पहले पहल जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2008-09 के बजट में 4 करोड़ किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की तभी शहरों में बस रहे लोगों के हाथ पैर फूलने लगे कि आखिर अब इसका खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ेगा। इतने पैसे की भरपाई के लए उन पर अब कुछ और कर और अधिभार लगाए जाएंगे या जो पहले ही चल रहे हैं उन्हें बढ़ा दिया जाएगा।
इस सब के बावजूद भी चिदंबरम ने देश के बड़े वर्ग मध्य वर्ग का भी ध्यान रखा। बेशक यह उपाय कुछ कम थे, जिनमें आय कर सामान्य छूट को बढ़ाना, नाश्ते में इस्तेमाल होने वाले अनाज, पानी साफ करने वाले उपकरणों, दूध पर से शुल्क को कम करना, वरिष्ट नागरिकों के लिए रिवर्स मोर्टगेज से प्राप्त होने वाली आय को ऋण मान कर उसे कर मुक्त बनाना, माता-पिता के बीमा के प्रिमयम पर आय कर में छूट। इन सभी के मद्देनजर आज आम आदमी जो चुनावी नजर से खास है, खुद को संतुष्ट देख रहा है।
किसी एक के लिए किए जाए रहे प्रत्यक्ष उपाय एक साथ कई लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। आय कर सामान्य छूट में 40 हजार रुपये (पुरुषों के लिए), 35 हजार रुपये (महिलाओं के लिए) और 30 हजार रुपये (वरिष्ट नागरिकों के लिए) बढ़ोतरी के साथ ही वित्त मंत्री ने आम नागरिक के हाथ में पैसा बढ़ा दिया है। वित्त योजनाकार सजग संघवी का कहना है, ‘इस आय कर स्लैब के बाद 5 लाख रुपये तक वेतन प्राप्त करने वाले आय कर दाता एक साल में 45 हजार रुपये बचत कर सकता है। जो उसके लिए एक और महीने के वेतन के बराबर है, जिस पर उसे कोई कर नहीं देना होगा। और जो 5 लाख रुपये से अधिक वेतन प्राप्त करने वाले आय कर दाता एक साल में 5 हजार रुपये अतिरिक्त बचा सकेगा।’
धारा 80 सी के तहत अब आपके पास निवेश करने के लिए और भी आयाम हैं। वरिष्ट नागरिक बच योजना 2004 और डाकघर समय जमा खाता की शुरुआत के साथ ही जोखिम से परे निवेश करने वाले लोगों के लिए निवेश करने के विकल्प और भी बढ़ गए हैं। हालांकि, याद रखने योग्य है कि इन दोनों में ही 5 साल की लॉक-इन अवधि है। महत्त्वपूर्ण यह है कि अगर आप इन दोनों में से किसी भी योजना में से 5 साल से पहले पैसे निकालने के बारे में सोचते हैं तो यह आपकी आय का हिस्सा माने जाते हैं और कर स्लैब के तहत आपकी आय पर कर लगाया जाता है।
वरिष्ट नागरिकों के लिए, इस बार काफी कुछ है। आपके घर की रिवर्स मोर्टगेज पर पा्रप्त होने वाली राशि को आय न मान कर ऋण मानना एक बड़ा कदम है। इसी के साथ वित्त मंत्री ने उन लोगों को भी खुश कर दिया, जिन्हें लगता था कि बैंक में अपने घर को मोटर्गेज रखने पर उन्हें अधिक कर देना पड़ेगा। धारा 80 डी के अंतर्गत अपने माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा पर प्रिमियम देने वाले अब 15 हजार रुपये की कर में अतिरिक्त छूट के हकदार बनते हैं। अब व्यैक्ति कर दाता को इस धारा की बदौतल 30 हजार रुपये का मुनाफा होगा, जो उसकी कुल कर योग्य आय पर छूट है।
वहीं वरिष्ट नागरिकों को वर्तमान समय में उनके स्वास्थ्य बीमा पर 20 हजार रुपये की छूट भी मिल रही है। इसलिए महंगह स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों के बढ़ते खर्चों के चलते यह अतिरिक्त राशि उनके लिए फायदेमंद हो सकती है।
अब अगला पड़ाव घर के भीतर है, जहां गृहणियां गैस सिलेंडर आदि के दामों को ले कर चिंतित हो रही हैं। लेकिन अभी खुशी की बात यह है कि केन्द्रीय बजट ने उन्हें रोजमर्रा की खपत वाली वस्तुओं पर शुल्क में कटौती का तोहफा जरूर दिया है। दूध, पानी और खाने का रिफाइंड तेल उनके माथे से चिंता की लकीरों को थोड़ा कम जरूर कर सकता है। सेन्ट्रल वैट को भी 16 से 14 प्रतिशत करने के बाद हो सकता है कि एफएमसीजी कंपनियां इसका फायदा घरों तक पहुंचा दे और महंगाई के दौर में रोजाना इस्तेमाल में आनी वाली चीजें कुछ सस्ती हो जाएं।
उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे शेयर बाजार पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। निवेश मामलों के जानकारों का मानना है कि लघु कालिक पूंजी लाभ (एसटीसीजी) पर कर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया है, जिसकी वजह से शेयर बाजार में निवेश करने वाले उत्तेजक निवेशकों को व्यापारियों को रोका जा सकेगा। वहीं कुछ वित्त योजनाकार इस कदम से खुश नहीं हैं। ट्रांसेंड इंडिया के निदेशक, कार्तिक झावेरी का मानना है कि वित्त मंत्री के एसटीसीज पर कर को बढ़ाने से वे व्यापारी जो बाजार में खेलने की इच्छा रखते हैं, उन्हें हतोत्साहित किया जा रहा है।
हर बजट की तरह ही इस बजट में भी कुछ नकारात्मक बातें भी हैं।यूलिप (यूनिट-लिंक्ड इन्श्योरेंस प्लान) पर सेवा कर लगाना कई लोगों को काफी नागवार गुजर रहा है। यूलिप, जिन्हें पहले से ही काफी महंगा माना जा रहा है, क्योंकि शुरुआती सालों में इन्श्योरेंस एजेंट को दी जाने वाली बड़ी रकम और प्रबंधन के अन्य खर्चे, अब और भी महंगे हो जाएंगे। बहुत से वित्त योजनाकार इस कदम से काफी खुश हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे अब निवेशक अपनी बीमा जरूरतों और निवेश को मिलाने से पहले दो बार सोचेंगे।
भारतीय वित्त योजना बोर्ड (एफपीएसबी) के मुख्य कार्यकारी, रंजीत मुधोलकर का कहना है, ‘यूलिप के तहत परिसंपत्ति प्रबंधन सेवाओं पर सेवा कर लगाने से, इसका पर्सनल फाइनैंस से जुड़े बहुत सारे निवेशकों पर दीर्घकालीन प्रभाव देने को मिलेगा।’
चुनावों से पहले यह सयुंक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार का आखिरी साल है। बहुत लोगों का मानना यह है कि यह ऐसा बजट होना चाहिए जो कि सभी लोगों के लिए हितकर हो और ऐसा हुआ भी। बेशक वित्त मंत्री पर उंगलियां भी उठ रही हैं कि वे इन सभी योजनाओं को साकार रूप देने के लिए धन कहां से लाएंगे, लेकिन शहरों में बसे मध्य वर्ग के लिए यह अभी तक का सबसे बेहतरीन बजट कहा जा सकता है।
झावेरी का कहना है, ‘पर्सनल फाइनैंस की दृष्टि से यह बजट बेहतर है।’ वाकई कहा भी जा सकता है कि जब आप इस बजट पर पर्सनल फाइनैंस की नजर से देखेंगे तो यह आपको भी दिलचस्प और निवेश करने योग्य ही दिखाई देगा।
बॉक्स
चुनावी समय में सभी को रखा खुश
तन – साफ पानी, दूध, नाश्ते में इस्तेमाल होने वाला अनाज और खाने वाले तेलों में शुल्क में कटौती
धन -सामान्य छूट को बढ़ाकर 35 प्रतिशत किया
मन- शॉर्ट टर्म के लिए शेयर बाजार से रहें दूर
बॉक्स –
आय कर स्लैब में बदलाव
65 वर्ष से कम आयु की कर योग्य महिलाएं
मौजूदा प्रस्तावित
कर स्लैब दर कर स्लैब दर
1.45 लाख रुपये – 1.80 लाख रुपये –
1,45,001-1,50,000 रुपये 10% 1,80,001-3 लाख रुपये 10%
1,50,001-2,50,000 रुपये 20% 3,00,001- 5 लाख रुपये 20%
2,50,000 रुपये से अधिक 30% 5 लाख रुपये से अधिक 30%
10 लाख रुपये से अधिक आय पर कर का 10 प्रतिशत सरचार्ज के रूप में
करों पर 3 प्रतिशत शिक्षा अधिभार
—-
वैयक्तिक आय कर दाता जिनमें हिन्दू अविभाजित परिवार शामिल हैं
मौजूदा प्रस्तावित
कर स्लैब दर कर स्लैब दर
1,10,000 लाख रुपये तक – 1,50,000 लाख रुपये तक –
1,10,001-1,50,000 रुपये 10% 1,50,001-3 लाख रुपये 10%
1,50,001-2,50,000 रुपये 20% 3,00,001- 5 लाख रुपये 20%
2,50,000 रुपये से अधिक 30% 5 लाख रुपये से अधिक 30%
10 लाख रुपये से अधिक आय पर कर का 10 प्रतिशत सरचार्ज के रूप में
करों पर 3 प्रतिशत शिक्षा अधिभार
—–
वरिष्ट नागरिक (65 वर्ष और उससे अधिक आयु )
मौजूदा प्रस्तावित
कर स्लैब दर कर स्लैब दर
1,95,000 लाख रुपये तक – 2,25,000 लाख रुपये तक –
1,95,001-2,50,000 रुपये 20% 2,25,001-3 लाख रुपये 10%
2,50,000 रुपये से अधिक 30% 3,00,001- 5 लाख रुपये 20%
5 लाख रुपये से अधिक 30%
10 लाख रुपये से अधिक आय पर कर का 10 प्रतिशत सरचार्ज के रूप में
करों पर 3 प्रतिशत शिक्षा अधिभार