क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण देश का सबसे बड़ा सूक्ष्म वित्त संस्थान है, जिसने करीब 25,000 करोड़ रुपये कर्ज दिया है। इसके प्रबंध निदेशक उदय कुमार हेब्बार ने मनोजित साहा से बातचीत में बताया कि गैर सूक्ष्म ऋण में हिस्सेदारी बढ़ाकर कर्जदाता अपने ऋण पोर्टफोलियो का विविधीकरण कर रहा है। प्रमुख अंश…
यह कोई बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं है। बढ़ोतरी करीब 20 आधार अंक की है। तीसरी तिमाही में तमिलनाडु में बड़ी बाढ़ आई। राज्य के कुछ इलाके पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए। 10 आधार अंक की वृद्धि उन इलाकों से हुई। वहीं 10 आधार अंक की सामान्य वृद्धि हुई है, जो उल्लेखनीय नहीं है। अगर 90 दिन का डीपीडी (डे पास्ट ड्यू) देखें तो यह 17-18 आधार अंक बढ़ा है। इसमें से 50 फीसदी बाढ़ वाले क्षेत्रों से आया है। वे भुगतान कर रहे हैं, लेकिन सभी 3 किस्तें देने में सक्षम नहीं हैं।
अगर आप हमारा बिजनेस मॉडल देखें तो ऋण की लागत 35 आधार अंक बढ़ी है। इसका मतलब यह है कि हमारा प्रोविजन बढ़ रहा है। क्रेडिट हानि (राइट-ऑफ) सिर्फ 20 आधार अंक बढ़ा है। लेकिन ऋण की लागत 35 आधार अंक बढ़ी है क्योंकि हम जोखिम वाले भौगोलिक क्षेत्रों को ऋण उपलब्ध करा रहे हैं। हम जिलेवार उच्च जोखिम, निम्न जोखिम का अनुमान लगाते हैं। अगर ज्यादा जोखिम है तो हम ज्यादा प्रोविजनिंग करते हैं। सूक्ष्म मूल्यांकन के कारण35 आधार अंक की वृद्धि हुई है।
पूरे देश में एनपीए का वर्गीकरण 90 दिन न भुगतान करने के आधार पर होता है। हम 60 दिन के बाद एनपीए का वर्गीकरण करते हैं और इसके लिए धन देते हैं। इसकी वजह से हमारे ऋण की लागत थोड़ी ज्यादा है क्योंकि उद्योग की तुलना में हमारे प्रोविजन हमेशा उच्च रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 के लिए हमारे ऋण की लागत 2.2 से 2.4 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
अनुमान है कि हमारा क्रेडिट लॉस 1.5 से 1.75फीसदी के बीच रहेगा, यह पिछले साल 1.52 फीसदी था। यह अधिकतम 25 आधार अंक और बढ़ सकता है।
हमारा अनुमान है कि 23-24 फीसदी वृद्धि होगी और ऋण पोर्टफोलियो बढ़कर करीब 33,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। नॉन माइक्रो फाइनैंस पोर्टफोलियो तेजी से बढ़ेगा क्योंकि इसका आधार कम है। इसे हमने 2 साल पहले शुरू किया था। नॉन एमएफआई ऋण खाता अब कुल कर्ज का 3 फीसदी है। हमारा अनुमान है कि यह मार्च 2025 तक 5 फीसदी पार कर जाएगा। माइक्रोफाइनैंस वृद्धि घटकर 22 से 24 फीसदी पर आ सकती है। ग्राहकों में 12 से 13 फीसदी की वृद्धि होगी और मार्च तक उनकी संख्या 54 से 55 लाख तक होने की संभावना है। अभी हमारे 49.2 लाख ग्राहक हैं।
नियामक के नजरिये से यह बेहतर है क्योंकि वे उद्योग को स्वतंत्रता देना चाहते हैं और उन्हें जिम्मेदार कर्जदाता बनाना चाहते हैं। इसका मतलब यह भी है कि कर्जदाता जोखिम झेलने में सक्षम रहें।
अगर आप पहले का नियम देखें तो उन्होंने 10 फीसदी मार्जिन अनिवार्य किया था। अतिरिक्त जोखिम लेने की कोई संभावना नहीं थी। 2-3 साल तक चले कोविड में लागत में बहुत मामूली वृद्धि हुई। अगर आप ग्रामीण की स्थिति देखें तो हमने हमेशा ध्यान रखा है कि लागत बहुत तार्किक हो।
नए नियम आने के बाद हमने कीमत में 1 फीसदी वृद्दि की है और मार्जिन सिर्फ 11 फीसदी है। इसका मतलब है कि हम देश में इस क्षेत्र में सबसे कम प्राइसिंग वाले एमएफआई या ऋणदाता हैं, जिसमें बैंक, लघु वित्त बैंक और एनबीएफसी शामिल हैं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि प्राइसिंग दायित्वपूर्ण और पारदर्शी होने चाहिए, जो हमारी एक ताकत है।