RBI द्वारा शुक्रवार को की गई वेरिएबल रेट रीपो (VRR) यानी प्रतिवर्ती रीपो दर नीलामी में बैंकों की प्रतिक्रिया कुछ हद तक कमजोर दिखी। बैंकों ने 82,500 करोड़ रुपये की उधारी में दिलचस्पी दिखाई, जबकि केंद्रीय बैंक द्वारा 1 लाख करोड़ रुपये की पेशकश की गई।
जब RBI वेरिएबल रेट रीपो ऑपरेशन करता है तो वह बैंकिंग व्यवस्था में पूंजी डालता है। शुक्रवार की रीपो नीलामी के लिए दायरा 6.51 प्रतिशत तय किया गया था, जबकि भारित औसत दर 6.53 प्रतिशत थी।
पांच महीने के बाद RBI ने पिछले महीने से रीपो ऑपरेशन पुन: शुरू किया है, क्योंकि बैंकिंग व्यवस्था में तरलता वर्ष के अंत में कर भुगतान की वजह से सख्त बन सकती है।
ट्रेजरी अधिकारियों और विश्लेषकों का मानना है कि बैंकों ने वित्त वर्ष के अंत में सरकारी खर्च में तेजी आने की उम्मीद से शुक्रवार की रीपो नीलामी में निर्धारित राशि की तुलना में कम बोलियां लगाईं, जैसा कि आमतौर पर देखा जाता है।
विश्लेषकों का कहना है कि 27 जनवरी, 2023 को सरकार का नकदी बैलेंस 2.5 लाख करोड़ रुपये था।
हालांकि बैंकिंग व्यवस्था में नकदी के असमान वितरण की वजह से महीने के आखिर में मनी मार्केट दरों पर असर देखा जा सकता है, क्योंकि कॉरपोरेट अग्रिम कर भुगतान और जीएसटी की वजह से पूंजी की निकासी इस महीने के दूसरे पखवाड़े में 12,281 करोड़ रुपये के दीर्घावधि रीपो ऑपरेशन की बिकवाली के अनुरूप है।
एक विदेशी बैंक के ट्रेजरी अधिकारी ने कहा, ‘बैंकिंग प्रणाली को अगले सप्ताह ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होगी, लेकिन मेरा मानना है कि 20 से 24 मार्च के दौरान व्यवस्था में इसकी कमी रहेगी। मार्च के आखिरी सप्ताह में अक्सर सरकारी खर्च बढ़ता है, लेकिन तरलता की अनिश्चित प्रवृत्ति से ऊंची दरों को बढ़ावा मिल सकता है।’
केंद्रीय बैंक के आंकड़े से पता चलता है कि मार्च में अब तक, बैंकिंग व्यवस्था में नकदी लगातार अधिशेष स्तर पर रही है और RBI ने महीने के पहले 9 दिनों में बैंकों से प्रतिदिन औसत 68,701 करोड़ रुपये खपाए हैं।
ट्रेजरी अधिकारियों का कहना है कि हालांकि फरवरी में RBI ने 25 कामकाजी दिनों में से 17 में कोष लगाया, क्योंकि मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की भारी बिकवाली से रुपये के प्रवाह को बढ़ावा मिला। विनिमय दर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव रोकने के प्रयास में डॉलर बिक्री या खरीदारी के जरिये RBI विदेशी एक्सचेंज बाजार में हस्तक्षेप करता है। पिछले महीने रुपये में बड़ा उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया, क्योंकि कई अमेरिकी आंकड़ों से फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि बरकरार रखने की संभावना को ताकत मिली।
विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी खर्च में तेजी आने के बावजूद RBI आगामी सप्ताहों में कई और वेरिएबल रेट रीपो ऑपरेशन संचालित कर सकता है।