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सेहत के लिए फायदेमंद समझौता

Last Updated- December 06, 2022 | 10:44 PM IST

फार्मा कंपनी ऑर्किड के 14.7 फीसदी शेयर खरीदने के बाद हाल ही में रैनबैक्सी ने गैस्ट्रिक अम्ल को नियंत्रित करने वाली दवा नैक्जियम के लिए एस्ट्रा जेनेका के साथ भी मामला निपटा लिया है।


इन सभी घटनाक्रमों के कारण पिछले एक महीने में रैनबैक्सी के शेयरों की कीमत में जबरदस्त उछाल आया है। हालांकि अभी ऑर्किड के साथ कंपनी की बातचीत चल रही है लेकिन एस्ट्रा के साथ हुए समझौते से रैनबैक्सी को अगले पांच साल में अच्छी कमाई होने की उम्मीद है।


समझौते को मिलती तवज्जो


नैक्जियम दवा के लिए एस्ट्रा जेनेका के साथ किया गया समझौता अगले पांच साल के लिए मान्य होगा। अमेरिका में नैक्जियम का बाजार 220 अरब रुपये का है। कंपनी इस दवा को बनाने के लिए मई 2009 से एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिऐंट्स (एपीआई)की आपूर्ति करेगी, मई 2010 से फॉरम्युलेशंस और 27 मई 2014 को इस समझौते के समाप्त होने से 6 महीने पहले एस्ट्रा जेनेका से लाइसेंस मिलने के बाद इसे लॉन्च करेगी।


रैनबैक्सी को एस्ट्रा जेनेका से दो दवा- हाइपरटेंशन के लिए इस्तेमाल होने वाली फिलोडिपिन और एसिडिटी में इस्तेमाल होने वाली ओमेप्राजोल का जेनेरिक स्टेटस भी हासिल हुआ है। रैनबैक्सी प्रबंधन के मुताबिक एस्ट्रा जेनेका के साथ हुए वर्ष 2009-2014 तक इस समझौते से कंपनी क ो 5,000-6,000 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति की होगी।


नैक्जियम के लिए किया गया यह समझौता इस साल रैनबैक्सी द्वारा पेटेंट के लिए किया गया दूसरा बड़ा करार है। पिछले साल जून में कंपनी ने ग्लैक्सो के साथ एंटी-हर्प्स वायरस, वॉलटे्रक्स (अमेरिकी बाजार में  52 अरब रुपये की बिक्री) दवा के लिए समझौता किया था। इस समझौते से इस दवा को 2009 के अंत में अमेरिकी बाजार में लॉन्च करने के लिए रैनबैक्सी को मंजूरी मिल गई थी।


रैनबैक्सी के प्रबंधन के अनुसार कंपनी पेटेंट संबंधी सभी मसले फर्स्ट टू फाइल (एफटीएफ) दवा के पोर्टफोलियो के आधार पर ही तय करती है। कोर्ट के बाहर समझौता होने से याचिका दायर करने वाले जेनेरिक चैलेंजर के केस  की सुनवाई पर होने वाला खर्च बचता है इसके साथ ही पेटेंट धारक की बिक्री भी प्रभावित नहीं होती है।


मोटी कमाई का लालच


रैनबैक्सी समूह के मुताबिक कंपनी के पास लगभग 1080 अरब रुपये का बाजार है। इसके साथ ही कंपनी के पास 19 पैरा 4 एएनडीए फाइलिंग्स (पेटेंट फाइलिंग्स) का एफटीएफ स्टेटस भी है। कंपनी की योजना अगले पांच साल तक साल में एक एफटीएफ दाखिल कर लगभग 6 महीने का विशिष्ट फायदा उठाने की है। वर्ष 2006 में कंपनी को लिपिड कम करने की दवा, सिमवैस्टेटिन की 6 महीने की विशिष्ट अवधि में बिक्री से जबरदस्त फायदा हुआ था।


पिछले साल इस दवा की बिक्री से लगभग 344 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। जून 2007 में कंपनी ने कॉलेस्ट्रोल घटाने वाली एफटीएफ दवा प्रावैस्टेटिन (80 मिलीग्राम) की 6 महीने की विशिष्ट बिक्री से बाजार का लगभग 30 फीसदी हिस्सा कब्जा लिया था। इस दवा का कुल बाजार लगभग 800 करोड़ रुपये का है।


लिपिटर (लगभग 340 अरब रुपये की बिक्री) और नैक्जियम जैसी दो बड़ी दवाओं के एफटीएफ से होने वाली मोटी कमाई के अलावा कंपनी के पास माइग्रेन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इमिट्रेक्स (दिसंबर 2008 तक आएगी बाजार में), और मार्च 2010 तक बाजार में आने वाली फ्लोमैक्स जैसी दवाएं भी हैं। फ्लोमैक्स का इस्तेमाल प्रोस्टेट के इलाज के लिए किया जाता है। कंपनी क ो इन दोनों दवाओं की बिक्री से भी मोटी कमाई की उम्मीद है।


अधिग्रहण पर भी है नजर


रैनबैक्सी की निगाह एफटीएफ पर होने के साथ ही कंपनी दूसरी भारतीय कंपनियों में भी हिस्सेदारी खरीद रही है। हाल ही में रैनबैक्सी की सहायक कंपनी सोलरैक्स फार्मा ने ऑर्किड केमिकल और फार्मास्युटिकल्स के 14.7 फीसदी शेयर खरीदे हैं। अलग देशों की कंपनियों के साथ होने वाले गठजोड़ से दोनों ही कंपनियों को कार्बापेनम (नई पीढ़ी की एंटीबायोटिक दवा) के लक्षित बाजार में मौजूद संभावनाओं का फायदा उठाने में मदद मिलेगी।


इस दवा के लिए पेटेंट वित्त वर्ष 2009-2011 के दौरान मिलने की उम्मीद है। इस करार से रैनबैक्सी को नया संयंत्र स्थापित करने के बजाय ऑर्किड की यूएसएफडीए स्वीकृत सुविधाओं का उपयोग कर सकता है। रैनबैक्सी की हैदराबाद स्थित जेनोटेक में भी हिस्सेदारी है। यह कंपनी रैनबैक्सी को प्रोटीन व ऐनजाइम (बायोसिमिलर) और कैंसर के लिए उपयोग होने वाली दवाओं के क्षेत्र में भी मौजूदगी दर्ज कराने में मदद करेगी।


इसलिए करते हैं निवेश


साल 2009 में विशिष्ट दवा उत्पादन के अलावा कंपनी को नई दवा शोध कंपनी रैनबैक्सी लाइफ साइंसेज के अलग होने से भी काफी फायदा हुआ है। रैनबैक्सी लाइफ साइंसेज की योजना साल 2012 तक 200 अरब रुपये का कारोबार करने की है। अभी कंपनी सालाना 64 अरब रुपये का ही कारोबार करती है। कंपनी की योजना सालाना विकास दर को 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी  करने की है।

First Published - May 11, 2008 | 11:30 PM IST

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