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मुनाफे की फसल काटने गांव चलीं कंपनियां

Last Updated- December 10, 2022 | 1:07 AM IST

दुनिया के बड़े जीडीपी वाले देशों की बात करें, तो अमेरिका, जापान और कुछ यूरोपीय  देश शुमार हैं, लेकिन जनसंख्या के लिहाज से इन देशों की कुल आबादी भारत से करीब एक-तिहाई कम है। ज्यादा आबादी का मतलब है, कंपनियों के लिए अधिक अवसर।
दरअसल, इतनी बड़ी जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनियों के उत्पादों की मांग बढ़ना तय है। भारत की बात करें, तो करीब 65 फीसदी जनसंख्या गांवों में निवास करती है, यानी देश में करीब 13.5 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं, जहां रोजमर्रा की जरूरतों के साथ-साथ अन्य जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बहुत ज्यादा है।
उदाहरण के तौर पर देखें, तो भारत में वायरलेस कारोबार तेजी से विकास कर रहा है और यह तेजी मुख्यत: ग्रामीण जनसंख्या की वजह से ही है। हालांकि पिछले कुछ सालों से देश की विकास दर अच्छी रही है, लेकिन मोबाइल का विकास ग्रामीण इलाकों में तेजी से नहीं हुआ था।
ऐसे में बड़ी आबादी में इसका विकास होना अभी बाकी था। दरअसल, विकास और उपभोक्ताओं की मांग प्रति व्यक्ति आय पर निर्भर करती है। आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि पिछले एक दशक (वर्ष 1998-2008) के दौरान प्रति व्यक्ति आय में करीब दोगुना का इजाफा हुआ है।
ग्रामीण इलाकों की बात करें, तो वहां प्रति व्यक्ति आय 4 फीसदी सालाना की दर से बढ़ी है। कुल मिलाकर कहें, तो पिछले 10 सालों में प्रति व्यक्ति आय में करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी की मुख्य वजह कृषि उत्पादों की कीमतों (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में इजाफा और उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता में सुधार आना है। सरकार भी यह मानती है कि ग्रामीण इलाकों और कृषि के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है।
ऐसे में सरकार का मुख्य ध्यान कृषि क्षेत्र पर आगे भी रहेगा। इसी कदम के तहत सरकार की ओर से किसानों को खेती और कृषि उपकरण खरीदने के लिए सस्ते दरों पर कर्ज मुहैया कराने की प्राथमिकता दी जा रही है। 

साथ ही पिछले बजट में किसानों का करीब 71,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा से भी सरकार की ग्रामीण इलाकों को महत्व देने की बात का पता चलता है।
ध्यान देने वाली बात है कि पिछले दो साल के दौरान बहुत सी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया गया है। इसकी वजह से किसानों की आय में भी इजाफा हुआ है। 

