भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आने वाले दिनों में साइबर सुरक्षा खतरा बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। इससे निपटने के लिए नियामक ने निगरानी व्यवस्था को काफी मजबूत किया है।
दास ने गुरुवार को मिंट बीएफएसआई कांक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि साइबर सुरक्षा खतरों और आईटी पर अधिक ध्यान देना होगा। सभी वित्तीय संस्थानों को आगे बढ़ने के लिए आईटी प्रणाली को मजबूत करना एवं साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना ही सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी।
उन्होंने कहा कि आरबीआई पर्यवेक्षकों की एक समर्पित टीम बैंकों और एनबीएफसी की आईटी प्रणाली की गहराई से पड़ताल करती है और कोई भी खामी मिलने पर बैंक प्रबंधन को फौरन सूचित करती है।
दास ने कहा, ‘अपने स्तर पर हम बैंकों और एनबीएफसी की आईटी प्रणाली पर नजर रखते हैं। इसके लिए हमारे पास एक समर्पित टीम है। यह टीम विभिन्न बैंकों और एनबीएफसी के आईटी सिस्टम की गहराई से जांच करती है। जहां कहीं भी गड़बडि़यां मिलती हैं, उन्हें फौरन संबंधित बैंक के प्रबंधन से साझा किया जाता है, ताकि उन्हें दुरुस्त करने के लिए समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें।’
दास ने कहा कि नियामक का सबसे अधिक जोर यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली लचीली और मजबूत बनी रहे तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की यात्रा में मदद करने के लिए भी पूरी तरह तैयार रहे।
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग व्यवस्था में आए ऐसे व्यापक बदलावों पर भी प्रकाश डाला, जो आज भारत की आर्थिक वृद्धि में मददगार साबित हो रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘भारतीय बैँकिंग प्रणाली में आए महत्वपूर्ण बदलावों के कारण ही हाल के वर्षों में भारत ने सफलता की नई इबारत लिखी है। आने वाले वर्षों में भारत की विकास यात्रा में मदद के लिए आज भारतीय बैंकिंग प्रणाली पूरी तरह तैयार है।’ दास ने यह भी कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली में लोगों का भरोसा बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक प्रतिबद्ध है।
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘बैंकिंग सेक्टर से जुड़े सभी गंभीर कारोबारियों और बैंकों के वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों ने बातचीत के दौरान उन्हें बैंकिंग प्रणाली और एनबीएफसी क्षेत्र में उभरने वाले संभावित जोखिमों के बारे में बताया है।
पिछले 6 से 8 महीनों में कम से कम दो से तीन बैंकों के सीईओ ने उन्हें निजी तौर पर ऐसे खतरे वाले क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी, जिन्हें लेकर वे चिंतित रहे हैं।’ दास ने कहा कि आरबीआई द्वारा निगरानी बढ़ाने का मकसद उभरते खतरों की समय रहते पहचान कर उनसे निपटने के प्रति हमेशा सक्रिय रूप से तैयार रहना है।