बीमा मध्यस्थों और बीमा क्षेत्र के एग्रीगेटरों के खिलाफ फर्जी इनवाइस मामले की जांच तेज हो गई है। वस्तु एवं सेवा कर के अधिकारियों ने पिछले 2 सप्ताह के दौरान इनमें से कुछ एग्रीगेटरों व मध्यस्थों के खिलाफ समन नोटिस जारी कर अतिरिक्त सूचनाएं मांगी है।
ये सूचनाएं बीमा कंपनियों के साथ समझौते/कॉन्ट्रैक्ट 2018-19 से अब तक इन कंपनियों को मिले इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ सेवाएं देने संबंधी दस्तावेज से संबंधित हैं।
धोखाधड़ी करके कथित रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए कम से कम 16 बीमा कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है। यह जांच जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने शुरू की थी। इसी सिलसिले में नोटिस भेजा गया है।
बीमा कंपनियों के साथ मिलीभगत करके ये मध्यस्थ कथित रूप से फर्जी इनवाइस जारी कर रहे थे। इस तरह के इनवाइस मार्केटिंग और सेल्स सेवाओं के नाम पर हैं।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने मामले की पु्ष्टि करते हुए बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सेंट्रल जीएसटी ऐक्ट की धारा 70 के मुताबिक कुछ मध्यस्तों को समन जारी किया गया है।’
सूत्र ने कहा, ‘इनमें से कुछ ने आंशिक सूचनाएं प्रदान की हैं। लेकिन तमाम मामलों में वह सूचना देने में विफल रही हैं कि इनवाइस किस सेवा के एवज में जारी की गई है।’
जीएसटी के अधिकारियों ने भी हाल में ही सूचीबद्ध मध्यस्थों के खिलाफ जांच शुरू की है। सूत्रों ने कहा, ‘यह मामला अभी चल रहा है और संबंधित कंपनी ने आगे का ब्योरा देने के लिए कुछ वक्त मांगा है।’
बहरहाल आयकर विभाग ने भी इन कुछ मध्यस्थों से पूछताछ शुरू कर दी है। आयकर विभाग उनसे बीमा कंपनियों से प्राप्त धन के बारे में सूचना मांग रहा है और साथ ही यह भी पूछताछ हो रही है कि क्या कर फाइलिंग के समय उन्होंने इसके बारे में पूरा खुलासा किया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘इन फर्मों से जुड़े कुछ मुख्य वित्त अधिकारियों से पिछले सप्ताह पूछताछ हुई है। उनसे कर रिटर्न दाखिले से संबंधित कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं। खासकर देश की शीर्ष बीमा कंपनियों द्वारा इन कंपनियों को मिले धन के बारे में सूचना मांगी गई है। ‘
उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि आयकर विभाग उनके टैक्स रिटर्न की जांच करेगा।
कम से कम 120 बीमा मध्यस्थों और एग्रीगेटरों की जांच चल रही है, जो खासकर मुंबई, गुरुग्राम और बेंगलूरु में काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि मध्यस्थों से आंकड़े एकत्र करने के बाद आईटी टीम जल्द ही बीमा कंपनियों तक पहुंचेगी। आयकर विभाग को संदेह है कि अपने ब्रोकरेज और मध्यस्थों को कमीशन के भुगतान में उद्योग में व्यापक अनियमितता हुई है।