बाजार कारोबारियों का मानना है कि केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और राज्यों के बॉन्डों से होने वाली आय पर ‘स्रोत पर कर कटौती’ (टीडीएस) से खुदरा भागीदारी पर ज्यादा असर नहीं भी पड़ सकता है। इस वित्त वर्ष के बजट में प्रस्ताव रखा गया है कि 1 अक्टूबर, 2024 से निवेशकों को केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और स्टेट डेवलपमेंट लोन्स (एसडीएल) में निवेश आय पर 10 प्रतिशत टीडीएस चुकाना पड़ सकता है।
इक्विरस कैपिटल में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख विनय पई ने कहा, ‘प्रतिभूतियों से मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस पिछले बजट में दुबारा लगाया गया था। इससे रिटेल निवेशकों के कॉरपोरेट बॉन्डों में सीधे निवेश में ऐसी कोई गिरावट नहीं आई थी जिसका बाजारों ने अनुमान लगाया था।
इसी तरह हमें नहीं लगता कि ब्याज पर 10 प्रतिशत टीडीएस के कारण निवेशक सरकारी प्रतिभूतियों और एसडीएल में निवेश से दूर रहेंगे।’ पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि 1 अप्रैल 2023 से सूचीबद्ध बॉन्डों (डिबेंचर) के ब्याज भुगतान पर 10 प्रतिशत टीडीएस लगाया जाएगा।
बाजार के एक वर्ग का मानना है कि छोटे निवेशकों (जो अक्सर अपने नकदी प्रवाह को संभावित ब्याज आय के आधार पर निर्धारित करते हैं) को टीडीएस कटौती के कारण परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
यह विशेष रूप से उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जो अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने या अन्य वित्तीय देनदारियों के लिए ब्याज से प्राप्त राशि पर निर्भर रहते हैं। उनका कहना है कि ऐसे निवेशक अतिरिक्त जटिलता से बचने के लिए अन्य निवेश विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘सरकारी प्रतिभूतियों पर टीडीएस लगने से अतिरिक्त जटिलता के कारण शुरू में रिटेल भागीदारी प्रभावित हो सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि निवेशक अंततः नए नियमों को अपना सकते हैं, लेकिन इसमें समय लगेगा। सरकारी प्रतिभूतियों में नियमित निवेशक, जो मासिक ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।’
सरकारी प्रतिभूति बाजार में रिटेल निवेशकों की भागीदारी पिछले कुछ वर्षों के दौरान बढ़ी है क्योंकि उन्हें आरबीआई रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म और अन्य ऑनलाइन रिटेल बॉन्ड पोर्टलों से मदद मिली।
आरबीआई के रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म पर खुले कुल खातों की संख्या इस वर्ष 22 जुलाई तक 1,56,878 थी, जो 24 जुलाई, 2023 को 89,750 थी। इस योजना के माध्यम से खुदरा निवेशक राज्यों और केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड जैसे विकल्पों की तुलना में ट्रेजरी बिलों में अधिक निवेश करना जारी रखते हैं।
22 जुलाई तक 68 प्रतिशत सबस्क्रिप्शन टी-बिलों के जरिये किए गए थे जबकि सिर्फ 13 प्रतिशत सबस्किप्शन केंद्र सरकार की पुरानी प्रतिभूतियों से जुड़े हुए थे। राज्य सरकार की प्रतिभूतियों और सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों के जरिये
सबस्क्रिप्शन 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत रहे।