इसके साथ ही बुनियादी सुविधाओं (बिजली, पान, सड़क, दूरसंचार) आदि के विकास, आसान कर्ज की सुविधा, रोजगार गारंटी योजना, बेहतर सूचना तंत्र औैर शिक्षा दर में सुधार की वजह से भी ग्रामीण इलाकों में समृद्धि की बयार चल पड़ी है।
एमसीएक्स के मुख्य अर्थशास्त्री वी. षणमुगम का कहना है कि अगर आप पिछले 10 सालों के ट्रेंड को देखें, तो पहले पांच सालों की तुलना में बाद के पांच सालों में ग्रामीण भारत की आय में तेजी से इजाफा हुआ है।
दरअसल, यह बुनियादी सुविधाओं के विकास का नतीजा है। ग्रामीण इलाकों में पहले से कहीं ज्यादा लोगों को रोजागार मिला हुआ है, यही वजह है कि इसकी आय में भी इजाफा हुआ है, साथ ही समेकित ग्रामीण आय भी बढ़ी है।
खास बात यह कि वैश्विक मंदी से ग्रामीण भारत बहुत कम प्रभावित हुआ है। यही वजह है कि तमाम कंपनियां ग्रामीण जनसंख्या को लुभाने के लिए इन इलाकों में निवेश कर रही हैं।
भारती एयरटेल
भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल है। देश में हर चौथा मोबाइल उपभोक्ता इसी कंपनी का ग्राहक है। शहरी बाजारों में जब मोबाइल की मांग उतनी नहीं रही तो कंपनियों की नजरें बी और सी सर्किलों या ग्रामीण इलाकों पर टिक गईं।
चालू वित्त वर्ष में दिसंबर को समाप्त तीसरी तिमाही में मोबाइल कंपनियों ने करीब 27 लाख ग्रामीण जनसंख्या को अपने साथ जोड़ा। को-ऑपरेटिव संस्था आईएफएफसीओ भी ग्रामीण उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए कृषि जिंसों की कीमतों, मौसम की जानकारी और कृषि की जानकारी दे रही है।
एयरटेल बी और सी सर्किल पर अपनी बाजार भागीदारी बढ़ाने के लिए जोर दे रही है। कंपनी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2012 तक उसके उपभोक्ताओं की संख्या 25 करोड़ तक हो जाएगी। मौजूदा समय में कंपनी के ग्राहकों की संख्या करीब 10 करोड़ है।
यही नहीं वर्ष 2012 तक ग्रामीण इलाकों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 30 से 33 फीसदी हो जाएगी। वर्तमान में यह 10 फीसदी है। ग्रामीण आय में इजाफे के साथ ही ग्रामीण इलाकों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।
अब तक कंपनी का ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा ध्यान नहीं था, लेकिन शहरों में विभिन्न कंपनियों से मिली प्रतिस्पद्र्धा के चलते दरों में कटौती करने से कंपनी की आय पर भी असर पड़ा है। लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में विकास के साथ ही कंपनी के राजस्व में भी इजाफा होने की उम्मीद है।
एक साल पहले प्रति व्यक्ति राजस्व जहां 355 रुपये था, वहीं यह घटकर 321 रुपये रह गया है। यही नहीं, अभी इसमें और कमी आने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण ग्राहकों से कंपनी को कुछ सहारा मिल सकता है।
एयरटेल शहरों में भी अपनी सुविधाओं में इजाफा कर रही है। इसके तहत डीटीएच, आईपीटीवी, ब्रॉडबैंड और फिक्सड लाइन की सुविधा दी जा रही है।
चंबल फर्टिलाइजर्स
भारत में प्रति व्यक्ति उर्वरक की खपत बहुत कम है, वहीं अधिक मात्रा में इसका आयात किया जाता है, लेकिन अब फसलों की पैदावार अधिक लेने के लिए उर्वरक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। जो उर्वरक निर्माता कंपनी चंबल फर्टिलाइजर्स के लिए बेहतर साबित हो सकता है।
चंबल फर्टिलाइजर्स निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी उर्वरक (यूरिया) उत्पाद कंपनी है। दस राज्यों में कंपनी के करीब 1,500 डीलर और करीब 20,000 आउटलेट हैं। उर्वरक के अलावा, कंपनी अन्य कृषि संबंधी उत्पादों का भी निर्माण करती है। इनमें कीटनाशक, माइक्रो न्यूट्रीशंस और बीज शामिल हैं।
कंपनी को आईएमएसीआईडी और टाटा केमिकल्स के साथ संयुक्त उपक्रमों का भी लाभ मिल रहा है। इस संयुक्त उपक्रम से कंपनी फास्फोरिक एसिड, जिसका डीएपी के निर्माण में इस्तेमाल होता है, वह कंपनी को आसानी से मिल जाता है। साथ ही फास्फोरिक एसिड के कीमतों में उतार-चढ़ाव से भी कंपनी को खास फर्क नहीं पड़ता है।
