मौजूदा आर्थिक मंदी के कारण वित्तीय बाजारों में मुश्किल दौर ने ग्राहकों पर बुरी तरह से असर डाला है।
प्रमुख बैंको ने ऑटो सरीखे क्षेत्रों को कर्ज देना बंद कर दिया था या फिर उन्होंने नियम और कानून इतने कड़े कर दिए थे कि आवेदनकर्ता इन नियमों पर खरे उतरने में खुद को नाकाबिल समझ रहे थे।
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग तंत्र में नकदी की सेहत सुधारने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, सेक्टर ने भी दरों में कटौती की घोषणा की है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वे कर्ज देने के इच्छुक हैं? यहां आपको आप बीती बताई जा रही है:
आवासीय ऋण : हमने सबसे पहले एक आम कर्ज से जुड़ी वेब साइट पर खुद को रजिस्टर करवाया और खुशी की बात यह है कि दूसरी ओर से हमें जवाब भी बहुत जल्द मिल गया। एक ही घंटे में एक या कई बैंकों के डायरेक्ट सेलिंग एजेंटों (डीएसए) से कई फोन कॉल आईं।
सबसे पहले एजेंट ने हमें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से 11.75 प्रतिशत की दर से 15 लाख रुपये का कर्ज देने की पेशकश रखी। दिलचस्प बात यह है कि उसने इस बात का दावा किया कि 15 लाख रुपये से कम राशि के कर्ज पर ब्याज दर 0.25 प्रतिशत बढ़ जाएगी।
साथ ही कर्ज कुल करार की कीमत का 85 प्रतिशत तक देने की बात हुई, जिसमें स्टैम्प डयूटी, पंजीकरण और दूसरी अनिवार्यताएं शामिल थीं। अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए कर्ज लेनदार को निवेश-संबंधी दस्तावेज जमा कराने जरूरी हैं।
मौजूदा समय में, वे करार की पूरी रकम के सिर्फ 80 प्रतिशत की ही पेशकश करते हैं। इसके अलावा, अन्य खर्च के लिए वित्त मुहैया कराना कंपनियों ने पूरी तरह से बंद कर दिया है। साथ ही सिर्फ किराए से होने वाली आय पर ही आपकी योग्यता को बढ़ाने के लिहाज से विचार किया जाता है। सबसे अहम, वे आजकल आपके हाथ में वेतन और ईएमआई के प्रतिशत पर अधिक विचार करते हैं- अधिक से अधिक वे 50 प्रतिशत तक के लिए तैयार होते हैं।
एक और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने 12 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज देने की इच्छा जताई, लेकिन वह कुल कीमत का 90 प्रतिशत तक बतौर कर्ज देने को तैयार हो गया, जिसमें स्टैम्प डयूटी और पंजीकरण शामिल है। लेकिन यह पेशकश सिर्फ नई परिसंपत्तियों के लिए ही है।
सबसे अहम बात यह है कि बैंक का अपना तकनीकी दल आपकी परिसंपत्ति का मूल्यांकन करेगा और भविष्य में कीमतों में होने वाले बदलावों पर भी विचार करेगा। दूसरे शब्दों में करार की कीमत का कोई मतलब नहीं है। पुरानी परिसंपत्ति के लिए सिर्फ 80 प्रतिशत ही कर्ज दिया जाएगा। ईएमआई का प्रतिशत ज्यादा से ज्यादा 55 प्रतिशत हो सकता है।
डायरेक्ट सेलिंग एजेंट ने कई ऐसे बैंकों की ओर इशारा किया जिनकी औपचारिकताएं कम हैं, लेकिन वे 14 प्रतिशत तक ब्याज दर वसूल करते हैं और उन्होंने अस्थायी तौर पर अपनी दरों में इजाफा किया था।
निष्कर्ष : कर्ज तो उपलब्ध है, लेकिन आसानी से नहीं। बदतर तो अभी बाकी है। मार्जिन भुगतान अभी भी काफी अधिक हो सकता है, क्योंकि परिसंपत्तियों की कीमत 80 से 85 प्रतिशत कम होने के बावजूद बैंकों की ओर से किया गया मूल्यांकन और भी कम हो सकता है।
निजी ऋण : निजी ऋण के लिए कोई भी पेशकश बताने से पहले डायरेक्ट सेलिंग एजेंटों ने इस बात पर काफी जोर दिया कि बैंक अब भी इस बारे में काफी सावधानियां बरत रहे हैं। ब्याज दर सालाना 20 प्रतिशत है।
