भारत का माइक्रोफाइनैंस सेक्टर बढ़ते फंसे कर्ज के कारण दबाव में है। इसकी वजह से कर्जदाताओं को ऋण में वृद्धि सुस्त करनी पड़ी है। हालांकि दिसंबर में स्थिति बदली है और अगर सकारात्मक धारणा जारी रहती है तो जल्द ही स्थिति बदल सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में स्व नियामक निकाय (एसआरओ) माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) के मुख्य कार्याधिकारी आलोक मिश्र ने कहा, ‘दिसंबर की फील्ड रिपोर्ट से हमें सकारात्मक बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैं यह देखने के लिए 2 माह इंतजार करूंगा कि क्या यह प्रवृत्ति टिकाऊ है।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में चूक बढ़ने के कारण दबाव के संकेत है। इसके साथ ही कर्ज लेने वाले ऐसे लोगों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, जिन्होंने कई कर्जदाताओं से ऋण लिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र में दबाव वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-सितंबर के दौरान बढ़ी है। इस दौरान 31 से 180 दिन की चूक (डीपीडी) सितंबर 2024 में बढ़कर 4.30 प्रतिशत हो गई जो मार्च 2024 में 2.15 प्रतिशत थी।
नियामक ने कुछ एमएफआई को लेकर सख्त रुख अपनाया, जो ग्राहकों को ज्यादा ब्याज ले रहे थे। पिछले साल अक्टूबर में रिजर्व बैंक ने 4 एनबीएफसी पर कारोबारी प्रतिबंध लगाए, जिनमें से 2 आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज और आशीर्वाद माइक्रोफाइनैंस एनबीएफसी-एमएफआई हैं। रिजर्व बैंक ने इस महीने आरोहण और आशीर्वाद से प्रतिबंध हटाया है, जब इन संस्थानों ने नियामक के कई अनुपालन को लेकर उपचारात्मक कार्रवाई की और उसकी रिपोर्ट सौंपी। अन्य 2 एनबीएफसी से भी प्रतिबंध हटा लिए गए हैं।
मिश्र ने कहा कि यह सकारात्मक खबर है क्योंकि आरोहण और आशीर्वाद दोनों मिलकर कम आय वर्ग के करीब 65 लाख ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। मिश्र ने कहा, ‘एसआरओ के रूप में हम कोशिश करेंगे कि हमारे सदस्य रिजर्व बैंक के सभी नियमों और एसआरओ के दिशानिर्देशों का पालन करें और सतत और पारदर्शी तरीके से उनके कारोबार में वृद्धि हो।’
उन्होंने कहा कि यह सेक्टर ब्याज दर ऐसा रखने को प्रतिबद्ध है, जिससे माइक्रोफाइनैंस लाना व्यावहारिक हो और ग्राहकों को भी इसका लाभ मिल सके। मिश्र ने कहा, ‘माइक्रोफाइनैंस सिर्फ बिजनेस नहीं है, यह इस हिसाब से महत्त्वपूर्ण है कि आर्थिक वृद्धि का फायदा समाज के हर तबके को मिल सके।’
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र धन की कमी का सामना कर रहा है और खासकर छोटे कारोबारियों को हमेशा चुनौती बनी रहती है। मिश्र ने कहा कि यही वजह है कि हमने सरकार से एमएफआई के लिए समर्पित रिफाइनैंस सुविधा देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि एसआरओ दिसंबर की सकारात्मक फील्ड रिपोर्ट के साथ बैंकों और एनबीएफसी-एमएफआई को ऋण देने वालों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश कर रहा है।
मिश्र ने कहा, ‘हमने डीएफएस (वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग) के साथ पिछले सप्ताह बुधवार को बैठक की। भारत सरकार नौकरियों, कम आय वाले 8.1 करोड़ ग्राहकों तक पहुंच और समावेशी विकास आदि को लेकर माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र के महत्त्व को समझती है।’
नवंबर महीने में एमएफआईएन के लिए कुछ कड़े मानक जारी किए गए थे, जिसमें प्रति ग्राहक माक्रोफाइनैंस कर्जदाताओं की संख्या 4 से घटाकर 3 करना शामिल है। नए नियम जनवरी से लागू होने थे।