बीमा कंपनियों ने बकाया कर्ज लौटाने के लिए क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी बीमा नियामक इरडा (IRDAI) के निर्देश का स्वागत करते हुए कहा है कि यह पॉलिसीधारकों को कर्ज के जाल में फंसने से रोकेगा।
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हाल ही में अपने एक आदेश में सभी जीवन बीमाकर्ताओं से कहा है कि वे बीमा पॉलिसी गिरवी रखकर लिए गए कर्जों को चुकाने में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर फौरन रोक लगाएं।
इस निर्देश पर बीमा कंपनियों ने कहा है कि क्रेडिट कार्ड पर उधार लेकर और कार्ड पर बकाया राशि पर बहुत अधिक ब्याज दरों का भुगतान करके ऋण चुकाना ग्राहक के हित में नहीं था।
विशेषज्ञों का मत है कि वित्तीय अनुशासन सबसे अहम है और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कर्ज चुकाने से बचा जाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि भुगतान में चूक होने या आंशिक भुगतान के मामले में, कार्ड जारी करने वाली कंपनियों को भारी ब्याज दरों का भुगतान करना होगा।
कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस के अध्यक्ष, मुख्य बीमांकक और मुख्य जोखिम अधिकारी (Chief Actuary and Chief Risk Officer) सुनील शर्मा ने कहा कि बीमा नियामक का यह एक अच्छा कदम है क्योंकि यह पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करता है।
उन्होंने कहा, ‘पॉलिसी पर लिए गए कर्ज पर ब्याज दरें बिना गारंटी वाले व्यक्तिगत ऋण की तुलना में बहुत कम हैं लिहाजा ग्राहकों के लिए पॉलिसी ऋण चुकाने के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना वित्तीय समझदारी नहीं होगी।’
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SecureNow के सह-संस्थापक कपिल मेहता के मुताबिक, नियामक को यह लगता है कि क्रेडिट कार्ड से बीमा ऋण चुकाने वाले कर्ज के जाल में फंस जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘अधिकांश बीमा ऋण आठ से 15 प्रतिशत दर वाले होते हैं जबकि क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें 20 प्रतिशत से ऊपर हो सकती हैं।’
आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस (Aditya Birla Sun Life Insurance) के प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) कमलेश राव ने कहा कि यह आदेश पॉलिसीधारकों के सर्वोत्तम हितों को सुनिश्चित करने में मदद करता है और जिम्मेदार वित्तीय योजना का समर्थन करता है।
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राव ने कहा, ‘पॉलिसीधारकों को यह सलाह दी जाती है कि वे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने की जगह संचित धन से अपना ऋण चुकाएं।’