केंद्र सरकार आम नागरिकों को बीमा की सुरक्षा देने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) पर भरपूर जोर दे रही है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी इन दोनों महत्त्वपूर्ण योजनाओं के लक्ष्य हासिल करने में बेहद फिसड्डी रहे हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मिले आंकड़़ों के मुताबिक इस वर्ष अक्टूबर तक सरकारी बैंकों ने सुरक्षा बीमा योजना के लिए तय किए गए 6.4 करोड़ के कुल नामांकन लक्ष्य में से बमुश्मिल 40 फीसदी ही हासिल किया था। जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए सरकारी लक्ष्य 4.1 करोड़ नामांकन है मगर केवल 30 फीसदी नामांकन हुआ है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में पीएमएसबीवाई की शुरुआत एक साल की दुर्घटना बीमा योजना है जिसका नवीनीकरण हर वर्ष कराया जा सकता है। इस बीमा योजना के तहत बैंक या पोस्ट ऑफिस खाता रखने वाले 18-70 वर्ष के व्यक्ति को मुत्यु या विकलांगता की स्थिति में बीमा कवरेज की पेशकश की जाती है।
इस बीमा के तहत दुर्घटना में मुत्यु होने या विकलांग होने की स्थिति में 2 लाख रुपये (आंशिक विकलांगता की स्थिति में 1 लाख रुपये) दिए जाते हैं और इसमें प्रीमियम भुगतान सालाना 20 रुपये है। इस प्रीमियम का भुगतान सबस्क्राइबर के बैंक खाते से हर वर्ष स्वतः ही हो जाता है क्योंकि खाताधारक इसके लिए पहले अनुमति देते हैं।
सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया कुल लक्ष्य का महज 11 फीसदी नामांकन करने में सफलता हासिल की। इसके बाद यूको बैंक (14 फीसदी), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (24 फीसदी) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (24 फीसदी) का स्थान है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और इंडियन बैंक ने सबसे अधिक क्रमशः 60 फीसदी और 45 फीसदी बीमा नामांकन का लक्ष्य हासिल किया।
दूसरी ओर पीएमजेजेबीवाई एक जीवन बीमा योजना है जिसकी शुरुआत भी 2015 में की गई थी। इसमें व्यक्तिगत बैंक खाते या पोस्टऑफिस खाता रखने वाले 18-50 वर्ष के व्यक्ति की किसी भी परिस्थिति में हुई मौत की स्थिति में बीमा कवरेज दिया जाता है। इस योजना का लाभ 50 वर्ष की उम्र से पहले इस योजना से जुड़ने वालों को मिलता है और इसका बीमा कवरेज 55 वर्ष की उम्र तक होगा। इस योजना के तहत 436 रुपये के सालाना प्रीमियम भुगतान के साथ 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर मिलता है।
यूको बैंक ने सबसे कम 10 फीसदी नामांकन लक्ष्य हासिल किया है और इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया (13 फीसदी), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (16 फीसदी) और पंजाब नैशनल बैंक (19 फीसदी) का स्थान है। एसबीआई और इंडियन बैंक ने सबसे अधिक क्रमशः 45 फीसदी और 39 फीसदी नामांकन लक्ष्य हासिल किया है।
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण की 2022-23 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जीवन बीमा क्षेत्र की दखल 2021-22 के 3.2 फीसदी से घटकर 2022-23 में 3 फीसदी हो गई है जबकि दोनों ही वर्षों में गैर-जीवन बीमा क्षेत्र का दायरा 1 फीसदी के स्तर तक सीमित रहा।