बॉन्ड बाजार भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से द्वितीयक बाजार से काफी ज्यादा बॉन्ड खरीद की उम्मीद कर रहा है ताकि बॉन्ड का प्रतिफल कम हो और सरकार का 12 लाख करोड़ रुपये का उधारी कार्यक्रम आसानी से पूरा हो सके।
आरबीआई ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) कार्यक्रम के तहत द्वितीयक बाजार से बॉन्ड की खरीद या बिक्री करता है। ओएमओ की हालांकि घोषणा होती है, लेकिन केंद्रीय बैंक बिना घोषणा के भी बॉन्ड की खरीद कर लेता है। इस वित्त वर्ष में अब तक आरबीआई ने द्वितीयक बाजार से करीब 1.14 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी मोटे तौर पर घोषणा की गई थी। इसे अप्रत्यक्ष तौर पर मुद्रीकरण कहा जा सकता है, जिसे केंद्रीय बैंक को इस वित्त वर्ष में और ज्यादा करना पड़ सकता है। यह कहना है बॉन्ड डीलरों का। ऐसी खरीद से प्रतिफल घटता है या बॉन्ड की कीमतें मजबूत होती हैं और सरकार को सस्ती दरों पर उधार मिल जाता है जो ऐसे बॉन्ड जारी करती है।
शुक्रवार को बॉन्ड का प्रतिफल 9 आधार अंक चढ़ गया था और बॉन्ड डीलर 10 वर्षीय प्रतिभूतियों की साप्ताहिक नीलामी में की गई पेशकश पर ज्यादा प्रतिफल चाहते थे। आरबीआई ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और 18,000 करोड़ रुपये के 10 वर्षीय बॉन्ड की नीलामी में 4,673.93 करोड़ रुपये के बॉन्ड बिना बिके रह गए। ये बॉन्ड एक पखवाड़े पहले पेश कि ए गए थे और उसने 10 वर्षीय बन्ड की जगह ली, जो महज तीन महीने के लिए बेंचमार्क था।
इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार ने बाजार से बॉन्ड के जरिए 5.84 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) बद्रीश कुलहल्ली ने कहा, शुक्रवार को हुई नीलामी में निवेशकों की तरफ से थकावट के संकेत नजर आए और आरबीआई की तरफ से सहारे के अभाव में बाजार में और आपूर्ति को लेकर सीमित क्षमता होगी।
