देश के सबसे बड़े बैंक HDFC बैंक के शेयर में बुधवार को 4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई जब प्रबंधन ने एचडीएफसी लिमिटेड संग विलय के बाद बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन और परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव का संकेत दिया। यह विलय 1 जुलाई से प्रभावी हुआ है।
एचडीएफसी बैंक ने कहा कि विलय के बाद उसका सकल एनपीए अनुपात 1 जुलाई से बढ़कर 1.4 फीसदी हो गया है, जो पहली तिमाही के आखिर में एचडीएफसी बैंक का यह अनुपात 1.2 फीसदी रहा था। इसकी मुख्य वजह एचडीएफसी का काफी ज्यादा गैर-व्यक्तिगत नॉन परफॉर्मिंग लोन है, जो 1 जुलाई को 6.7 फीसदी था।
मोतीलाल ओसवाल ने एक रिपोर्ट में कहा है, क्रेडिट पॉलिसी के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए 7,600 करोड़ रुपये के प्रावधान को सामान्य, आपात व विशिष्ट प्रावधानों में करीब-करीब एकसमान वितरित किया गया है। एचडीएफसी बैंक के मुख्य वित्त अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन के मुताबिक, बैंक ने एनपीए के लिए 3,800 करोड़ रुपये का विशिष्ट प्रावधान किया है और एचडीएफसी के प्रावधान कवरेज अनुपात को करीब 40 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया गया है।
बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन पर भी अल्पावधि में दबाव पड़ने की आशंका है, जिसकी वजह नकदी है। एचडीएफसी बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन 4.1 फीसदी था, जो घटकर 3.7-3.8 फीसदी रह सकता है, जिसकी वजह लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो को बढ़ाने के लिए लगी अतिरिक्त नकदी है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के नोट में कहा गया है, अल्पावधि में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर 20 से 25 आधार अंकों का और दबाव हो सकता है। इन्क्रीमेंटल सीआरआर और एनपीए में इजाफे के अलावा कर्ज व जमाओं की री-प्राइसिंग से वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही के बाद शुद्ध ब्याज मार्जिन स्थिर होगा। हालांकि शुद्ध ब्याज मार्जिन के सामान्य होने में तीन से चार तिमाही लग सकती है।
वैद्यानाथन ने कहा कि एचडीएफसी के नेटवर्थ पर विलय का नकारात्मक असर घटकर 1,199 अरब रुपये रहह गया, जो पहले 1,340 अरब रुपये था, जिसकी वजह इंड एएस से इंडियन जीएएपी की ओर ट्रांजिशन और सामंजस्य है।
इसके परिणामस्वरूप एचडीएफसी बैंक के नेटवर्थ पर विलय का असर अनुमान से ज्यादा रह सकता है। इसकी मुख्य वजह इंडियन जीएएपी अकाउंटिंग सिस्टम की ओर बढ़ना व प्रावधानों का सामंजस्य है।