नई यूरिया नीति, जिसमें यूरिया की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण आंशिक रूप से कम हो सकता है, उससे भी चंबल जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है। यही वजह है कि कंपनी यूरिया उत्पादन को बढ़ाने की योजना बना रही है।
इसके साथ ही कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ एक समझौता भी किया है, जिसके तहत कंपनी को केजी बेसिन से गैस की आपूर्ति की जानी है। कुल मिलाकर देखें, तो कंपनी की आय में इन कवायदों से इजाफा होने की उम्मीद है।
हीरो होंडा
कंपनी की कुल बिक्री में से करीब 60 फीसदी बिक्री ग्रामीण इलाकों में ही होती है। बेहतर मानसून और अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य के चलते ग्रामीण इलाकों में हीरो होंडा की बिक्री और जोर पकड़ने की उम्मीद है।
खास बात यह कि कंपनी के उत्पादों की ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर बिक्री नकद में होती है। साथ ही स्पेंलडर और पैशन मॉडल के बेहतर प्रदर्शन की वजह से इन इलाकों में कंपनी के वाहनों की मांग बढ़ी है।
हालांकि बजाज ऑटो और टीवीएस मोटर्स की बिक्री में करीब 10 फीसदी और 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। कंपनी के वाहनों की ग्रामीण इलाकों में मांग बहुत ज्यादा है, बावजूद इसके वह ग्राहकों को कीमतों में कोई राहत नहीं देती है, इससे कंपनी की मार्जिन में सुधार होता है।
दिसंबर की तिमाही में कंपनी की बिक्री जरूर घटी, लेकिन कच्चे माल की कीमतों में गिरावट, प्रीमियम बाइकों की बिक्री और कर में छूट से कंपनी की आय में तिमाही-दर-तिमाही सुधार देखा गया। 
कंपनी ग्रामीण इलाकों में बिक्री को बढ़ाने के लिए हर गांव और हर आंगन जैसी योजना भी ला रही है। इसके साथ ही कंपनी 2 टीयर और 3 टीयर शहरों में भी अपना ग्राहक आधार बढ़ाने में लगी हुई है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर
ग्रामीण भारत की आय में लगातार इजाफा हो रहा है, यानी लोगों की जेब में पहले से ज्यादा पैसा आ रहा है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति भी बढ़ी है, जो एफएमसीजी कंपनियों के लिए बेहतर संकेत हैं।
हालांकि शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी उत्पादों की पहुंच आधे भी कम है। ऐसे में, एफएमसीजी कंपनियों के लिए ग्रामीण इलाकों में विकास के पर्याप्त अवसर हैं। जिन कंपनियों का ग्रामीण इलाकों में पैठ है, उनमें हिंदुस्तान यूनिलीवर भी शामिल हैं।
ऐसे में इन इलाकों में क्रय-शक्ति बढ़ने से एचयूएल की आय में भी इजाफा होना तय है। कंपनी करीब 40 फीसदी आय ग्रामीण इलाकों से ही अर्जित करती है। कंपनी ग्रामीण इलाकों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट शक्ति अभियान चला रही है।
कंपनी के उत्पादों की प्रति व्यक्ति खपत 33 फीसदी है, लेकिन प्रोजेक्ट शक्ति के सहारे कंपनी वर्ष 2010 तक 500,000 गांवों में पहुंच बनाने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के साबुन और वॉशिंग पाउडर की खपत गांवों में अधिक है, लेकिन पर्सनल केयर उत्पाद (टूथ पेस्ट, शैम्पू, स्किन क्रीम) आदि की खपत कम है।
ऐसे में कंपनी इन उत्पादों के छोटे-छोटे शैशे लॉन्च कर रही है, ताकि लोग कम कीमत की वजह से इसे खरीद कर इस्तेमाल कर सकें। कंपनी का मानना है कि अगर एकबार इसके इस्तेमाल की आदत पड़ गई, तो उपभोक्ता बेहतर गुणवत्ता की चाह में कंपनी के उत्पादों की खरीदारी करेंगे, इससे कंपनी की आय में भी इजाफा होगा।
कंपनी को उम्मीद है कि वर्ष 2010 में उसकी आय में करीब 20 से 22 फीसदी का इजाफा होगा।
जैन इरिगेशन
कंपनी कृषि उपकरणों का निर्माण करती है। ग्रामीण इलाकों की आय में इजाफा होने से कंपनी की आय में बढ़ोतरी होना तय है। यही वजह है कि कंपनी ग्रामीण इलाकों में अपना और विस्तार करने की योजना बना रही है।
कंपनी के कारोबार को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है- माइक्रो इरिगेशन सिस्टम्स, खाद्य प्रसंस्करण और प्लास्टिक पाइन एवं शीट निर्माण। माइक्रो इरिगेशन सिस्टम्स से कंपनी की आय का करीब 50 फीसदी हिस्सा आता है। यही नहीं, इस श्रेणी में कंपनी के कारोबार में लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है।
