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कैश कार्ड से खरीद पड़ सकती है भारी

Last Updated- December 07, 2022 | 7:08 PM IST

प्रीपेड कैश कार्ड जिनका इस्तेमाल ज्यादातर कैश ट्रांसफर, बहुउपयोगी भुगतान और ऑनलाइन गेम खेलने के लिए भी किया जाता है, भी ऊंची कीमत वाले लेन-देन के तहत अनिवार्य रिपोर्टिंग के दायरे में आएंगे। 


केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एनुअल इन्फॉरमेशन रिटर्न (एआईआर) की सीमा को बढ़ाने के बारे में विचार कर रहा है जिससे गैर बैंकिंग वित्त्तीय कंपनियों के द्वारा जारी किए गए कैश कार्ड भी इसके दायरे में आ जाएंगे।

मौजूदा समय में एआईआर में कुछ प्रकार के ही लेन-देन आते हैं जिसमें सेविंग बैंक एकाउंट में 10 लाख के ऊपर का कैश डिपॉजिट, दो लाख सालाना से ज्यादा क्रेडिट कार्ड का भुगतान और तीस लाख के ऊपर की प्रॉपर्टी को खरीदना भी शामिल हैं। वे कंपनियां जो ऐसे कार्ड जारी करती हैं, उन्हें टैक्स अथॉरिटी के साथ मिलकर कार्ड को खरीदने वालों के बारे में फाइल इंफॉरमेशन रखनी होगी।

टैक्स अथॉरिटी का मानना है कि इन कार्डों का इस्तेमाल हजारों करोड़ रुपए के नगदी केलेन-देन और खर्चों में किया जाता है। रिस्क पैरामीटर्स पर आधारित मामलों को विभाग एआईआर से कम्प्यूटर आधारित परीक्षण व्यवस्था के जरिए उठाएगा और फंड केस्त्रोत,प्राप्तकर्ता और करों का भुगतान किया गया है या नहीं, के बारे में जानकारी की जाएगी।

न्यूनतम सीमा से ऊपर कैश कार्ड लेन-देन को एआईआर के अधीन लाया जाएगा। हालांकि इन कार्ड के जरिए छोटे मोटे लेन-देन को इस व्यवस्था के अधीन नहीं लाया जाएगा। यह कदम ऊंची कीमत के लेन-देन को परीक्षण के अधीन लाने के लिए उठाया है। इसके अलावा सीबीडीटी कुछ अन्य ऊंची कीमतों के लेन-देन को भी एआईआर के तहत ला सकता है।

ब्राजील में इस प्रकार के 40 फीसदी लेन-देन अनिवार्य परीक्षण के अधीन हैं और भारत भी यही करेगा। सामान्य बैंकिंग चैनल या पोस्टल ट्रांसफर की तरह कैश कार्ड के द्वारा किए गए लेन-देन का रिकार्ड प्राप्त नहीं होता है। कोई भी एनबीएफसी या होम डिलवरी से यह कार्ड प्राप्त कर सकता है।

First Published - September 1, 2008 | 11:20 PM IST

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