हालांकि एक विदेशी बैंक 20.5 प्रतिशत दर वसूल रहा है, लेकिन निजी क्षेत्र के कई बैंक सिर्फ अपने मौजूदा ग्राहकों को ही कर्ज मुहैया कराने की बात कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि दो-एक बड़ी एनबीएफसी ने दावा किया है कि कर्मियों की संख्या में कमी की वजह से वे इस तरह के कर्ज दे ही नहीं रही हैं।
और नियम-शर्तें बहुत-बहुत कड़े हैं। यहां तक कि एक अकेला डिफॉल्ट या भुगतान में देरी से हो सकता है कि आपके कर्ज के करार को अस्वीकार कर दिया जाए। और कई बैंकों ने तो यह भी शर्त रख दी है कि आवेदनकर्ता के घर पर लैंडलाइन फोन होना बेहद जरूरी है, नहीं तो वे कर्ज के प्रस्ताव पर विचार ही नहीं करेंगे।
यहां तक कि राशि सीमा भी कम कर दी गई है। उदाहरण के लिए प्रति माह 30 हजार रुपये की शुध्द तनख्वाह पाने वाले व्यक्ति को जहां पहले बैंक 4 लाख रुपये के निजी कर्ज के लिए योग्य समझता था, वहीं अब बैंक 3 लाख रुपये से अधिक का निजी कर्ज देने का इच्छुक ही नहीं है।
निष्कर्ष : कड़े नियमों के कारण कई तो खुद को निजी कर्ज के योग्य ही नहीं साबित कर पाएंगे।
ऑटो ऋण : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जहां 12.75 प्रतिशत की ब्याज दर वसूल कर रहे हैं, वहीं निजी क्षेत्र के बैंक 14.25-14.50 प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज मुहैया करा रहे हैं। एनबीएफसी 16 प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज देने को तैयार हैं।
कई बैंकों और एनबीएफसी ने इस क्षेत्र के लिए कर्ज देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, लेकिन वे इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे। यहां तक कि कर्ज की सीमा को 100 प्रतिशत से कम कर 90 प्रतिशत कर दिया गया है।
लेकिन बावजूद इसके एक दिलचस्प बात यह है कि एक ही बैंक और एक ही ग्राहक प्रोफाइल वालों से ब्याज 12.75 प्रतिशत से लेकर 14.75 प्रतिशत तक वसूल किया जा रहा है। कई एजेंटों ने इस बात पर जोर दिया कि कर्ज लेने के लिए उन्हें उनके बताए हुए डीलर से ही कार लेनी होगी और उसका बीमा और पंजीकरण उन्हीं के जरिये कराना होगा।
निष्कर्ष : कर्ज के नियम-शर्तें तो इतनी कड़ी नहीं हैं, लेकिन इस बार एजेंटों ने कर्ज के रास्ते में रुकावट की जिम्मेदारी उठाई है।
हालांकि अभी तो यह सिर्फ आधी कहानी ही है। एक बार जब दस्तावेज जमा हो जाएंगे, कई ग्राहकों का यह दावा होगा कि या तो बैंक ब्याज दरें बढ़ाने के रास्ते खोज रहे हैं या फिर वे उनकी कर्ज राशि में कमी की बात कह रहे हैं और हो सकता है कि कुछ ग्राहक इन दोनों रास्तों की बात भी स्वीकार करें।
उदाहरण के लिए एक बहुराष्ट्रीय बैंक ने अमीर ग्राहक को 1.05 करोड़ रुपये का कर्ज देना मंजूर किया। एक बार जब वह ग्राहक परिसंपत्ति का फैसला कर लेता है और अपने दस्तावेज जमा कर देता है तब बैंक उसे सिर्फ 80 लाख रुपये का कर्ज ही दे।
दूसरे शब्दों में कर्ज के क्षेत्र में माहौल काफी शांत है। सिर्फ एक साल पहले ही बैंक किसी फ्लैट के लिए 100 प्रतिशत कर्ज देने को तैयार थे, साथ ही टॉप-अप के लिए भी आनाकानी नहीं करते थे, यहां तक कि ग्राहक की कर्ज चुकाने की कमतर क्षमता को देखते हुए भी वे कार के लिए कर्ज दे देते थे। वहीं अब वे जरूरत से ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं। एक असली ग्राहक के लिए अब कर्ज लेना थोड़ा ज्यादा मुश्किल और महंगा हो गया है।
कर्ज का दर्द
आवासीय ऋण : मार्जिन की अधिक रकम देने के लिए रहें तैयार
निजी ऋण : सिर्फ एक डिफॉल्ट या एक बार भुगतान में हुई देरी से आपके कर्ज पर लग सकती है रोक
ऑटो ऋण : डीएसए लगा रहे हैं कर्ज लेनदारों पर कड़ी शर्तें