगा।

कम जोखिम में बाजार से निकलना एक तरीका है जो शेयरों और सूचकांकों के लिए अलग तरह से काम करता है। इससे आप शेयर के  बजाय बाजार का आकलन ज्यादा कर सकते हैं। सूचकांक दोबारा उठ सकते हैं।

यही कारण है कि 1929 में डाउ इंडेक्स 90 प्रतिशत गिरने के बाद भी बना रहा, क्योंकि नए उद्योगों, क्षेत्रों  और घटकों ने अपना स्थान बना लिया था। लेकिन जब शेयर 90 प्रतिशत गिर जाते हैं, यहां कुछ ज्यादा अध्ययन करने को नहीं बचता। 90 प्रतिशत की सभी गिरावट एक जैसी लगती हैं।

बाजार संकेत देता है कि कंपनियां साफ हो चुकी हैं और उनका आगे चलते रहना या दोबारा उठना चमत्कार ही है। फेनी मे, फ्रेडी मैक, एआईजी, लीमन और मेरिल के साथ क्या हुआ, उसके बाद ज्यादा कहने को कुछ नहीं बचा।

बाजार से निकलने के चक्र को आसान चक्रों के साथ जोड़ा जा सकता है। अब जरूरत है कि चीजों को दोबारा आसान किया जाए। संबंध की जरूरत बढ़ रही है और हासिल करने की जरूरत घट रही है। बाजार की जानकारी भी कम समय से अधिक समय की याददाश्त की तरफ मुड़ रही है।

हम ऐतिहासिक समय में हैं और बाजार से दहशत में निकलने वालों की इतनी बड़ी संख्या शेयरों के अध्ययन को बेकार बना सकती हैं। हमें सिर्फ समय पर अधिक काम करने की जरूरत है, क्या यह पहले हो चुका है, या अक्टूबर में होने वाला है?

एक चतुर निवेशक दूसरी तरफ हैरान होगा कि आखिर दहशत में बाजार से निकलना है क्या? उसके खुशहाली भरे शेयर जैसे कि वेस्टाज विंड, आईटीटी कॉर्प, फर्स्ट सोलर साल के लिए सकारात्मक परिणाम देंगे।

First Published - September 21, 2008 | 10:05 PM IST

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