पिछले चार से इस क्षेत्र में 80 फीसदी सालाना की दर से विकास हो रहा है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले दो साल में कंपनी 40 से 50 फीसदी की दर से विकास करेगी। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में कंपनी के उत्पादों की बहुत मांग है।
इसके साथ ही कंपनी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी पैठ बनाने की जुगत में लगी हुई है। सरकार की ओर से इन उपकरणों की खरीद के लिए सब्सिडी मिलने से इसकी मांग में और इजाफा होने की उम्मीद है, जिसका फायदा कंपनी को मिलना तय है।
कंपनी नए बाजार पर पकड़ बनाने के लिए विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग उत्पाद लाने की तैयारी में जुटी है। जैन इरिगेशन खाद्य प्रसंस्करण कारोबार से भी जुड़ी हुई है। इस कारोबार से कंपनी के कुल राजस्व का करीब 15 फीसदी प्राप्त होता है।
वर्ष 2005 से 08 के दौरान इस कारोबार में तिगुना इजाफा हुआ और यह 303 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कंपनी को उम्मीद है कि अगले दो सालों तक इस क्षेत्र में 40 से 45 फीसदी तक विकास की संभावना है।
कंपनी इस कारोबार के विस्तार में नए-नए उत्पाद लॉन्च कर रही है। इस बीच, ब्याज दरों में कटौती, कच्चे माल की कीमतों में कमी और नकदी की उपलब्धता से कंपनी की आय में इजाफा होने के संकेत हैं।
पंजाब ट्रैक्टर्स
ग्रामीणों की आय बढ़ने से पंजाब ट्रैक्टर्स की बिक्री में भी इजाफा हुआ है। वर्ष 2009 के पहले नौ माह में कंपनी ने कुल 26,621 ट्रैक्टरों की बिक्री की, जो साल-दर-साल 33 फीसदी इजाफे को दर्शाता है।
अभी भी ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टरों की बहुत कम उपलब्धता है, ऐसे में ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। कच्चे माल की कीमतों में इजाफा होने से कंपनी ने दिसंबर तिमाही में ट्रैक्टरों की कीमतों में इजाफा किया था, वहीं अन्य खर्चों में भी कटौती की थी। इससे दिसंबर तिमाही में कंपनी का मार्जिन 12.4 फीसदी रहा।
लेकिन मौजूदा समय में ब्याज दरों में कटौती और कच्चे माल की कीमतों में नरमी से पंजाब ट्रैक्टर के लिए अच्छा अवसर साबित हो सकता है। वर्तमान में कंपनी के शेयर काफी नीचे कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में इसके शेयरों में खरीदारी देखी जा रही है।
रैलीज इंडिया
देश में प्रति हेक्टेयर एग्रीकेमिकल्स की खपत 600 ग्राम है, जो दुनिया में सबसे कम है। टाटा ग्रुप की कंपनी रैलीज इंडिया देश की दूसरी सबसे बड़ी एग्रोकेमिकल निर्माता कंपनी है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी 13 फीसदी है।
कंपनी की आय मुख्य रूप से बीज, पोषक तत्व और केमिकल्स से होता है। कंपनी परिचालन लागत में कमी करने के साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार कर रही है, जिससे पिछले कुछ सालों से कंपनी की आय में इजाफा देखा जा रहा है।
कंपनी को विस्तृत वितरण नेटवर्क की वजह से इसके उत्पाद देश के करीब 80 फीसदी जिलों तक पहुंच रहे हैं। कंपनी का डयू पोंट, बेयर ऐंड बोरेक्स इंटरनेशनल जैसी कंपनियों के साथ भी साझा है, जिसका लाभ कंपनी को मिल रहा है। कंपनी निर्यात बाजार पर भी नजरें टिकाए हुए है। कंपनी अगले 2-3 सालों में अपनी बिक्री 20 से बढाकर 40 फीसदी करने की योजना बना रही है।
भारतीय स्टेट बैंक
कुछ समय पहले तक ग्रामीण इलाकों में बैंकों की पहुंच नहीं के बराबर थी, केवल सरकारी बैंक ही ग्रामीणों की सुविधा के लिए उपलब्ध थे। इसमें सबसे पहला स्थान भारतीय स्टेट बैंक का आता है।
ग्रामीण इलाकों में कुल बैंकों की शाखाओं में से करीब 70 फीसदी शाखाएं एसबीआई की है। अब जबकि ग्रामीण इलाकों की आय में इजाफा हो रहा है, उसका सीधा लाभ एसबीआई को मिलना तय है। 

सरकार की ओर से किसानों के कर्जमाफी योजना के बावजूद बैंक का एनपीए घटा है। बैंक शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में भी अच्छा कारोबार कर रही है।

First Published - February 15, 2009 | 10:34 PM IST

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