वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूर्ण नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो का व्यापक ऑडिट करने के लिए कहा गया था मगर इसमें कोई बड़ी चूक की सूचना नहीं मिली। सीतारमण बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर राज्य सभा में चर्चा का जवाब दे रही थीं। राज्य सभा ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोक सभा ने पिछले साल दिसंबर में ही विधेयक को पारित कर दिया था। विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग विनियमन (बीआर) अधिनियम और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम सहित बैंकिंग कानूनों में 19 संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक बैंकों का स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो सालाना आधार पर 71.3 फीसदी बढ़कर 1.72 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि इसमें 17 फीसदी का इजाफा हुआ था। सोने के दाम बढ़ने और पिछले साल जोखिम भार में वृद्धि के बाद असुरक्षित ऋण में नरमी के कारण ऐसा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले साल बैंकों को स्वर्ण ऋण पर अपनी नीतियों, प्रक्रियाओं और प्रथाओं की व्यापक समीक्षा करने की सलाह दी थी ताकि खामियों की पहचान की जा सके और समयबद्ध तरीके से उचित सुधार के उपाय शुरू किए जा सकें।
स्वर्ण ऋण में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का अनुपात अभी भी कुल एनपीए की तुलना में बैंकों में 0.22 फीसदी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के मामले में 2.58 फीसदी ही है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और प्रमुख एनबीएफसी के स्वर्ण ऋण में सकल एनपीए मार्च और जून 2024 के बीच लगभग 18 फीसदी बढ़ गया था।
सीतारमण ने कहा, ‘आरबीआई और सरकार दोनों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए समय पर और लक्षित कदम उठाए हैं। बैंकों और एनबीएफसी को मूल्यांकन प्रथाओं को सुदृढ़ बनाने, सोने का उचित मूल्यांकन करने, एलटीवी (ऋण-से-मूल्य) मानदंडों का पालन करने और गैर-भुगतान के मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें उचित सूचना के साथ सोने की नीलामी भी शामिल है।’
प्राथमिकता क्षेत्र के कर्ज में कमी के प्रश्न पर वित्त मंत्री ने कहा, ‘बैंक अधिक मजबूती से काम कर रहे हैं और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को अधिक ऋण देने में सक्षम हैं। इस क्षेत्र को कर्ज देने के मामले में बैंक 40 फीसदी लक्ष्य को प्राप्त कर रहे हैं, जो देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और समावेशी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है।’
आरबीआई ने बीते सोमवार को प्राथमिका वाले क्षेत्रों के कर्ज पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किया था ताकि इन क्षेत्रों के ऋण आवंटन में बढ़ोतरी हो सके। नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे। सरकारी बैंकों द्वारा कर्ज को बट्टे में डालने के मुद्दे पर सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यह बैंकों द्वारा की गई कर्ज माफी नहीं है। उधारकर्ताओं को बट्टे में डाले गए कर्ज का बकाया चुकाना होगा।