येस बैंक अपनी 32,344 करोड़ रुपये की गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) बेचने के लिए संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को बेचने पर विचार कर रहा है और उसने बिक्री के बारे में सलाह के लिए ईवाई को नियुक्त किया है। ईवाई ने बोली दाखिल करने के लिए कुछ संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों से संपर्क साधा है।
येस बैंक ने पहले ही 24,476 करोड़ रुपये के लिए प्रावधान किए हैं, जो उसके सकल एनपीए का 76 प्रतिशत है। एनपीए बुक की बिक्री से बैंक को बैंकिंग उद्योग में अपनी खोई हुई जगह बनाने में मदद मिलेगी, जो अपने पूर्व प्रवर्तक राणा कपूर के घोटालों की वजह से अपना स्थान गंवा चुका है।
इस मसले पर येस बैंक और ईवाई ने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है।
अपना बही खाता साफ करने की कवायद के तहत येस बैंक ने पिछले सप्ताह संकट में फंसी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी डीएचएफएल द्वारा जारी बॉन्डों की बिक्री 500 करोड़ रुपये में द्वितीयक बाजार में की। बैंक ने डीएचएफएल के बॉन्डों में 2,000 करोड़ रुपये निवेश किए थे और वह 25 प्रतिशत रिकवरी करने में सफल हुआ है।
बैंक अपना म्युचुअल फंड कारोबार बेचने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है, जिससे चालू वित्त वर्ष के आखिर तक अपनी पूंजी मुक्त कर सके। नए प्रबंधन के तहत बैंक अन्य रणनीतिक निवेशकोंं के साथ भी बात कर रहा है, जिससे एक एआरसी का गठन हो सके, जिसमें सभी एनपीए होंगे।
इस साल मई महीने में येस बैंक के ऑडिटर ने मार्च 2020 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ मानकों के उल्लंघन और कर्ज संबंधी खामियों का उल्लेख किया था, जिसका बैंक की क्षमता पर असर पड़ सकता था। एकल वित्तीय परिणाम में 31 दिसंबर 2019 को समाप्त अवधि के लिए 15,422 करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रावधान किए गए थे। नए प्रबंधन के तहत अब सरकार के भारतीय स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा उल्लेखनीय धन डाले जाने के बाद उबार लिया गया है। इस साल जुलाई में बैंक ने राइट्स इश्यू के माध्यम से 12 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 15,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
येस बैंक की सफाई में तब तेजी आई, जब इस साल मार्च में भारतीय रिजर्व बैंक ने पूरे बोर्ड को का काम अपने हाथ लेकर उसे मॉरेटोरियम के तहत डाल दिया। मॉरेटोरियम 18 मार्च को हटाया गया और रिवर्ज बैंक ने नया बोर्ड नियुक्त कर दिया।
